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कुरआन की आयत 3:46 की पूरी व्याख्या

 

﴿وَيُكَلِّمُ النَّاسَ فِي الْمَهْدِ وَكَهْلًا وَمِنَ الصَّالِحِينَ﴾

(Surah Aal-e-Imran, Ayat: 46)


अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning):

  • وَيُكَلِّمُ النَّاسَ (Wa Yukallimun Naasa): और वह लोगों से बात करेगा।

  • فِي الْمَهْدِ (Fil Mahdi): पालने में (बचपन में ही)।

  • وَكَهْلًا (Wa Kahlan): और जवानी/पक्की उम्र में।

  • وَمِنَ الصَّالِحِينَ (Wa Minas-Saaliheen): और वह नेक लोगों में से है।


पूरी व्याख्या (Full Explanation in Hindi):

यह आयत पिछली आयत में हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) के बारे में दी गई शुभ खबर को आगे जारी रखते हुए उनकी दो चमत्कारिक विशेषताओं का वर्णन करती है:

  1. पालने में बात करना (बचपन का चमत्कार): यह हज़रत ईसा का वह सबसे प्रसिद्ध चमत्कार है जो उन्होंने पैदा होते ही दिखाया। जब हज़रत मरयम बिना पति के एक बच्चे के साथ लौटीं, तो लोगों ने उन पर आरोप लगाया। तब अल्लाह ने नवजात ईसा को चमत्कारिक ढंग से बोलने की शक्ति दी। उन्होंने पालने में ही लोगों को संबोधित करते हुए कहा: "निस्संदेह मैं अल्लाह का बन्दा हूँ, उसने मुझे किताब दी है और मुझे पैगंबर बनाया है।" (सूरह मरयम, आयत 30)। यह चमत्कार उनकी पैगंबरी की पहली सार्वजनिक घोषणा थी और उनकी माँ की पवित्रता का प्रमाण था।

  2. जवानी में बात करना (पैगंबरी का मिशन): दूसरा चमत्कार यह है कि वह "जवानी/पक्की उम्र में" भी लोगों से बात करेंगे, यानी अपने पैगंबरी के दौरान लोगों को अल्लाह का संदेश देंगे। इस दौरान अल्लाह ने उन्हें और भी चमत्कार दिए, जैसे मृतको को ज़िंदा करना, अन्धों को आँखें देना। उनकी शिक्षाएँ और चमत्कार ही उनकी "बातचीत" का हिस्सा थे।

  3. नेक लोगों में से: आयत के अंत में एक बार फिर उनके चरित्र पर जोर दिया गया है। वह सिर्फ एक चमत्कारी व्यक्ति ही नहीं, बल्कि एक "सालेह" (नेक) इंसान थे। उनका पूरा जीवन पवित्रता, ईश्वर-भक्ति और लोगों की सेवा से परिपूर्ण था।


सीख और शिक्षा (Lesson and Moral):

  1. अल्लाह की मर्जी सर्वोपरि: अल्लाह अपनी शक्ति से किसी भी नियम को तोड़ सकता है। एक बच्चे का पालने में बोलना प्रकृति के सारे नियमों के विपरीत है। यह हमें सिखाता है कि अल्लाह की ताकत हर सीमा से परे है।

  2. सच्चाई की जीत: हज़रत ईसा का बचपन में बोलना इस बात का प्रतीक है कि सच्चाई कितनी भी मुश्किल हालात में क्यों न हो, एक दिन चमत्कारिक ढंग से सामने आकर रहती है। बुरे आरोपों का सामना करने का सबसे अच्छा तरीका सब्र और अल्लाह पर भरोसा है।

  3. चमत्कारों का उद्देश्य: पैगंबरों के चमत्कारों का मकसद सिर्फ लोगों को हैरान करना नहीं, बल्कि उन्हें एक अल्लाह की तरफ बुलाना और उसके पैगंबर की सच्चाई साबित करना है।


अतीत, वर्तमान और भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):

  • अतीत (Past) के लिए: हज़रत मरयम के लिए, यह चमत्कार उनके लिए एक सुरक्षा कवच और सांत्वना था। उन्हें एक ऐसा सबूत मिल गया जिससे उनकी निर्दोषता साबित हो सकी। उस समय के लोगों के लिए, यह एक ऐसा अद्भुत नज़ारा था जो उन्हें सोचने पर मजबूर कर देता था।

  • वर्तमान (Present) के लिए: आज के दौर में यह आयत हमें यह सिखाती है:

    • बचाव का तरीका: जब किसी पर झूठा आरोप लगे, तो हज़रत मरयम की तरह धैर्य रखें और अल्लाह पर भरोसा करें। अल्लाह सच्चाई को साबित करने का कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकालता है।

    • बच्चों की क्षमता: यह आयत हमें बच्चों की शुद्धता और क्षमता का सम्मान करना सिखाती है। कभी-कभी बहुत बड़ी बातें सबसे निर्मल दिलों से ही प्रकट होती हैं।

    • ईसा की पहचान: यह आयत मुसलमानों को हज़रत ईसा के प्रति सही और संतुलित नज़रिया देती है, जो अंधभक्ति और अपमान, दोनों से दूर है।

  • भविष्य (Future) के लिए: यह आयत हमेशा मानवता के सामने अल्लाह की असीम शक्ति और सच्चाई की जीत का प्रतीक बनी रहेगी। यह भविष्य की हर पीढ़ी को यह याद दिलाती रहेगी कि अल्लाह अपने नेक बन्दों की मदद करने और सच्चाई को बेनकाब करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यह आयत हज़रत ईसा के दूसरे आगमन (वापसी) की इस्लामी मान्यता में भी एक आधार प्रदान करती है।