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कुरआन की आयत 4:113 की पूरी व्याख्या

 आयत का अरबी पाठ:

وَلَوْلَا فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَتُهُ لَهَمَّت طَّائِفَةٌ مِّنْهُمْ أَن يُضِلُّوكَ وَمَا يُضِلُّونَ إِلَّا أَنفُسَهُمْ وَمَا يَضُرُّونَكَ مِن شَيْءٍ ۚ وَأَنزَلَ اللَّهُ عَلَيْكَ الْكِتَابَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُن تَعْلَمُ ۚ وَكَانَ فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكَ عَظِيمًا

हिंदी अनुवाद:
"और अगर आप पर अल्लाह का अनुग्रह और उसकी दया न होती, तो उनमें से एक गिरोह ने आपको गुमराह करने का इरादा कर लिया था, हालाँकि वे अपने आप को ही गुमराह करते हैं और आपका कुछ भी नुकसान नहीं कर सकते। और अल्लाह ने आपकी ओर किताब और हिकमत (ज्ञान) उतारी और आपको वह सिखाया जो आप नहीं जानते थे। और आप पर अल्लाह का बड़ा अनुग्रह है।"


📖 आयत का सार और सीख:

इस आयत का मुख्य संदेश अल्लाह की विशेष रहमत और संरक्षण के बारे में है। यह हमें सिखाती है:

  1. ईश्वरीय संरक्षण: अल्लाह अपने पैगंबर और ईमान वालों को बुरी शक्तियों से बचाता है।

  2. शत्रुओं की सीमा: बुरे लोग दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन असल में वे खुद को ही नुकसान पहुँचाते हैं।

  3. ज्ञान का उपहार: कुरआन और हिकमत (ज्ञान) अल्लाह की सबसे बड़ी देन है।


🕰️ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (Past Relevance):

  • पैगंबर के विरोधियों की साजिशें: यह आयत मक्का और मदीना के उन लोगों के बारे में उतरी जो पैगंबर मुहम्मद (सल्ल0) को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे।

  • मुनाफिकों के षड्यंत्र: मदीना के पाखंडी विभिन्न तरीकों से पैगंबर को भटकाने का प्रयास करते थे।

  • ईश्वरीय सहायता का वादा: इस आयत ने पैगंबर और मोमिनीन को आश्वस्त किया कि अल्लाह की मदद उनके साथ है।


💡 वर्तमान और भविष्य के लिए प्रासंगिकता (Contemporary & Future Relevance):

1. व्यक्तिगत आस्था और संरक्षण:

  • ईमान की सुरक्षा: बुरे लोगों और नकारात्मक प्रभावों से अपने ईमान की रक्षा करना।

  • अल्लाह पर भरोसा: हर मुश्किल में अल्लाह की मदद पर विश्वास बनाए रखना।

2. शिक्षा और ज्ञान का महत्व:

  • कुरआन की शिक्षा: कुरआन और हदीस का ज्ञान हासिल करना।

  • आधुनिक शिक्षा: दुनियावी ज्ञान के साथ-साथ धार्मिक ज्ञान भी हासिल करना।

3. सामाजिक चुनौतियाँ:

  • गुमराह करने वाले तत्व: समाज में फैले भ्रामक विचारों और लोगों से सतर्क रहना।

  • धार्मिक पहचान: इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ फैलाई जा रही गलत जानकारियों का सामना करना।

4. मानसिक शक्ति:

  • आत्मविश्वास: बुरे लोगों की बातों से प्रभावित न होना।

  • सकारात्मक सोच: अल्लाह की मदद पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ना।

5. युवाओं के लिए मार्गदर्शन:

  • सही राह का चयन: गलत संगत और बुरी आदतों से दूर रहना।

  • ज्ञान की तलाश: धार्मिक और दुनियावी ज्ञान दोनों को हासिल करना।

6. डिजिटल युग में प्रासंगिकता:

  • ऑनलाइन भ्रामक सामग्री: इंटरनेट पर फैली गलत जानकारियों से सतर्क रहना।

  • सोशल मीडिया का सही उपयोग: इस्लाम के बारे में सही जानकारी फैलाना।

7. भविष्य के लिए मार्गदर्शन:

  • वैश्विक इस्लामोफोबिया: इस्लाम के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम का सामना करना।

  • आधुनिक चुनौतियों का सामना: नए जमाने की समस्याओं के लिए कुरआन से मार्गदर्शन लेना।


निष्कर्ष:

कुरआन की यह आयत अल्लाह की विशेष कृपा और ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह सिखाती है कि अल्लाह अपने बंदों को बुरी शक्तियों से बचाता है और उन्हें ज्ञान का खजाना देकर सम्मानित करता है। आधुनिक युग में जहाँ मुसलमान विभिन्न प्रकार की चुनौतियों और भ्रमों का सामना कर रहे हैं, यह आयत हमें याद दिलाती है कि कुरआन का ज्ञान और अल्लाह पर अटूट विश्वास ही हमें हर मुसीबत से बचा सकता है

वालहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन (और सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो सारे जहानों का पालनहार है)।