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क़ुरआन की आयत 2:188 की पूर्ण व्याख्या

यह आयत एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक सिद्धांत स्थापित करती है। यह संपत्ति और धन के अधिग्रहण के तरीकों पर स्पष्ट प्रतिबंध लगाती है, जिससे समाज में न्याय और ईमानदारी कायम रहे।

1. पूरी आयत अरबी में:

وَلَا تَأْكُلُوا أَمْوَالَكُم بَيْنَكُم بِالْبَاطِلِ وَتُدْلُوا بِهَا إِلَى الْحُكَّامِ لِتَأْكُلُوا فَرِيقًا مِّنْ أَمْوَالِ النَّاسِ بِالْإِثْمِ وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ

2. आयत के शब्दार्थ (Word-to-Word Meaning):

  • وَلَا (व ला) : और न

  • تَأْكُلُوا (ताकुलू) : खाओ (उपभोग करो, हड़प लो)

  • أَمْوَالَكُم (अम्वालकुम) : अपने माल (धन-संपत्ति) को

  • بَيْنَكُم (बैनकum) : आपस में

  • بِالْبَاطِلِ (बिल-बातिल) : बे-हक़, गलत तरीके से

  • وَتُدْلُوا (व तुल्लू) : और पेश (नहीं) करो

  • بِهَا (बिहा) : उन्हें (माल को)

  • إِلَى الْحُكَّامِ (इलल हुक्काम) : हाकिमों (न्यायाधीशों) के पास

  • لِتَأْكُلُوا (लिताकुलू) : ताकि तुम खा लो (हड़प लो)

  • فَرِيقًا (फ़रीक़न) : एक हिस्सा

  • مِّنْ (मिन) : से

  • أَمْوَالِ النَّاسِ (अम्वालिन्नास) : लोगों के माल का

  • بِالْإِثْمِ (बिल-इसम) : गुनाह के साथ

  • وَأَنتُمْ (व अनतum) : और तुम

  • تَعْلَمُونَ (तअ'लमून) : जानते हो


3. आयत का पूरा अर्थ और व्याख्या:

अर्थ: "और तुम एक-दूसरे के माल बे-हक़ (गलत तरीके से) न खाओ और न ही उन्हें (रिश्वत देकर) हाकिमों के सामने इसलिए पेश करो ताकि तुम लोगों के माल का एक हिस्सा गुनाह के साथ जान-बूझकर हड़प लो।"

व्याख्या:

यह आयत दो प्रमुख आर्थिक अपराधों पर प्रतिबंध लगाती है:

1. सीधा अन्याय (Direct Injustice): "व ला ताकुलू अम्वालकुम बैनकुम बिल-बातिल"

  • "बिल-बातिल" (बे-हक़/असत्य के साथ) एक बहुत व्यापक शब्द है जिसमें धन हड़पने के सभी गैर-कानूनी और अनैतिक तरीके शामिल हैं, जैसे:

    • चोरी, डकैती, लूट-पाट

    • धोखाधड़ी (जैसे नकली सामान बेचना, तौल में कमी करना)

    • सूद (ब्याज) लेना

    • जुआ खेलना

    • जबरन वसूली

    • विरासत का गलत तरीके से बँटवारा

2. न्यायिक भ्रष्टाचार (Judicial Corruption): "व तुल्लू बिहा इलल हुक्कामि लिताकुलू फ़रीक़न मिन अम्वालिन्नासि बिल-इसमि व अनतum तअ'लमून"

  • यह एक और गंभीर अपराध है। इसमें व्यक्ति किसी के हक के माल को हड़पने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करता है।

  • तरीका: रिश्वत देकर, जालसाजी करके, झूठे गवाह खड़े करके या न्यायाधीश को प्रभावित करके उसके सामने मामला पेश करना, ताकि गलत फैसले के जरिए दूसरे का माल हड़प सके।

  • आयत इस बात पर जोर देती है कि ऐसे लोग "व अनतum तअ'लमून" - "जबकि तुम जानते हो।" यानी उन्हें पूरी तरह अहसास है कि वे गुनाह कर रहे हैं और दूसरे का हक मार रहे हैं। यह उनके पाप को और भी बढ़ा देता है।

सरल शब्दों में: यह आयत कहती है कि दूसरे का माल हड़पने के दो तरीके हैं - एक तो सीधे जबरदस्ती या धोखे से, और दूसरा अदालत के चक्कर लगाकर। इस्लाम दोनों को सख्ती से मना करता है।


4. शिक्षा और सबक (Lesson):

  • संपत्ति का पवित्र अधिकार: हर इंसान की संपत्ति और धन उसके लिए पवित्र है। बिना उसकी मर्जी या गलत तरीके से उसे लेना एक बड़ा पाप है।

  • ईमानदारी in Dealings: एक मुसलमान का व्यवसाय और लेन-देन पूरी तरह ईमानदारी पर आधारित होना चाहिए।

  • न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग न करें: अदालत और कानून का उपयोग अन्याय करने के लिए नहीं, बल्कि न्याय पाने के लिए करना चाहिए। न्यायिक भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है।

  • सामाजिक न्याय: यह आयत एक न्यायपूर्ण समाज की नींव रखती है जहाँ कमजोर और गरीब लोग शक्तिशाली लोगों के शोषण से सुरक्षित रहें।


5. अतीत, वर्तमान और भविष्य से प्रासंगिकता (Relevancy):

  • अतीत (Past) के लिए:

    • जाहिली अरब समाज: उस समय में लूट-पाट, ब्याज और जबरन वसूली आम बात थी। शक्तिशाली लोग कमजोरों की संपत्ति हड़प लेते थे। यह आयत उस अन्याय को समाप्त करने आई।

  • वर्तमान (Present) के लिए:

    • भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी: आज का समाज भ्रष्टाचार, रिश्वत और घोटालों से भरा पड़ा है। यह आयत हर प्रकार के भ्रष्टाचार की निंदा करती है।

    • धोखाधड़ी और जालसाजी: ऑनलाइन स्कैम, नकली निवेश, फर्जी कंपनियाँ, इंश्योरेंस धोखाधड़ी - ये सभी "बिल-बातिल" (गलत तरीके) से दूसरे का माल खाने के आधुनिक रूप हैं।

    • न्यायिक देरी और दुरुपयोग: अमीर और प्रभावशाली लोग कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करके गरीबों को उनके हक से वंचित कर देते हैं। लंबी और महँगी judicial process के जरिए दूसरे को परेशान करना भी इसी श्रेणी में आता है।

    • ब्याज (सूद) Based Economy: आज की पूरी आर्थिक व्यवस्था ब्याज पर आधारित है, जिसे इस आयत में स्पष्ट रूप से "बिल-बातिल" (गलत तरीका) कहा गया है।

  • भविष्य (Future) के लिए:

    • डिजिटल अपराध: भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी हैकिंग, AI के जरिए धोखाधड़ी, और डेटा चोरी जैसे नए अपराध सामने आएँगे। यह आयत का सिद्धांत इन सभी पर लागू होगा कि किसी का डिजिटल एसेट भी उसकी "संपत्ति" है और उसे "बिल-बातिल" हड़पना हराम है।

    • शाश्वत आर्थिक नैतिकता: जब तक मानव समाज में धन और संपत्ति का अस्तित्व रहेगा, ईमानदारी और न्याय के इन सिद्धांतों की आवश्यकता बनी रहेगी। यह आयत हर युग के लिए एक स्थायी आर्थिक नैतिक संहिता (Permanent Economic Moral Code) प्रस्तुत करती है।