Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 2:135 की पूरी व्याख्या

 यहाँ कुरआन की आयत 2:135 की पूरी व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत की जा रही है:

﴿وَقَالُوا۟ كُونُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَٰرَىٰ تَهْتَدُوا۟ ۗ قُلْ بَلْ مِلَّةَ إِبْرَٰهِـۧمَ حَنِيفًا ۖ وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ﴾

हिंदी अनुवाद:

"और उन्होंने (यहूदियों और ईसाइयों ने) कहा: 'यहूदी या ईसाई बन जाओ तो सीधे मार्ग पर आ जाओगे।' (ऐ पैगंबर!) आप कह दें: 'बल्कि (हम) इब्राहीम के मार्ग पर चलते हैं, जो सीधे-सच्चे थे और वह मुशरिकों में से नहीं थे।'"


शब्द-दर-शब्द अर्थ (Arabic Words Meaning):

  • وَقَالُوا۟ : और उन्होंने कहा

  • كُونُوا۟ : बन जाओ

  • هُودًا : यहूदी

  • أَوْ : या

  • نَصَٰرَىٰ : ईसाई

  • تَهْتَدُوا۟ : तुम्हें मार्गदर्शन मिलेगा / सीधे रास्ते पर आ जाओगे

  • قُلْ : (आप) कह दें

  • بَلْ : बल्कि

  • مِلَّةَ : मार्ग / धर्म

  • إِبْرَٰهِـۧمَ : इब्राहीम के

  • حَنِيفًا : सीधे-सच्चे / एकेश्वरवादी

  • وَمَا : और नहीं

  • كَانَ : थे

  • مِنَ : में से

  • ٱلْمُشْرِكِينَ : मुशरिकों (अनेकेश्वरवादियों) के


पूर्ण व्याख्या (Full Explanation):

यह आयत यहूदियों और ईसाइयों के उस दावे का जवाब है जो वह मुसलमानों के सामने रखते थे। वे कहते थे कि अगर तुम्हें सच्चा मार्गदर्शन चाहिए तो यहूदी या ईसाई बन जाओ। इस आयत में अल्लाह अपने पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को एक स्पष्ट और दृढ़ उत्तर देने का निर्देश देता है।

आयत के दो मुख्य भाग:

1. यहूदियों और ईसाइयों का दावा (व कालू कुनू हूदन औ नसारा तहतदू):

  • "और उन्होंने (यहूदियों और ईसाइयों ने) कहा: 'यहूदी या ईसाई बन जाओ तो सीधे मार्ग पर आ जाओगे।'"

  • यहूदी और ईसाई दोनों ही यह दावा करते थे कि सच्चा मार्गदर्शन सिर्फ़ उन्हीं के पास है।

  • "तहतदू" (तुम मार्ग पा जाओगे) शब्द का प्रयोग इस दावे की शक्ति को दर्शाता है।

2. अल्लाह का दृढ़ उत्तर (कुल बल मिल्लता इब्राहीमा हनीफा व मा काना मिनल मुशरिकीन):
अल्लाह इस दावे का खंडन करते हुए तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर देता है:

  • "बल" (बल्कि): यह शब्द पिछले दावे का पूर्ण रूप से खंडन करता है। यह कहता है - "बिल्कुल नहीं! तुम्हारा दावा गलत है।"

  • "मिल्लता इब्राहीमा" (इब्राहीम के मार्ग पर): असली मार्ग वह नहीं है जो यहूदी या ईसाई बता रहे हैं। असली मार्ग हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) का मार्ग है। यह बताता है कि इस्लाम कोई नया धर्म नहीं है, बल्कि इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के असली और शुद्ध धर्म की पुनर्स्थापना है।

  • "हनीफा" (सीधे-सच्चे): यह इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के मार्ग की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।

    • "हनीफ" का अर्थ है वह व्यक्ति जो सभी झूठे धर्मों और मतों को छोड़कर सीधे सच्चे धर्म (तौहीद) की ओर झुक जाए।

    • यह एक ऐसा व्यक्ति है जो हर प्रकार के शिर्क (अल्लाह के साथ साझीदार ठहराने) से दूर रहता है।

  • "व मा काना मिनल मुशरिकीन" (और वह मुशरिकों में से नहीं थे): यह अंतिम और निर्णायक कथन है।

    • यहूदी और ईसाई दोनों ही शिर्क के किसी न किसी रूप में ग्रस्त थे (यहूदी उज़ैर को अल्लाह का बेटा कहते थे, ईसाई ईसा को अल्लाह का बेटा मानते थे)।

    • अल्लाह स्पष्ट करता है कि इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) इन सबसे पाक थे। वह बिल्कुल भी मुशरिक नहीं थे।

    • इसलिए, जो व्यक्ति सच्चा इब्राहीमी बनना चाहता है, उसे हनीफ बनना होगा और शिर्क से पूरी तरह दूर रहना होगा।


शिक्षा और सबक (Lesson and Moral):

  • सच्चा मार्ग इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) का मार्ग है: असली मार्गदर्शन किसी खास समुदाय का नाम लेने में नहीं, बल्कि इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के सीधे-सच्चे मार्ग पर चलने में है।

  • शिर्क से दूरी: इस्लाम की मूल भावना "हनीफियत" है - हर प्रकार के शिर्क और मूर्तिपूजा से दूर रहकर केवल एक अल्लाह की इबादत करना।

  • दृढ़ता के साथ उत्तर: सत्य को दृढ़ता और स्पष्टता के साथ पेश करना चाहिए।

  • धार्मिक एकाधिकारवाद का खंडन: कोई भी समुदाय यह दावा नहीं कर सकता कि मार्गदर्शन सिर्फ़ उन्हीं के पास है।


अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):

  • अतीत (Past) में प्रासंगिकता: यह आयत मदीना के यहूदियों और ईसाइयों के दावों का सीधा जवाब थी और साबित करती थी कि इस्लाम ही इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) का असली धर्म है।

  • वर्तमान (Present) में प्रासंगिकता:

    • मिशनरी गतिविधियों का जवाब: आज ईसाई मिशनरी भी यही दावा करते हैं कि सच्चा मार्गदर्शन सिर्फ़ ईसाई धर्म में है। यह आयत उसका स्पष्ट जवाब है।

    • मुसलमानों के लिए पहचान: यह आयत मुसलमानों को उनकी धार्मिक पहचान बताती है - हम इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के "हनीफ" मार्ग पर हैं।

    • शिर्क से चेतावनी: यह आयत मुसलमानों को किसी भी प्रकार के शिर्क (जैसे कब्रपूजा, संतों को सजदा) से सावधान करती है।

  • भविष्य (Future) में प्रासंगिकता: यह आयत क़यामत तक सत्य के seeker के लिए एक कसौटी बनी रहेगी:

    • मार्गदर्शन का मापदंड: यह हमेशा यह याद दिलाती रहेगी कि मार्गदर्शन का मापदंड किसी समुदाय का नाम नहीं, बल्कि इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) का शुद्ध एकेश्वरवाद है।

    • हनीफियत का आह्वान: यह लोगों को हमेशा "हनीफ" बनने की ओर बुलाती रहेगी - सभी झूठे धर्मों को छोड़कर सीधे अल्लाह की ओर मुड़ जाने की।

    • शिर्क से मुक्ति: यह आयत हर युग के मुसलमान को शिर्क की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के विशाल और शुद्ध तौहीद की ओर बुलाती रहेगी।

यह आयत इस्लाम की सार्वभौमिकता और उसके शुद्ध एकेश्वरवादी स्वरूप को स्थापित करती है।