Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 2:204 (सूरह अल-बक़ारह) - पूर्ण व्याख्या

 

१. आयत का अरबी पाठ (Arabic Verse)

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن يُعْجِبُكَ قَوْلُهُۥ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَيُشْهِدُ ٱللَّهَ عَلَىٰ مَا فِى قَلْبِهِۦ وَهُوَ أَلَدُّ ٱلْخِصَامِ

२. शब्दार्थ (Word-by-Word Meaning)

अरबी शब्दहिंदी अर्थ
وَمِنَ ٱلنَّاسِऔर लोगों में से (कुछ ऐसे भी) हैं
مَنजो (व्यक्ति)
يُعْجِبُكَतुम्हें प्रभावित कर देता है
قَوْلُهُۥउसकी बातें (बोल)
فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَاदुनिया की ज़िंदगी में
وَيُشْهِدُ ٱللَّهَऔर गवाह बनाता है अल्लाह को
عَلَىٰ مَا فِى قَلْبِهِۦउस चीज़ पर जो उसके दिल में है
وَهُوَऔर वह (व्यक्ति) है
أَلَدُّसबसे ज़्यादा कट्टर, जिद्दी
ٱلْخِ�صَامِझगड़ालू, विवाद करने वालों में

३. पूर्ण अनुवाद और सरल व्याख्या (Full Translation & Simple Explanation)

अनुवाद: "और कुछ लोग ऐसे भी हैं (हे पैगंबर!) जिनकी दुनियावी ज़िंदगी की बातें तुम्हें प्रभावित कर देती हैं, और वह उस (इरादे) पर जो उसके दिल में है, अल्लाह को गवाह बनाता है, जबकि वह (वास्तव में) ज़बरदस्त झगड़ालू (और दुश्मन) होता है।"

सरल व्याख्या:
यह आयत एक खास किस्म के ढोंगी (मुनाफिक) और धूर्त व्यक्ति का चित्रण करती है। यह वह इंसान है जो:

  1. मधुर भाषणी: उसकी बातें इतनी मीठी और तर्कपूर्ण होती हैं कि सुनने वाला प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।

  2. कसमें खाने वाला: अपनी बात को और भी विश्वसनीय बनाने के लिए वह अल्लाह की कसमें खाता है और कहता है कि "मेरे दिल का इरादा बहुत साफ है, अल्लाह इसका गवाह है।"

  3. असली पहचान: लेकिन अंदर से वह सबसे ज़्यादा हठी, कट्टर और लड़ाई झगड़ा करने वाला इंसान होता है। उसके शब्द और उसके इरादे में जमीन-आसमान का अंतर होता है।

४. गहन व्याख्या, शिक्षा और संदेश (In-depth Explanation, Lesson & Message)

यह आयत मनुष्य की चरित्र की गहराई में उतरती है और केवल बाहरी दिखावे पर भरोसा न करने की शिक्षा देती है।

क. "तुम्हें प्रभावित कर देता है उसकी बातें" (यु'जिबुका कौलुहू):

  • दिखावे की हकीकत: इसका मतलब यह नहीं है कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) वास्तव में धोखा खा गए, बल्कि यह है कि उस व्यक्ति की बातें सुनकर ऐसा प्रतीत हो सकता है कि वह बहुत अच्छा इंसान है। यह एक सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया है।

  • चेतावनी: यह आम लोगों के लिए एक सबक है कि किसी को सिर्फ उसके चिकने-चुपड़े बोलों से आंकने की गलती न करें।

ख. "अल्लाह को गवाह बनाता है उस पर जो उसके दिल में है" (वा युशहिदुल्लाहा अला मा फी कलबिही):

  • ढोंग की पराकाष्ठा: यह ढोंग का सबसे ऊंचा और खतरनाक स्तर है। इंसान अल्लाह के नाम का इस्तेमाल अपने झूठ को सच साबित करने के लिए करता है। वह जानता है कि उसका दिल गन्दा है, फिर भी वह अल्लाह को गवाह बनाकर लोगों को धोखा देता है।

  • झूठी कसमों से सावधान: यह मुसलमानों को सिखाता है कि जो लोग हर छोटी-बड़ी बात पर अल्लाह की कसमें खाते फिरते हैं, उन पर संदेह करना चाहिए।

ग. "वह सबसे ज़्यादा झगड़ालू है" (वा हुवा अलद्दुल खिसाम):

  • असली चरित्र: उसकी मीठी जुबान के पीछे छिपा है एक ऐसा व्यक्तित्व जो हर बात में तर्क-वितर्क करता है, हठधर्मी है, बहस करने में माहिर है और जिसका उद्देश्य सच्चाई नहीं बल्कि अपनी बात मनवाना होता है।

  • खतरा: ऐसे लोग समाज में फूट डालने, झगड़े पैदा करने और लोगों को बरगलाने का काम करते हैं।

प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons):

  1. इरादे की शुद्धता पर जोर: इस्लाम में नीयत (इरादा) का स्थान सर्वोच्च है। बाहरी कर्म और बातें तब तक बेकार हैं जब तक दिल साफ न हो।

  2. सतर्कता की ज़रूरत: मुसलमान को चाहिए कि वह लोगों को सिर्फ उनके बोलों से न आंके। उसके कर्म, आचरण और निरंतरता को देखे।

  3. झूठी कसमों से बचें: अल्लाह के नाम का गलत इस्तेमाल एक बहुत बड़ा गुनाह है। इससे बचना चाहिए।

  4. बहस से परहेज: अनावश्यक बहस और झगड़े से दूर रहना चाहिए, खासकर जब वह अहंकार और जिद्द पर आधारित हो।

५. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)

अतीत में प्रासंगिकता:
यह आयत मदीना के उन मुनाफिक़ों (पाखंडियों) के बारे में उतरी थी जो पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सामने मीठी बातें करते थे लेकिन पीठ पीछे इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ साजिशें रचते थे। जैसे अब्दुल्लाह इब्न उबय्य जैसे लोग, जो बाहरी तौर पर ताकतवर और प्रभावशाली लगते थे लेकिन उनके इरादे खोटे थे। यह आयत मोमिनीन को ऐसे लोगों की असली पहचान बताने के लिए थी।

वर्तमान में प्रासंगिकता:
आज का युग इस आयत की सच्चाई को साबित कर रहा है।

  • राजनीतिक नेता: कई राजनीतिक नेता जनता को मीठे-मीठे वादे दिखाकर वोट मांगते हैं, लेकिन उनका असली इरादा सिर्फ सत्ता हासिल करना होता है।

  • धार्मिक ढोंगी: कुछ लोग धर्म के नाम पर, अल्लाह और रसूल की दुहाई देकर लोगों का मोहभंग करते हैं और अपनी जेबें भरते हैं। उनके भाषण प्रभावशाली होते हैं लेकिन उनके कर्म खोटे।

  • मीडिया और विज्ञापन: मीडिया और विज्ञापन जगत में लोगों को आकर्षक बातों और झूठे दावों से प्रभावित करने की कोशिश की जाती है।

  • सोशल मीडिया: सोशल मीडिया पर लोग एक अच्छा और धार्मिक इमेज बनाकर रखते हैं, लेकिन उनका निजी जीवन और इरादे बिल्कुल अलग होते हैं। यह आयत हमें सिखाती है कि Image (छवि) से ज़्यादा Integrity (ईमानदारी) को महत्व दें।

भविष्य में प्रासंगिकता:

  • शाश्वत मानवीय स्वभाव: जब तक दुनिया रहेगी, समाज में ऐसे धूर्त, मक्कार और दिखावटी लोग मौजूद रहेंगे जो अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए दूसरों को धोखा देते रहेंगे।

  • सतत चेतावनी: यह आयत कयामत तक आने वाली हर पीढ़ी के लिए एक चेतावनी और कसौटी के रूप में काम करेगी। यह मुसलमानों को सिखाती रहेगी कि इंसान की पहचान उसके बोल से नहीं, बल्कि उसके कर्म, नीयत और अंतिम लक्ष्य से होती है।

  • आंतरिक जांच: यह आयत हर मुसलमान से यह भी कहती है कि वह सिर्फ दूसरों को ही नहीं, बल्कि खुद को भी जांचे। कहीं हम खुद तो ऐसे नहीं हैं जो दूसरों को अच्छे दिखने की कोशिश करते हैं लेकिन अंदर से हमारा दिल गन्दा है?

निष्कर्ष: आयत 2:204 मनुष्य के चरित्र के एक गहन पहलू को उजागर करती है। यह मुसलमान को एक सचेत, सजग और बुद्धिमान इंसान बनाती है जो बाहरी दिखावे और मीठे वादों में नहीं, बल्कि ईमानदारी, सच्चाई और अच्छे कर्मों में विश्वास रखता है। यह अतीत, वर्तमान और भविष्य, तीनों के लिए एक स्थायी मार्गदर्शन है।