Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन 1:7 - "सिरातल्लजीना अनअम्ता अलैहिम, गैरिल मगदूबि अलैहिम वलद्दोल्लीन" (صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ)

 यहाँ कुरआन की सातवीं और अंतिम आयत (सूरह अल-फातिहा, आयत 7) का पूर्ण विस्तृत व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत है।


कुरआन 1:7 - "सिरातल्लजीना अनअम्ता अलैहिम, गैरिल मगदूबि अलैहिम वलद्दोल्लीन" (صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ)

हिंदी अर्थ: "उन लोगों का मार्ग, जिन पर तूने अनुकंपा की, उनका नहीं जिन पर तेरा कोप हुआ और न उनका जो पथभ्रष्ट हैं।"

यह आयत सूरह अल-फातिहा का समापन है और यह सीधे मार्ग ("सिरात-ए-मुस्तक़ीम") की स्पष्ट परिभाषा प्रस्तुत करती है, जिसके लिए हमने पिछली आयत में प्रार्थना की थी। यह आयत मानव इतिहास में मार्गदर्शन के तीन स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।

आइए, इस आयत को शब्द-दर-शब्द और उसके गहन अर्थों में समझते हैं।


1. शब्दार्थ विश्लेषण (Word-by-Word Analysis)

  • सिरात (Siraat): मार्ग, रास्ता (आयत 6 की तरह)।

  • अल्लजीना (Allazeena): जिन लोगों पर।

  • अनअम्ता (An'amta): तूने एहसान (अनुग्रह) किया। यह "नेमत" (उपहार) शब्द से है।

  • अलैहिम (Alaihim): उन पर।

  • गैरि (Ghayri): नहीं, के अलावा।

  • अल-मगदूबि (Al-Maghdubi): जिन पर ग़ज़ब (क्रोध) हुआ। यह "ग़ज़ब" (क्रोध) शब्द से है।

  • वला (Wa la): और न।

  • अद-दोल्लीन (Ad-Daalleen): जो गुमराह (भटके हुए) हैं। यह "दलाल" (भटकना) शब्द से है।


2. गहन अर्थ और संदेश (In-depth Meaning & Message)

यह आयत "सीधे मार्ग" को तीन श्रेणियों में विभाजित करके समझाती है:

1. अनुग्रह प्राप्त लोग (Those Who Have Earned Divine Favor):

  • "सिरातल्लजीना अनअम्ता अलैहिम" - "उन लोगों का मार्ग जिन पर तूने अनुकंपा की।"

  • कौन हैं ये लोग? कुरआन की सूरह अन-निसा (4:69) में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि ये लोग हैं: पैगंबर, सच्चे लोग, शहीद और पुण्यात्माएँ

  • अर्थ: ये वे लोग हैं जिन्होंने अल्लाह के मार्गदर्शन को स्वीकार किया, उस पर दृढ़ता से चले और अल्लाह को प्रसन्न किया। यह मार्ग ईमान, अच्छे कर्म और सच्चाई का मार्ग है। हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह हमें भी इसी मार्ग पर चलने की ताकत दे।

2. क्रोध के पात्र लोग (Those Who Incurred Divine Wrath):

  • "गैरिल मगदूबि अलैहिम" - "उनका नहीं जिन पर तेरा कोप हुआ।"

  • कौन हैं ये लोग? इस्लामी परंपरा के अनुसार, यह श्रेणी विशेष रूप से उन यहूदियों को संदर्भित करती है जिन्हें अल्लाह का मार्गदर्शन मिला, लेकिन उन्होंने जानबूझकर उसका विरोध किया, अल्लाह की आयतों में तोड़-मरोड़ की और पैगंबरों की हत्या की। उनके पास ज्ञान था, लेकिन उन्होंने उस पर अमल नहीं किया।

  • विशेषता: इन लोगों की पहचान जानबूझकर अवज्ञा और हठधर्मिता है। उन पर अल्लाह का क्रोध इसलिए भड़का क्योंकि उन्होंने सत्य को जानते-बूझते ठुकरा दिया।

3. पथभ्रष्ट लोग (Those Who Are Astray):

  • "वलद्दोल्लीन" - "और न उनका जो पथभ्रष्ट हैं।"

  • कौन हैं ये लोग? इस्लामी परंपरा के अनुसार, यह श्रेणी विशेष रूप से ईसाइयों को संदर्भित करती है जो इबादत और आस्था के मामले में सच्चाई से भटक गए। उन्होंने पैगंबर ईसा (ईसा मसीह) को भगवान का पुत्र बना दिया, त्रित्व का सिद्धांत बना लिया और धर्म में अतिशयोक्ति (बिदअत) कर डाली।

  • विशेषता: इन लोगों की पहचान अज्ञानता और भटकाव है। उनका इरादा बुरा नहीं हो सकता, लेकिन वे सत्य को न जानने के कारण गलत मार्ग पर चल पड़े।


3. गहन अर्थ और संदेश (In-depth Meaning & Message)

  1. मार्गदर्शन की सकारात्मक और नकारात्मक परिभाषा: अल्लाह हमें न केवल बताता है कि सही मार्ग क्या है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि गलत मार्ग कौन से हैं। यह मनुष्य को हर प्रकार की गुमराही से सचेत करता है।

  2. दो प्रकार की गुमराही: यह आयत गुमराही के दो प्रमुख प्रकार बताती है:

    • विद्रोह की गुमराही (ग़ज़ब): यह बौद्धिक और जानबूझकर की गई गुमराही है। सत्य को जानकर भी उसका विरोध करना।

    • अज्ञानता की गुमराही (दलाल): यह आस्था और अमल में भटकाव है। इरादे अच्छे हो सकते हैं, लेकिन ज्ञान के अभाव में रास्ता गलत हो जाता है।

  3. एक सार्वभौमिक प्रार्थना: यद्यपि तफ्सीर (व्याख्या) में विशेष समुदायों का उल्लेख है, लेकिन यह प्रार्थना सार्वभौमिक है। एक मुसलमान इस दुआ के जरिए अल्लाह से यह माँग करता है:

    • "हे अल्लाह! मुझे उन यहूदियों जैसा न बना, जिन्होंने तेरे आदेशों को जानकर भी तोड़ा।"

    • "और मुझे उन ईसाइयों जैसा भी न बना, जो इबादत में गलत दिशा में चले गए।"

    • "बल्कि मुझे उन नेक लोगों की श्रेणी में शामिल कर, जिन्होंने तेरे मार्ग को अपनाया।"

  4. व्यावहारिक जीवन में अनुप्रयोग: यह आयत हर मुसलमान को यह सिखाती है कि वह अपने जीवन में सत्य के मार्ग से न भटके। यह उसे धार्मिक अतिवाद, कट्टरता और गलत प्रथाओं से बचाती है।


सूरह अल-फातिहा का समग्र सारांश (Overall Summary of Surah Al-Fatihah)

सूरह अल-फातिहा एक संपूर्ण प्रार्थना है जो तीन भागों में विभाजित है:

  1. प्रशंसा और गुणगान: आयत 1 से 4 तक, बंदा अल्लाह की महानता, दया और प्रभुत्व की प्रशंसा करता है।

  2. समर्पण और प्रतिज्ञा: आयत 5 में, बंदा अपना समर्पण व्यक्त करता है और केवल अल्लाह से मदद माँगता है।

  3. प्रार्थना और मार्गदर्शन की याचना: आयत 6 और 7 में, बंदा सीधे मार्ग के लिए प्रार्थना करता है और हर प्रकार की गुमराही से सुरक्षा की माँग करता है।

निष्कर्ष (Conclusion):
सूरह अल-फातिहा केवल सात आयतों में पूरे कुरआन का सार प्रस्तुत कर देती है। यह अल्लाह और बंदे के बीच एक पवित्र वार्तालाप है। यह मनुष्य को उसके जीवन का लक्ष्य, उसकी जिम्मेदारी और उसकी कमजोरी का एहसास कराती है। यह प्रार्थना हर मुसलमान के जीवन का आधार है, जिसे वह दिन में कम से कम 17 बार दोहराता है, ताकि उसका संबंध अपने पालनहार के साथ सदैव जीवित और स्थिर रहे।