Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 4:26 की पूर्ण व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

يُرِيدُ اللَّهُ لِيُبَيِّنَ لَكُمْ وَيَهْدِيَكُمْ سُنَنَ الَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ وَيَتُوبَ عَلَيْكُمْ ۗ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ


2. आयत का हिंदी अर्थ (Meaning in Hindi)

"अल्लाह तुम्हारे लिए (अपने आदेश) स्पष्ट करना चाहता है और तुम्हें तुमसे पहले गुजरे हुए लोगों के (सही) रास्तों पर चलाना चाहता है और तुमपर दया करना (तुम्हारी तौबा कुबूल करना) चाहता है। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, तत्वदर्शी है।"


3. आयत से मिलने वाला सबक (Lesson from the Verse)

  1. अल्लाह की दया और मार्गदर्शन: यह आयत अल्लाह के प्रति कृतज्ञता का भाव पैदा करती है। यह बताती है कि अल्लाह का उद्देश्य मनुष्य को भटकाना नहीं, बल्कि उसके लिए हर बात को स्पष्ट करना और सीधा मार्ग दिखाना है। यह इस्लाम के मूल सार को दर्शाती है - मार्गदर्शन और दया।

  2. इतिहास से सीख: "तुमसे पहले गुजरे हुए लोगों के रास्तों" का उल्लेख हमें इतिहास से सीखने का संदेश देता है। पिछली समुदायों के अच्छे रिवाजों और पैगंबरों की शिक्षाओं को अपनाना और उनकी गलतियों से सबक लेना चाहिए।

  3. तौबा और क्षमा का दरवाजा: आयत फिर से इस बात पर जोर देती है कि अल्लाह तौबा करने वालों पर दया करना चाहता है। यह आशा का संदेश है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसने कितनी भी गलतियाँ क्यों न की हों, अल्लाह की क्षमा और मार्गदर्शन पा सकता है।

  4. अल्लाह का ज्ञान और हिकमत: आयत का अंत इस बात पर बल देता है कि अल्लाह सब कुछ जानने वाला और तत्वदर्शी है। उसका हर नियम और मार्गदर्शन पूर्ण ज्ञान और गहरी हिकमत पर आधारित है, भले ही हम उसे पूरी तरह न समझ पाएँ।


4. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

अतीत में प्रासंगिकता (Past Relevance):

  • मार्गदर्शन की निरंतरता: जब यह आयत उतरी, तो इसने मुसलमानों को यह आश्वासन दिया कि उनका धर्म कोई नया या अजीब धर्म नहीं है, बल्कि यह पिछले पैगंबरों (जैसे इब्राहीम, मूसा, ईसा) के सही मार्ग की पुष्टि और पूर्णता है। इसने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया।

  • स्पष्टता और निश्चितता: पिछली आयतों में दिए गए जटिल पारिवारिक और सामाजिक नियमों (विरासत, विवाह आदि) के बाद, इस आयत ने यह स्पष्ट किया कि इन नियमों का उद्देश्य मनुष्य के लिए जीवन को कठिन बनाना नहीं, बल्कि स्पष्ट और न्यायपूर्ण बनाना है।

वर्तमान में प्रासंगिकता (Present Relevance):

  • धार्मिक समन्वय और सहिष्णुता: आज के विविधतापूर्ण world में, यह आयत हमें सिखाती है कि इस्लाम अपने से पहले के सभी दिव्य धर्मों का सम्मान करता है और उनके सही मार्गों की पुष्टि करता है। यह धार्मिक सहिष्णुता और अंतर्धार्मिक संवाद को बढ़ावा देती है।

  • जीवन की जटिलताओं के लिए मार्गदर्शन: आज का जीवन बहुत जटिल है। यह आयत हमें याद दिलाती है कि अल्लाह ने जीवन के हर पहलू (विवाह, तलाक, विरासत, नैतिकता) के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन भेजा है। हमें इस मार्गदर्शन की ओर रुख करना चाहिए ताकि हमारा जीवन सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हो सके।

  • आशा और सुधार का संदेश: कोई भी व्यक्ति अपने past के बोझ तले दबा हुआ महसूस कर सकता है। यह आयत कहती है कि अल्लाह तुमपर दया करना चाहता है। यह आशा और psychological healing का एक शक्तिशाली स्रोत है, जो लोगों को सुधार और बेहतर जीवन की ओर बढ़ने का साहस देती है।

  • वैज्ञानिक जिज्ञासा और ईश्वरीय ज्ञान: "अल्लाह सब कुछ जानने वाला है" का सिद्धांत एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है। यह हमें सिखाता है कि चूंकि अल्लाह का ज्ञान पूर्ण है, इसलिए हमें उसके बनाए नियमों (प्रकृति के नियम और धार्मिक नियम) का सम्मान करना चाहिए और उनकी गहराई में जाने का प्रयास करना चाहिए।

भविष्य में प्रासंगिकता (Future Relevance):

  • शाश्वत मार्गदर्शन: भविष्य की दुनिया चाहे कितनी भी तेजी से बदल जाए, मनुष्य की मौलिक आवश्यकताएँ - स्पष्टता, मार्गदर्शन, क्षमा और आशा - हमेशा बनी रहेंगी। यह आयत इन आवश्यकताओं की पूर्ति का एक स्थायी स्रोत बनी रहेगी।

  • नैतिक आधार: तकनीकी उन्नति के साथ, नैतिक सवाल और भी जटिल होते जाएँगे। यह आयत भविष्य की पीढ़ियों को यह आधार देगी कि उनके पास एक सर्वज्ञ और तत्वदर्शी ईश्वर का मार्गदर्शन है, जो हर युग में प्रासंगिक है।

  • एकता का सूत्र: "पिछले लोगों के रास्ते" का सिद्धांत मानवता को एक सूत्र में बाँधता है। यह भविष्य के global society को याद दिलाता रहेगा कि सभी मनुष्य एक ही ईश्वरीय मार्गदर्शन की परंपरा का हिस्सा हैं।

निष्कर्ष:
कुरआन की आयत 4:26 पूरे इस्लामी विधान (शरीयत) के पीछे के दर्शन और उद्देश्य को स्पष्ट करती है। यह अतीत में एक आश्वासन थी, वर्तमान में एक संपूर्ण जीवन-मार्गदर्शक है और भविष्य के लिए आशा और नैतिकता का एक शाश्वत स्रोत है। यह आयत इस्लाम को एक कठोर और निरर्थक नियमों का समूह नहीं, बल्कि अल्लाह की ओर से एक दयालु, बुद्धिमत्तापूर्ण और संपूर्ण मार्गदर्शन के रूप में पेश करती है।