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कुरआन की आयत 3:170 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

فَرِحِينَ بِمَا آتَاهُمُ اللَّهُ مِن فَضْلِهِ وَيَسْتَبْشِرُونَ بِالَّذِينَ لَمْ يَلْحَقُوا بِهِم مِّنْ خَلْفِهِمْ أَلَّا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • فَرِحِينَ : प्रसन्न होकर

  • بِمَا آتَاهُمُ اللَّهُ : उस पर जो अल्लाह ने उन्हें दिया

  • مِن فَضْلِهِ : अपने फज़ल (अनुग्रह) से

  • وَيَسْتَبْشِرُونَ : और खुशखबरी सुनाते हैं

  • بِالَّذِينَ لَمْ يَلْحَقُوا بِهِم : उन लोगों को जो अभी उनसे नहीं मिले

  • مِّنْ خَلْفِهِمْ : उनके पीछे से (दुनिया में)

  • أَلَّا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ : कि उनपर न कोई डर है

  • وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ : और न ही वे दुखी होंगे

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"वे (शहीद) अल्लाह की दी हुई कृपा पर प्रसन्न हैं और उन लोगों को खुशखबरी दे रहे हैं जो अभी उनसे जा नहीं मिले (दुनिया में रह गए मोमिनीन) कि उन पर न कोई डर होगा और न ही वे दुखी होंगे।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत पिछली आयत (3:169) का ही विस्तार है जिसमें शहीदों की वास्तविक स्थिति का वर्णन किया गया है। उहुद के शहीदों के संदर्भ में यह बताया गया है कि वे न केवल स्वयं खुश हैं बल्कि पीछे रह गए मोमिनीन को भी आश्वस्त कर रहे हैं।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. शहीदों की प्रसन्नता: शहीदों को अल्लाह की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिससे वे पूरी तरह संतुष्ट हैं।

  2. आपसी चिंता: शहीद सिर्फ अपनी खुशी में नहीं हैं बल्कि उन्हें दुनिया में रह गए मोमिनीन की भी चिंता है।

  3. सकारात्मक संदेश: शहीदों का संदेश निराशा का नहीं बल्कि आशा और खुशखबरी का है।

  4. अल्लाह का वादा: मोमिनीन के लिए आखिरत में कोई डर और दुख नहीं होगा।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Audience Perspective):

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • शहीदों के परिवारों के लिए सांत्वना: आज जब कोई शहीद होता है तो उसके परिवार वालों को यह आयत याद दिला सकती है कि उनका शहीद सदस्य न केवल खुश है बल्कि उन्हें भी आश्वस्त कर रहा है कि आखिरत में कोई डर नहीं होगा।

  • मानसिक शांति: आज के तनाव भरे युग में यह आयत मोमिनीन को मानसिक शांति देती है।

  • सामुदायिक एकता: यह आयत मुसलमानों में एकता और भाईचारे की भावना पैदा करती है क्योंकि शहीद सिर्फ अपनी नहीं बल्कि पूरे समुदाय की चिंता कर रहे हैं।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "अल्लाह के रास्ते में कुर्बानी देने वालों के लिए आखिरत में कोई डर और दुख नहीं है।" भविष्य में चाहे दुनिया कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाए, यह वादा सदैव कायम रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:170 शहीदों की वास्तविक स्थिति का एक मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के मुसलमान के लिए आशा और प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें सिखाती है कि शहीद न केवल स्वयं अल्लाह की कृपा पर प्रसन्न हैं बल्कि वे दुनिया में रह गए मोमिनीन को भी आश्वस्त कर रहे हैं कि आखिरत में उन पर कोई डर नहीं होगा और न ही वे दुखी होंगे। यह आयत आज के भय और चिंता से भरे युग में हमारे लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है।