यह आयत पिछली आयत (2:172) में दिए गए सामान्य आदेश "हलाल और पवित्र चीज़ें खाओ" को विस्तार से समझाती है। यह स्पष्ट रूप से बताती है कि हराम (निषिद्ध) चीज़ें कौन-सी हैं और साथ ही एक बहुत महत्वपूर्ण रियायत (छूट) भी प्रदान करती है, जो इस्लाम के व्यावहारिक और दयालु स्वभाव को दर्शाती है।
1. पूरी आयत अरबी में:
إِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنزِيرِ وَمَا أُهِلَّ بِهِ لِغَيْرِ اللَّهِ ۖ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَلَا عَادٍ فَلَا إِثْمَ عَلَيْهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
2. आयत के शब्दार्थ (Word-to-Word Meaning):
إِنَّمَا (इन्नमा) : केवल (बस) उसी ने हराम ठहराया है
حَرَّمَ (हर्रमा) : हराम (वर्जित) किया
عَلَيْكُمُ (अलैकुम) : तुम पर
الْمَيْتَةَ (अल-मैतता) : मुर्दार (बिना ज़िब्ह किया हुआ जानवर)
وَالدَّمَ (वद-दम) : और (बहता हुआ) खून
وَلَحْمَ (व लहम) : और गोश्त
الْخِنزِيرِ (अल-खिंज़ीर) : सूअर का
وَمَا (व मा) : और वह (जानवर) जिस पर
أُهِلَّ (उहिल्ला) : पुकारा गया (गैर-अल्लाह का नाम लिया गया)
بِهِ (बिही) : उस पर
لِغَيْرِ اللَّهِ (लि-गैरिल्लाह) : अल्लाह के अलावा (किसी और के नाम पर)
فَمَنِ (फ़ा मनि) : फिर जिसने (जो व्यक्ति)
اضْطُرَّ (इद्तुर्रा) : मजबूर हो गया (असहाय स्थिति में)
غَيْرَ (ग़ैर) : बिना
بَاغٍ (बागिन) : सीमा तोड़ने वाला/जान-बूझकर
وَلَا (व ला) : और न
عَادٍ (आदिन) : अत्याचार करने वाला/ज़रूरत से ज़्यादा खाने वाला
فَلَا (फ़ा ला) : तो नहीं है
إِثْمَ (इसम) : कोई गुनाह
عَلَيْهِ (अलैहि) : उस पर
إِنَّ اللَّهَ (इन्नल्लाह) : निश्चय ही अल्लाह
غَفُورٌ (ग़फ़ूरुन) : बहुत क्षमा करने वाला है
رَّحِيمٌ (रहीमुन) : बहुत दयालु है
3. आयत का पूरा अर्थ और व्याख्या:
अर्थ: "उस (अल्लाह) ने तो केवल इन्हीं चीज़ों को तुम पर हराम ठहराया है: मुर्दार, (बहता हुआ) खून, सूअर का गोश्त और वह (जानवर) जिस पर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो। फिर जो कोई मजबूर हो जाए, बशर्ते कि वह सीमा तोड़ने वाला न हो और न ही ज़रूरत से ज़्यादा खाने वाला हो, तो उस पर कोई गुनाह नहीं है। निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमा करने वाला, दयालु है।"
व्याख्या:
इस आयत में दो स्पष्ट भाग हैं:
भाग 1: हराम (निषिद्ध) चीज़ों की सूची
अल्लाह चार प्रमुख चीज़ों को हराम घोषित करता है:
अल-मैतह (मुर्दार): वह जानवर जो स्वयं मर गया हो या बिना इस्लामी तरीके से ज़िब्ह किए मारा गया हो। इसके हराम होने का कारण स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी है क्योंकि इसमें रक्त जमा हो जाता है और रोगाणु पनपते हैं।
अद-दम (बहता हुआ खून): जानवर के ज़िब्ह के बाद बहने वाला खून। इसे भी स्वास्थ्य कारणों से हराम किया गया है।
लहमुल खिंज़ीर (सूअर का मांस): सूअर एक गंदा जानवर माना जाता है जो अपना और दूसरों का मल-मूत्र खाता है। इसका मांस कई तरह की बीमारियों (जैसे टेपवर्म) का carrier है। इस्लाम में यह आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरह से अशुद्ध है।
मा उहिल्ला बिही लि-गैरिल्लाह (वह जानवर जिस पर गैर-अल्लाह का नाम लिया गया हो): यह आयत 170 में बताई गई बात का Practical application है। अगर किसी जानवर को ज़िब्ह करते समय अल्लाह के अलावा किसी मूर्ति, संत या देवता का नाम लिया जाए, तो वह जानवर हराम हो जाता है, भले ही वह बकरी या ऊँट ही क्यों न हो। यह शिर्क (अल्लाह के साथ साझी ठहराना) से बचने का तरीका है।
भाग 2: आवश्यकता की स्थिति में रियायत (छूट)
इस्लाम एक कठोर धर्म नहीं है। यह मानवीय आवश्यकता और कमजोरी को समझता है:
"फ़ा मनिद्तुर्रा..." - जो व्यक्ति इन हराम चीज़ों को खाने के लिए मजबूर हो जाए। मजबूरी का मतलब है कि उसके सामने भूख-प्यास से मरने का खतरा हो और हलाल चीज़ बिल्कुल उपलब्ध न हो।
"ग़ैरा बागिन वला आदिन" - यह रियायत दो शर्तों के साथ है:
ग़ैरा बागिन: वह व्यक्ति इस मजबूरी को पैदा करने वाला न हो। यानी उसने जान-बूझकर ऐसी स्थिति न बनाई हो। (जैसे, बिना सफर के भोजन लिए जंगल में चला जाना)।
वला आदिन: वह आवश्यकता से अधिक न खाए। उसे केवल इतना खाना चाहिए जिससे उसकी जान बच जाए, पेट भरने के लिए नहीं।
"फ़ा ला इस्मा अलैह" - ऐसी शर्तों पर अगर वह हराम चीज़ खा लेता है, तो उस पर कोई पाप नहीं है।
"इन्नल्लाहा ग़फ़ूरुर रहीम" - निश्चित रूप से अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयालु है। यह अल्लाह की दया और उदारता को दर्शाता है।
4. शिक्षा और सबक (Lesson):
धर्म में स्पष्टता: इस्लाम अस्पष्ट नहीं है। यह स्पष्ट रूप से बताता है कि क्या वैध है और क्या अवैध।
स्वच्छता और स्वास्थ्य का महत्व: इन निषेधों के पीछे गहरी स्वास्थ्य संबंधी हिकमत (बुद्धिमत्ता) है। इस्लाम एक स्वस्थ और शुद्ध जीवन शैली को बढ़ावा देता है।
तौहीद (एकेश्वरवाद) की सुरक्षा: जानवर पर गैर-अल्लाह का नाम लेकर उसे हराम कर देना, इस्लाम के केंद्रीय सिद्धांत "तौहीद" की रक्षा करता है।
आसानी और लचीलापन: इस्लाम में कठोरता नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर रियायतें दी गई हैं, जो इसे एक व्यावहारिक और मानवीय धर्म बनाती हैं।
अल्लाह की दया: अल्लाह की दया और क्षमा हर स्थिति में मौजूद है। वह अपने बंदों पर अत्याचार नहीं करना चाहता।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य से प्रासंगिकता (Relevancy):
अतीत (Past) के लिए:
अरब के लोग: वे मुर्दार खाना, सूअर का मांस खाना और मूर्तियों के नाम पर जानवर ज़िब्ह करना आम बात थी। यह आयत उन्हें एक नई, शुद्ध और एकेश्वरवादी जीवन शैली की तरफ ले गई।
वर्तमान (Present) के लिए:
हलाल फूड स्टैंडर्ड: आज पूरी दुनिया में "हलाल" का चिह्न इसी आयत पर आधारित है। मुसलमान इन निर्देशों का पालन करते हैं।
वैज्ञानिक पुष्टि: आधुनिक विज्ञान ने मुर्दार खाने, बहते खून और सूअर के मांस में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों की पुष्टि की है, जो इस आयत की दिव्य हिकमत को साबित करता है।
आध्यात्मिक शुद्धता: मुसलमान सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से ही नहीं, बल्कि अल्लाह के आदेश का पालन करने और आध्यात्मिक शुद्धता हासिल करने के लिए इन चीज़ों से दूर रहते हैं।
मजबूरी की स्थितियाँ: आपदा, युद्ध या अकाल के समय यह आयत मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन और मन की शांति का स्रोत है।
भविष्य (Future) के लिए:
खाद्य प्रौद्योगिकी: भविष्य में लैब-ग्रोन मीट या अन्य विकल्पों के आने पर भी, यह आयत हलाल और हराम की बुनियादी परिभाषा प्रदान करती रहेगी।
शाश्वत मार्गदर्शन: जब तक मानव जाति रहेगी, स्वास्थ्य, स्वच्छता और आध्यात्मिक शुद्धता के ये सिद्धांत प्रासंगिक बने रहेंगे। यह आयत अल्लाह के दयालु और व्यावहारिक कानून का एक स्थायी प्रमाण बनी रहेगी।