Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

क़ुरआन की आयत 2:266 की पूरी व्याख्या

 

﴿أَيَوَدُّ أَحَدُكُمْ أَن تَكُونَ لَهُ جَنَّةٌ مِّن نَّخِيلٍ وَأَعْنَابٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ لَهُ فِيهَا مِن كُلِّ الثَّمَرَاتِ وَأَصَابَهُ الْكِبَرُ وَلَهُ ذُرِّيَّةٌ ضُعَفَاءُ فَأَصَابَهَا إِعْصَارٌ فِيهِ نَارٌ فَاحْتَرَقَتْ ۗ كَذَٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمُ الْآيَاتِ لَعَلَّكُمْ تَتَفَكَّرُونَ﴾

सूरतुल बक़ारह (दूसरा अध्याय), आयत नंबर 266


1. अरबी आयत का शब्दार्थ (Word-by-Word Meaning)

अरबी शब्दहिंदी अर्थ
अ-यवद्दुक्या चाहेगा
अहदुकुमतुम में से कोई
अन तकूनाकि हो जाए
लहूउसके लिए
जन्नतुमएक बाग
मिन नख़ीलिनखजूरों का
व-अअ'नाबिनऔर अंगूरों का
तजरीबहती हैं
मिन तहतिहलउसके नीचे से
अल-अन्हारनदियाँ
लहू फीहाउसके लिए उसमें हैं
मिन कुल्लिस समरातहर प्रकार के फल
व-असाबहुल किबरुऔर उसे बुढ़ापे ने आ लिया
व-लहू जुर्रियyatunऔर उसकी संतान है
जु'अफाउकमजोर (छोटे बच्चे)
फ-असाबहातो उसे आ लगा
इस'आरुनएक ऐंठा हुआ तूफान
फीहि नारुनजिसमें आग है
फ-अह्तरकततो जल गई
क-ज़ालिकाइसी प्रकार
युबय्यिनुल्लाहस्पष्ट करता है अल्लाह
लकुमुल आयाततुम्हारे लिए आयतें
ल-अल्लकुमताकि तुम
ततफक्करूनसोच-विचार करो

2. आयत का पूर्ण अनुवाद और सरल व्याख्या (Full Translation & Simple Explanation)

अनुवाद: "क्या तुममें से कोई यह चाहेगा कि उसके पास खजूरों और अंगूरों का एक बाग हो, जिसके नीचे नदियाँ बहती हों, उसमें उसके लिए हर प्रकार के फल हों, फिर उसे बुढ़ापा आ पहुँचे और उसकी संतान (अभी) कमजोर (नाबालिग) हो, और (अचानक) उसे एक ऐसा प्रचंड तूफान आ लगे जिसमें आग हो और वह (बाग) जलकर राख हो जाए? इसी प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए आयतें स्पष्ट करता है, ताकि तुम सोच-विचार करो।"

सरल व्याख्या:
यह आयत एक बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी उदाहरण देकर समझाती है कि दुनिया के कर्मों का क्या हश्र होता है अगर आखिरत में वे काम न आएँ।

दृष्टांत के मुख्य बिंदु:

  1. शानदार बाग (दुनिया के अच्छे कर्म):

    • खजूर और अंगूरों का बाग (उच्च कोटि के फल)

    • नदियाँ बहती हैं (खूब सुविधाएँ और बरकत)

    • हर प्रकार के फल (पूर्णता और विविधता)

    यह बाग उस व्यक्ति के दुनियावी नेक कर्मों (नमाज, रोजा, दान) का प्रतीक है जो उसने अपनी जवानी में किए हैं।

  2. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति (बुढ़ापा और जिम्मेदारी):

    • बुढ़ापा: वह व्यक्ति बूढ़ा हो गया है, यानी उसकी मौत करीब है। अब नए कर्म करने की शक्ति नहीं रही।

    • कमजोर संतान: उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं जो उसपर निर्भर हैं। यानी, उसने आखिरत के लिए कोई ऐसा सुरक्षित पूंजी (सदक़ा-ए-जारिया) जमा नहीं की जो उसके बाद उसके काम आती।

  3. आकस्मिक तबाही (मौत और अमल का बर्बाद होना):

    • आग वाला तूफान: अचानक एक भयानक तूफान आता है जो पूरे बाग को जला कर राख कर देता है।

    • यह तूफान मौत का प्रतीक है जो अचानक आ सकती है।

    • बाग का जलना उसके सारे नेक अमलों के बेकार हो जाने का प्रतीक है। कैसे? अगर उसने अपने नेक कर्मों के साथ ऐसी चीजें मिला ली थीं जो उन्हें बर्बाद कर देती हैं, जैसे:

      • रिआ (दिखावा) - जैसा कि पिछली आयतों में बताया गया।

      • अल-मन्न वल अज़ा (एहसान और दुख पहुँचाना)

      • कुफ्र या शिरक में मर जाना।

परिणाम: बूढ़ा आदमी अपनी आँखों के सामने अपनी सारी पूँजी (बाग) को तबाह होते देखता है और वह कुछ नहीं कर सकता। उसके पास अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं बचता। ठीक इसी तरह, आखिरत में ऐसा इंसान अपने सारे नेक अमलों को बर्बाद पाएगा और वहाँ वह कुछ नहीं कर सकता।

आयत का अंत इस स्पष्टीकरण के साथ होता है कि अल्लाह इस तरह के उदाहरण इसलिए देता है ताकि तुम "तफक्कुर" (गहन चिंतन) करो और अपने अमलों को बर्बाद होने से बचाओ।


3. शिक्षा और संदेश (Lesson and Message)

  1. दुनिया की नश्वरता: दुनिया और उसकी सारी कमाई, चाहे वह कितनी भी शानदार क्यों न हो, एक पल में बर्बाद हो सकती है। हमें इसपर भरोसा नहीं करना चाहिए।

  2. अमल की सुरक्षा का महत्व: सिर्फ नेक अमल करना ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें बर्बाद होने से बचाना भी उतना ही जरूरी है। रिआ, अहंकार और गुनाह नेकियों को जला देते हैं।

  3. मौत की अचानकता: मौत कभी भी आ सकती है। इसलिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और अपने नेक अमलों की पूँजी को सुरक्षित रखना चाहिए।

  4. सोच-विचार (तफक्कुर) का आह्वान: अल्लाह चाहता है कि इंसान इन उदाहरणों पर गहराई से सोचे और अपने जीवन में सुधार लाए।


4. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)

अतीत में प्रासंगिकता:

  • अरब के बागवान समाज के लिए प्रासंगिक: अरब का समाज बागवानी और व्यापार पर टिका था। यह उदाहरण उनकी अपनी जीवनशैली से लिया गया था, इसलिए वे आसानी से समझ सकते थे कि बाग के जलने का दुख कितना भयानक होता है।

  • मुनाफिकों और दिखावेबाजों के लिए चेतावनी: यह आयत उन लोगों के लिए एक सख्त चेतावनी थी जो दिखावे के लिए नेकी करते थे। उन्हें बताया गया कि तुम्हारी सारी नेकी इसी तरह बर्बाद हो जाएगी।

वर्तमान में प्रासंगिकता:

  • आधुनिक "बाग" की अवधारणा: आज का इंसान अपनी नेकी के बाग की जगह दुनिया के बाग (धन, प्रॉपर्टी, कार, नौकरी) को ही सब कुछ समझता है। यह आयत उसे चेतावनी देती है कि यह सब एक पल में बर्बाद हो सकता है।

  • रेटायरमेंट प्लानिंग का आध्यात्मिक पहलू: लोग बुढ़ापे के लिए पैसे जमा करते हैं, लेकिन आखिरत के लिए क्या जमा किया? यह आयत हमें आध्यात्मिक रिटायरमेंट प्लानिंग की याद दिलाती है।

  • मानसिक तनाव: आज लोग अपनी कमाई और भविष्य को लेकर इतना चिंतित रहते हैं। यह आयत बताती है कि असली सुरक्षा तो अल्लाह के यहाँ है, उसपर भरोसा रखो।

भविष्य में प्रासंगिकता:

  • शाश्वत चेतावनी: जब तक दुनिया है, इंसान धन और सांसारिक सुखों में उलझा रहेगा। यह आयत हर युग के इंसान को यह चेतावनी देती रहेगी कि असली पूँजी तो आखिरत के लिए बचाकर रखो।

  • तकनीकी युग में सोच-विचार: भविष्य की तकनीकी भागदौड़ में, यह आयत इंसान को रुककर सोचने पर मजबूर करेगी कि कहीं वह अपने "डिजिटल बाग" (सोशल मीडिया की लोकप्रियता, वर्चुअल सफलता) में उलझकर तो अपने असली बाग (नेक अमल) को जलाने का कारण नहीं बन रहा।

  • पीढ़ियों की जिम्मेदारी: यह आयत भविष्य की पीढ़ियों को यह सिखाती रहेगी कि सिर्फ धन विरासत में देकर मत जाओ, बल्कि नेक संतान और सदक़ा-ए-जारिया (चलने वाला सवाब) जैसी चीजें भी छोड़कर जाओ।

निष्कर्ष: आयत 2:266 एक Powerful Analogy (शक्तिशाली उपमा) के माध्यम से हमारे सामने आखिरत का एक जीवंत चित्रण करती है। यह हमें हमारी सांसारिक उपलब्धियों की नश्वरता और आध्यात्मिक पूँजी की स्थायिता का एहसास कराती है। यह आयत हर मुसलमान से पूछती है: "क्या तुम चाहोगे कि तुम्हारे जीवन भर के नेक अमल मौत के तूफान में इस तरह जलकर राख हो जाएँ?" अगर जवाब 'न' है, तो फिर अपने अमलों को बर्बाद करने वाली चीजों (दिखावा, अहंकार, गुनाह) से बचो और उन्हें सुरक्षित रखो।