1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
وَمَا كَانَ لِنَبِيٍّ أَن يَغُلَّ ۚ وَمَن يَغْلُلْ يَأْتِ بِمَا غَلَّ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۚ ثُمَّ تُوَفَّىٰ كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)
وَمَا كَانَ لِنَبِيٍّ : और किसी नबी के लिए योग्य नहीं
أَن يَغُلَّ : कि वह ग़ुल्ल (धोखाधड़ी/विश्वासघात) करे
ۚ وَمَن يَغْلُلْ : और जो ग़ुल्ल करेगा
يَأْتِ بِمَا غَلَّ : वह लाएगा जो उसने ग़ुल्ल किया था
يَوْمَ الْقِيَامَةِ : क़यामत के दिन
ۚ ثُمَّ تُووفَّىٰ كُلُّ نَفْسٍ : फिर हर व्यक्ति को पूरा दिया जाएगा
مَّا كَسَبَتْ : जो उसने कमाया
وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ : और उनपर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा
3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)
"किसी नबी के लिए यह उचित नहीं कि वह ग़ुल्ल (धोखाधड़ी/विश्वासघात) करे। और जो कोई ग़ुल्ल करेगा, वह क़यामत के दिन उसे (अपने गले में लटकाए) लेकर आएगा। फिर हर व्यक्ति को जो कुछ उसने कमाया है, पूरा-पूरा दिया जाएगा और उनपर ज़रा भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा।"
4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)
यह आयत उहुद की लड़ाई के बाद उतरी। एक अफवाह फैल गई थी कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने लूट के माल में से कुछ छिपा लिया है। यह आयत इस अफवाह का खंडन करती है और स्पष्ट करती है कि नबियों से ऐसा कोई विश्वासघात संभव ही नहीं है।
5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)
यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:
नबियों की पवित्रता: नबी हर प्रकार के धोखाधड़ी और विश्वासघात से पाक होते हैं। उन पर झूठा आरोप लगाना बहुत बड़ा पाप है।
ईमानदारी का महत्व: ग़ुल्ल (चोरी, धोखाधड़ी, विश्वासघात) एक गंभीर पाप है जिसकी सज़ा आखिरत में मिलेगी।
पारदर्शिता: सार्वजनिक संपत्ति और अमानत में खयानत करना सख्त हराम है।
दिव्य न्याय: आखिरत में हर इंसान को उसके कर्मों का पूरा-पूरा बदला मिलेगा।
6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)
वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Audience Perspective):
आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:
राजनीतिक ईमानदारी (Political Integrity): आज के राजनीतिज्ञों और नेताओं के लिए यह आयत एक चेतावनी है कि सार्वजनिक धन के साथ विश्वासघात करने वालों को आखिरत में जवाब देना होगा।
व्यावसायिक नैतिकता (Business Ethics): कॉर्पोरेट जगत में टैक्स चोरी, घपला, और गबन आम बात हो गई है। यह आयत याद दिलाती है कि हर पैसे का हिसाब अल्लाह के सामने देना होगा।
सामाजिक जिम्मेदारी (Social Responsibility): समाज में फैली भ्रष्टाचार की संस्कृति के खिलाफ यह आयत एक मजबूत हथियार है। यह सिखाती है कि अमानत में खयानत सबसे बड़ा गुनाह है।
आध्यात्मिक शुद्धता (Spiritual Purity): आज के दौर में जहाँ लोग कमाई के हराम-हलाल में फर्क नहीं करते, यह आयत याद दिलाती है कि हराम की कमाई आखिरत में शर्मिंदगी का कारण बनेगी।
भविष्य के लिए संदेश:
यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।" भविष्य में चाहे समाज कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, ईमानदारी और अमानतदारी का मूल्य सदैव बना रहेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
कुरआन की आयत 3:161 ईमानदारी और विश्वासनियता का एक स्पष्ट संदेश देती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के इंसान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि नबियों की पवित्रता पर संदेह करना गंभीर पाप है और अमानत में खयानत करने वालों को आखिरत में जवाब देना होगा। यह आयत आज के भ्रष्टाचार से भरे युग में हमारे लिए एक मार्गदर्शक किरण का काम करती है।