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कुरआन की आयत 2:117 की पूरी व्याख्या

 यहाँ कुरआन की आयत 2:117 की पूरी व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत की जा रही है:

﴿بَدِيعُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ وَإِذَا قَضَىٰٓ أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ﴾

हिंदी अनुवाद:

"वह आकाशों और धरती का उत्पत्तिकर्ता है। और जब वह किसी बात का फैसला करता है, तो वह उससे केवल इतना कहता है कि 'हो जा,' और वह हो जाती है।"


शब्द-दर-शब्द अर्थ (Arabic Words Meaning):

  • بَدِيعُ : उत्पत्तिकर्ता / अद्भुत सृष्टिकर्ता / आविष्कारक

  • ٱلسَّمَـٰوَٰتِ : आकाशों का

  • وَٱلْأَرْضِ : और धरती का

  • وَإِذَا : और जब

  • قَضَىٰٓ : फैसला करता है / निर्णय करता है

  • أَمْرًا : एक आदेश / एक बात

  • فَإِنَّمَا : तो केवल / तो बस

  • يَقُولُ : कहता है

  • لَهُۥ : उस (बात) से

  • كُن : हो जा

  • فَيَكُونُ : तो वह हो जाती है


पूर्ण व्याख्या (Full Explanation):

यह आयत पिछली आयतों का तार्किक परिणाम है। जब अल्लाह ने संतान के झूठे दावों का खंडन किया और अपनी पवित्रता बताई, तो अब वह अपनी सर्वोच्च सत्ता और शक्ति का प्रमाण देता है।

आयत के दो मुख्य भाग:

1. बदीउस समावाति वल-अर्द (वह आकाशों और धरती का उत्पत्तिकर्ता है):

  • "बदीउ" शब्द बहुत ही गहरा अर्थ रखता है। इसका मतलब है वह जो बिना किसी नमूने या उदाहरण के, पहली बार किसी चीज़ की रचना करे। अल्लाह ने इस विशाल और जटिल ब्रह्मांण की रचना बिल्कुल शून्य से की। यह उसकी असीम शक्ति और ज्ञान का प्रमाण है।

  • यह बताता है कि अल्लाह सृष्टि का मालिक ही नहीं, बल्कि उसका मूल स्रोत और रचयिता है। कोई संतान क्यों होगी जब वह स्वयं ही सब कुछ पैदा करने वाला है?

2. व इज़ा कज़ा अम्रन फ़इन्नमा यकूलु लहू कुन फा यकून (और जब वह किसी बात का फैसला करता है, तो वह उससे केवल इतना कहता है कि 'हो जा,' और वह हो जाती है):

  • यह अल्लाह की शक्ति का सबसे स्पष्ट और सुंदर वर्णन है। उसे किसी भी चीज़ को बनाने के लिए उपकरणों, समय या मेहनत की आवश्यकता नहीं है।

  • उसका "कुन" (हो जा) कहना ही काफी है। यह उसकी इच्छा शक्ति (इरादा) का प्रतीक है। उसकी इच्छा और उसके आदेश के बीच कोई अंतराल नहीं है।

  • "फ़ा यकून" (तो वह हो जाती है) यह दर्शाता है कि उसका आदेश तुरंत और बिना किसी रुकावट के पूरा हो जाता है।

संदर्भ: यह आयत विशेष रूप से हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) के बारे में ईसाइयों के दावे का जवाब देती है। वे कहते थे कि ईसा अल्लाह के "बेटे" हैं। इस आयत का संदेश है: अल्लाह के लिए किसी को "बेटा" बनाना कोई बड़ी बात नहीं है। अगर वह चाहे, तो बस "कुन" कहकर किसी को भी पैदा कर सकता है, जैसे उसने बिना पिता के आदम (अलैहिस्सलाम) को मिट्टी से और ईसा (अलैहिस्सलाम) को बिना पिता के पैदा किया। इसलिए, किसी के विशेष तरीके से पैदा होने का मतलब यह नहीं कि वह अल्लाह का बेटा है। वह तो अल्लाह की सृष्टि का एक हिस्सा है।


शिक्षा और सबक (Lesson and Moral):

  • अल्लाह की सर्वशक्तिमत्ता: अल्लाह की शक्ति असीम और निरपेक्ष है। उसकी इच्छा के आगे प्रकृति के सभी नियम बौने हैं। वह जो चाहे, जब चाहे, जैसे चाहे कर सकता है।

  • ईश्वर और सृष्टि में अंतर: ईश्वर सृष्टि से पूरी तरह अलग और महान है। सृष्टि उसकी "कुन" आज्ञा का परिणाम है, न कि उसका अंश या संतान।

  • ईमान की मजबूती: इस आयत पर विश्वास करने से इंसान का ईमान मजबूत होता है। वह जानता है कि उसका रब हर चीज़ पर क़ादिर (सामर्थ्यवान) है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी मुश्किल क्यों न हों।

  • विनम्रता: जब इंसान यह समझता है कि उसका अस्तित्व सिर्फ़ अल्लाह के "कुन" का नतीजा है, तो उसमें घमंड और अहंकार के लिए कोई जगह नहीं रहती।


अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):

  • अतीत (Past) में प्रासंगिकता: यह आयत प्रारंभिक मुसलमानों के लिए एक शक्तिशाली सांत्वना और आश्वासन थी, जो कम संख्या में होने और सताए जाने के बावजूद अल्लाह की इस शक्ति पर भरोसा करते थे कि वह "कुन" कहकर उनकी स्थिति बदल सकता है। इसने उन्हें दृढ़ता दी।

  • वर्तमान (Present) में प्रासंगिकता: आज के दौर में यह आयत अत्यधिक प्रासंगिक है:

    • वैज्ञानिक युग में ईमान: आज का मनुष्य बिग बैंग और ब्रह्मांड के विस्तार जैसी वैज्ञानिक थ्योरीज से परिचित है। यह आयत उस "प्रथम कारण" (First Cause) की ओर इशारा करती है जिसने बिना किसी पूर्व सामग्री के इस विशाल ब्रह्मांण की शुरुआत की - "कुन" कहकर।

    • व्यक्तिगत संकटों में आशा: जब कोई व्यक्ति बीमारी, वित्तीय संकट या किसी असंभव सी लगने वाली समस्या से घिरा हो, तो यह आयत उसे याद दिलाती है कि उसका रब "कुन फा यकून" वाला है। उसके लिए कोई चीज़ असंभव नहीं है। बस उसे अल्लाह से मदद माँगनी चाहिए।

    • चमत्कारों का सिद्धांत: इस्लामी अक़ीदे के अनुसार, अल्लाह अपने पैगंबरों की सच्चाई साबित करने के लिए प्रकृति के नियमों को बदल देता (मोजिज़ा दिखाता) है। यह आयत उसकी उस क्षमता की नींव है।

  • भविष्य (Future) में प्रासंगिकता: जब तक इंसान रहेगा, वह सृष्टि के रहस्य और अपने अस्तित्व के उद्देश्य को जानने की कोशिश करता रहेगा। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी के लिए एक स्थायी प्रमाण के रूप में काम करेगी कि इस सृष्टि का एक ही मालिक और नियंत्रक है, और वह अल्लाह है। जो भी चिकित्सा, तकनीकी या सामाजिक चमत्कार इंसान देखेगा, वह इस आयत की याद दिलाएगा कि असली "बदीउ" (आविष्कारक) और "कुन फा यकून" कहने वाला केवल अल्लाह ही है। यह आयत हर युग के मुसलमान के दिल में अल्लाह की शक्ति पर अटूट विश्वास पैदा करती रहेगी।