आयत का अरबी पाठ:
وَلَا تَهِنُوا فِي ابْتِغَاءِ الْقَوْمِ ۖ إِن تَكُونُوا تَأْلَمُونَ فَإِنَّهُمْ يَأْلَمُونَ كَمَا تَأْلَمُونَ ۖ وَتَرْجُونَ مِنَ اللَّهِ مَا لَا يَرْجُونَ ۗ وَكَانَ اللَّهُ عَلِيمًا حَكِيمًا
हिंदी अनुवाद:
"और (दुश्मन) कौम की तलाश (पीछा) में कमजोरी न दिखाओ। अगर तुम दर्द उठा रहे हो तो वे भी उतना ही दर्द उठा रहे हैं जितना तुम उठा रहे हो, और तुम अल्लाह से वह (भलाई) उम्मीद करते हो जिसकी उम्मीद वे नहीं करते। और अल्लाह जानने वाला, तत्वज्ञ है।"
📖 आयत का सार और सीख:
इस आयत का मुख्य संदेश हिम्मत और सहनशीलता का है। यह हमें सिखाती है:
निरंतर प्रयास: मुश्किल परिस्थितियों में भी हौसला न हारें और लगातार प्रयास जारी रखें।
कष्टों का संतुलन: दुश्मन भी उतनी ही कठिनाइयाँ झेल रहा है जितनी आप, इसलिए धैर्य बनाए रखें।
आध्यात्मिक लाभ: मोमिनों के पास अल्लाह पर भरोसा और आखिरत की कामना का अतिरिक्त बल होता है।
दिव्य ज्ञान: अल्लाह हर स्थिति को जानता है और उसकी हर व्यवस्था में गहरी बुद्धिमत्ता है।
🕰️ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (Past Relevance):
युद्ध के दौरान प्रोत्साहन: प्रारंभिक इस्लामी लड़ाइयों के दौरान जब मुसलमान सैनिक थकान या चोटों के कारण हिम्मत हार रहे थे, यह आयत उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उतरी।
मक्का के काफिरों का विरोध: मुसलमानों और काफिरों दोनों को युद्ध में समान कष्ट हो रहे थे, लेकिन मुसलमानों के पास अल्लाह की मदद की उम्मीद का अतिरिक्त सहारा था।
सहनशीलता का पाठ: इस आयत ने मुसलमानों को सिखाया कि संघर्ष के दौरान दुश्मन से अधिक सहनशील और दृढ़ बने रहना चाहिए।
💡 वर्तमान और भविष्य के लिए प्रासंगिकता (Contemporary & Future Relevance):
1. व्यक्तिगत संघर्षों में सबक:
शिक्षा और करियर: परीक्षाओं की तैयारी या नौकरी के लिए संघर्ष करते समय हिम्मत न हारना।
व्यवसाय और उद्यमिता: व्यापार में नुकसान या मुश्किलें आने पर भी लगातार प्रयास जारी रखना।
2. सामाजिक और धार्मिक चुनौतियाँ:
धार्मिक स्वतंत्रता: धार्मिक प्रथाओं के पालन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करते समय दृढ़ रहना।
सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई: भ्रष्टाचार, अत्याचार या गलत प्रथाओं के विरुद्ध संघर्ष जारी रखना।
3. मानसिक दृढ़ता और धैर्य:
तनाव प्रबंधन: जीवन की चुनौतियों का सामना करते समय मानसिक रूप से मजबूत बने रहना।
आशावादी दृष्टिकोण: कठिनाइयों के बावजूद अल्लाह की मदद और बेहतर भविष्य की उम्मीद बनाए रखना।
4. आधुनिक प्रतिस्पर्धा:
खेल और प्रतियोगिताएँ: प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में थकान या चोट के बावजूद अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जारी रखना।
वैज्ञानिक शोध: वैज्ञानिक अनुसंधान में बार-बार असफलता मिलने पर भी प्रयास न छोड़ना।
5. भविष्य के लिए मार्गदर्शन:
वैश्विक चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन, महामारी जैसी वैश्विक समस्याओं से निपटने में दृढ़ता बनाए रखना।
तकनीकी विकास: नई तकनीकों के विकास में आने वाली बाधाओं को पार करने का संकल्प।
निष्कर्ष:
कुरआन की यह आयत दृढ़ संकल्प और सतत प्रयास का शाश्वत संदेश देती है। यह सिखाती है कि सफलता उन्हें मिलती है जो कठिनाइयों में भी हिम्मत नहीं हारते और अल्लाह पर भरोसा रखते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं। आधुनिक युग में जहाँ प्रतिस्पर्धा और चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं, यह आयत हमें यह याद दिलाती है कि संघर्ष के मैदान में विजय उसी की होती है जो शारीरिक रूप से थका होने पर भी मानसिक रूप से अडिग रहता है और आध्यात्मिक रूप से प्रेरित रहता है।
वालहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन (और सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो सारे जहानों का पालनहार है)।