१. पूरा आयत अरबी में:
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَقُولُوا رَاعِنَا وَقُولُوا انظُرْنَا وَاسْمَعُوا ۗ وَلِلْكَافِرِينَ عَذَابٌ أَلِيمٌ
२. शब्द-दर-शब्द अर्थ (Arabic Words Meaning):
يَا أَيُّهَا: हे।
الَّذِينَ آمَنُوا: ईमान वालों।
لَا تَقُولُوا: न कहो।
رَاعِنَا: "हमारी देखभाल करो" (एक अपमानजनक शब्द में बदल दिया गया)।
وَقُولُوا: और कहो।
انظُرْنَا: "हमें (कृपया) देखिए/हमारी ओर ध्यान दीजिए"।
وَاسْمَعُوا: और सुनो (ध्यान से)।
وَلِلْكَافِرِينَ: और इनकार करने वालों के लिए।
عَذَابٌ: यातना है।
أَلِيمٌ: दर्दनाक।
३. आयत का पूरा अर्थ (Full Explanation in Hindi):
इस आयत का पूरा अर्थ है: "हे ईमान वालो! (पैगंबर से) 'राइना' न कहो, बल्कि 'उन्जुरना' कहो और (पैगंबर की बात) ध्यान से सुनो। और काफिरों के लिए दर्दनाक यातना है।"
गहन व्याख्या:
यह आयत एक बहुत ही सूक्ष्म और व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करती है। जब पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सहाबा (साथियों) को कुछ समझाते, तो वे कभी-कभी अरबी भाषा के शब्द "राइना" (رَاعِنَا) का इस्तेमाल करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है "हमारी देखभाल करो" या "हम पर ध्यान दो," यानी "हमारी तरफ रहम की निगाह रखिए और हमें समझाइए।"
हालाँकि, मदीना के दुष्ट यहूदी इस अवसर का फायदा उठाते थे। वे इस शब्द का उच्चारण बदलकर या उसी के समान एक यहूदी शब्द का इस्तेमाल करके पैगंबर का मज़ाक उड़ाते थे, जिसका अर्थ गाली या अपशब्द होता था।
इस स्थिति में, अल्लाह ने स्वयं हस्तक्षेप किया और मुसलमानों को आदेश दिया:
निषेध: "राइना मत कहो" - ताकि यहूदियों को मज़ाक उड़ाने का मौका न मिले।
विकल्प: "बल्कि 'उन्जुरना' कहो" - यह शब्द (انظُرْنَا) भी लगभग एक ही अर्थ ("हमें देखिए/हमारी ओर ध्यान दीजिए") रखता है, लेकिन यहूदी इसे बिगाड़कर अपमानजनक नहीं बना सकते थे।
सुनने का आदेश: "और ध्यान से सुनो" - यह दर्शाता है कि लक्ष्य पैगंबर की बात को समझना है, न कि केवल शब्दों पर बहस करना।
आयत का अंत उन काफिरों (यहूदियों) के लिए एक चेतावनी के साथ होता है जो इस तरह की हरकतें कर रहे थे कि उनके लिए दर्दनाक सज़ा तैयार है।
४. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral):
शिष्टाचार का महत्व: पैगंबर से बात करने में सम्मानजनक और उचित शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
दुश्मनों की चालबाजी से सावधान: मुसलमानों को हमेशा दुश्मनों की साजिशों और उनकी बोली को बिगाड़ने की कोशिशों के प्रति सजग रहना चाहिए।
अल्लाह की देखभाल: अल्लाह अपने पैगंबर और ईमान वालों की हिफाजत करता है, यहाँ तक कि छोटी-छोटी बातों में भी।
सुनना और मानना: पैगंबर की शिक्षाओं का असली उद्देश्य उन्हें ध्यान से सुनना और उन पर अमल करना है।
५. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):
अतीत (Past) के संदर्भ में:
यह आयत सीधे तौर पर मदीना के यहूदियों की उस चाल का जवाब थी जिसमें वे पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अपमान करने के लिए शब्दों को तोड़-मरोड़ रहे थे।
इसने सहाबा को एक स्पष्ट और सुरक्षित विकल्प दिया।
वर्तमान (Present) के संदर्भ में:
शब्दों के खेल से सावधान: आज भी इस्लाम और पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के खिलाफ लोग शब्दों को तोड़-मरोड़ कर या गलत अर्थ निकालकर हमले करते हैं (जैसे "जिहाद" को "पवित्र युद्ध" बताना)। मुसलमानों को सच्चाई स्पष्ट करनी चाहिए और सही शब्दावली का इस्तेमाल करना चाहिए।
सोशल मीडिया और मिम्स (Memes): सोशल मीडिया पर पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और इस्लाम का मज़ाक उड़ाने के लिए अक्सर शब्दों और तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जाता है। यह आयत हमें सिखाती है कि ऐसी हरकतों से सावधान रहें और जवाब में सम्मानजनक ढंग से सच्चाई पेश करें।
आपसी बातचीत में अदब: मुसलमानों को आपस में और दूसरों से बात करते समय भी नम्र और सम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।
धार्मिक नेताओं के प्रति सम्मान: उलेमा और धार्मिक शिक्षकों से बात करते समय भी सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
भविष्य (Future) के संदर्भ में:
शाश्वत मार्गदर्शन: यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को सिखाएगी कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के प्रति प्यार और सम्मान उनके बारे में बोलने और उनकी शिक्षाओं को संभालने के तरीके में भी झलकना चाहिए।
भाषा की सुरक्षा: यह आयत भविष्य के मुसलमानों को यह याद दिलाती रहेगी कि इस्लामी शब्दावली और अवधारणाओं को विकृत होने से बचाना उनकी जिम्मेदारी है।
विवेक का आह्वान: यह आयत हमेशा मुसलमानों को सिखाती रहेगी कि उन्हें बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए और ऐसे शब्दों या तरीकों से बचना चाहिए जिनका गलत इस्तेमाल हो सकता है।
निष्कर्ष: क़ुरआन की यह आयत "शब्दों की पवित्रता" और "शिष्टाचार" के महत्व को स्थापित करती है। यह दर्शाती है कि अल्लाह की देखभाल इतनी सूक्ष्म है कि वह अपने पैगंबर के सम्मान की रक्षा के लिए एक शब्द बदलवा देता है। यह अतीत की एक चाल का पर्दाफाश, वर्तमान के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शन और भविष्य के लिए शिष्टाचार और सजगता का एक स्थायी पाठ है।