Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 2:223 (सूरह अल-बक़ारह) - पूर्ण व्याख्या

 

१. आयत का अरबी पाठ (Arabic Verse)

نِسَآؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ فَأْتُوا۟ حَرْثَكُمْ أَنَّىٰ شِئْتُمْ ۖ وَقَدِّمُوا۟ لِأَنفُسِكُمْ ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّكُم مُّلَـٰقُوهُ ۗ وَبَشِّرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ

२. शब्दार्थ (Word-by-Word Meaning)

अरबी शब्दहिंदी अर्थ
نِسَآؤُكُمْतुम्हारी औरतें
حَرْثٌखेत हैं
لَّكُمْतुम्हारे लिए
فَأْتُوا۟तो तुम आओ (संभोग करो)
حَرْثَكُمْअपने खेत में
أَنَّىٰजिस तरह / जहाँ से
شِئْتُمْतुम चाहो
وَقَدِّمُوا۟और आगे भेजो (अच्छे कर्म करो)
لِأَنفُسِكُمْअपने लिए (आख़िरत में)
وَٱتَّقُوا۟और डरो
ٱللَّهَअल्लाह से
وَٱعْلَمُوٓا۟और जान लो
أَنَّكُمकि निश्चित रूप से तुम
مُّلَـٰقُوهُउससे मिलने वाले हो
وَبَشِّرِऔर खुशखबरी सुना दो
ٱلْمُؤْمِنِينَईमान वालों को

३. पूर्ण अनुवाद और सरल व्याख्या (Full Translation & Simple Explanation)

अनुवाद: "तुम्हारी पत्नियाँ तुम्हारे लिए खेत के समान हैं, अतः तुम अपने खेत में जिस तरह चाहो (आओ)। और अपने लिए (आख़िरत में) पुण्य आगे भेजो। और अल्लाह से डरो और यह जान लो कि तुम्हें उससे मिलना है। और ईमान वालों को खुशखबरी सुना दो।"

सरल व्याख्या:
यह आयत पिछली आयत (2:222) का ही विस्तार है, जहाँ मासिक धर्म के दौरान संबंधों पर रोक लगाई गई थी। अब अल्लाह वैवाहिक जीवन की अनुमतियों को स्पष्ट करता है। वह एक बहुत ही सुंदर उपमा देता है: पत्नी एक "खेत" के समान है। जिस तरह एक किसान खेत में बीज बोकर फसल उगाता है, उसी तरह एक पति-पत्नी के पवित्र संबंध से संतान की उत्पत्ति होती है। इसलिए, पति-पत्नी को आपसी सहमति से विवाह के भीतर संबंध बनाने की स्वतंत्रता है। लेकिन इस आज़ादी के साथ एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी दी गई है। अल्लाह सलाह देता है कि अपने लिए आख़िरत में अच्छे कर्म भेजो, अल्लाह से डरो और यह याद रखो कि एक दिन उसके सामने पेश होना है। आयत का अंत ईमान वालों के लिए एक खुशखबरी के साथ होता है।

४. गहन व्याख्या, शिक्षा और संदेश (In-depth Explanation, Lesson & Message)

यह आयत वैवाहिक जीवन को एक पवित्र, उद्देश्यपूर्ण और संतुलित ढांचा प्रदान करती है।

क. "तुम्हारी पत्नियाँ तुम्हारे लिए खेत के समान हैं" (निसाउकुम हरसुल लकुम):

  • एक गहरी उपमा: 'खेत' की उपमा बहुत ही सारगर्भित है।

    • उत्पादन और वंश की निरंतरता: खेत का मुख्य उद्देश्य फसल उगाना है। इसी तरह, विवाह का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य पवित्र और स्वस्थ संतान पैदा करना है।

    • सम्मान और देखभाल: जिस तरह एक किसान अपने खेत की देखभाल करता है, उसे सम्मान देता है, उसी तरह पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ सम्मान और दया का व्यवहार करे।

    • पवित्रता: खेत एक पवित्र और उपयोगी स्थान है। इसी तरह, वैवाहिक संबंध पवित्र और वैध हैं।

ख. "जिस तरह चाहो (आओ)" (अन्ना शि'तुम):

  • वैवाहिक स्वतंत्रता और आनंद: यह वाक्य पति-पत्नी को उनके अंतरंग जीवन में परस्पर सहमति और आनंद की अनुमति देता है, बशर्ते कि वह संभोग योनि (वजाइना) में ही हो। यह इस्लाम के संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है जो मनुष्य की प्राकृतिक इच्छाओं को नकारता नहीं है, बल्कि उन्हें एक वैध और पवित्र ढांचे में पूरा करने का रास्ता देता है।

  • सीमाएँ: यह आज़ादी असीमित नहीं है। यह पति-पत्नी के बीच ही है और मासिक धर्म जैसी स्पष्ट मनाही के दायरे से बाहर है।

ग. "और अपने लिए (आख़िरत में) पुण्य आगे भेजो" (व कद्दिमू लि-अनफुसिकुम):

  • जिम्मेदारी का एहसास: यह आयत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। अल्लाह वैवाहिक जीवन को सिर्फ शारीरिक सुख तक सीमित नहीं रखता। वह कहता है कि इस रिश्ते से जो संतान पैदा हो, उसकी अच्छी परवरिश करो, उसे ईमानदार और अच्छा इंसान बनाओ। यह तुम्हारे लिए आख़िरत में एक पुण्य का काम होगा।

  • दीर्घकालिक सोच: दुनिया का सुख अस्थायी है, लेकिन एक अच्छी संतान तुम्हारे लिए सदक़ा-ए-जारिया (लगातार चलने वाला दान) बन सकती है।

घ. "और अल्लाह से डरो... तुम्हें उससे मिलना है" (वत्तकुल्लाहा व-अलमू अन्नकुम मुलाकुह):

  • नैतिक जिम्मेदारी: यह वाक्य एक चेतावनी है। इस आज़ादी का दुरुपयोग मत करो। हमेशा यह याद रखो कि तुम्हारा हर कर्म अल्लाह देख रहा है और एक दिन तुम्हें उसके सामने जवाब देना होगा।

  • संतुलन: यह आयत वैवाहिक जीवन में आज़ादी और जिम्मेदारी, सुख और परलोक की चिंता के बीच एक सुंदर संतुलन स्थापित करती है।

प्रमुख शिक्षाएँ (Key Lessons):

  1. विवाह की पवित्रता: विवाह एक पवित्र बंधन है जिसमें संबंधों को अल्लाह की मंजूरी और आशीर्वाद प्राप्त है।

  2. पारस्परिक अधिकार और कर्तव्य: पति-पत्नी दोनों के एक-दूसरे पर अधिकार हैं और उन्हें प्यार, सम्मान और दया के साथ रहना चाहिए।

  3. संतान की जिम्मेदारी: संतान पैदा करना सिर्फ एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ी नैतिक और धार्मिक जिम्मेदारी है।

  4. अल्लाह की निगरानी: हर काम यह सोचकर करो कि अल्लाह तुम्हें देख रहा है और तुम्हें एक दिन उसके सामने पेश होना है।

५. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)

अतीत में प्रासंगिकता:
जाहिलीय्यत (अज्ञानता) के दौरान, औरतों के साथ संबंधों के regarding कोई स्पष्ट नैतिक नियम नहीं थे। कुछ लोग मासिक धर्म के दौरान भी संबंध बनाते थे, तो कुछ अनैतिक तरीके अपनाते थे। इस आयत ने एक स्पष्ट मार्गदर्शन दिया कि क्या जायज़ है और क्या नाजायज़, और वैवाहिक जीवन को एक उद्देश्यपूर्ण और सम्मानजनक ढाँचा प्रदान किया।

वर्तमान में प्रासंगिकता:
आज के युग में यह आयत अत्यधिक प्रासंगिक है:

  • यौन स्वतंत्रता बनाम जिम्मेदारी: आज का समाज "यौन स्वतंत्रता" की बात करता है, जिसके कारण व्यभिचार, अश्लीलता और पारिवारिक विघटन बढ़ा है। यह आयत स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का एक आदर्श संतुलन प्रस्तुत करती है।

  • पारिवारिक मूल्य: यह आयत परिवार को मजबूत करने और संतान की अच्छी परवरिश पर जोर देती है, जो आज के समाज की एक बड़ी जरूरत है।

  • महिला का सम्मान: "खेत" की उपमा महिला को एक सम्मानजनक स्थान देती है, न कि सिर्फ भोग की वस्तु। यह आज के "ऑब्जेक्टिफिकेशन" (वस्तुकरण) की संस्कृति के खिलाफ एक दवा है।

भविष्य में प्रासंगिकता:

  • शाश्वत मार्गदर्शन: जब तक मानव समाज है, विवाह और परिवार की संस्था बनी रहेगी। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक बनी रहेगी।

  • नैतिक कम्पास: भविष्य की तकनीकी और नैतिक चुनौतियों (जैसे क्लोनिंग, अप्राकृतिक संबंध) के बीच, यह आयत एक स्पष्ट नैतिक कम्पास प्रदान करेगी कि प्राकृतिक और वैध संबंध क्या हैं।

  • आशा का संदेश: "और ईमान वालों को खुशखबरी सुना दो" - यह वाक्य हमेशा मोमिनों को यह आश्वासन देगा कि जो लोग अल्लाह के इन नियमों का पालन करते हैं, उनके लिए दुनिया और आख़िरत में खुशहाली है।

निष्कर्ष: आयत 2:223 इस्लाम के संतुलित जीवन दर्शन का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह मनुष्य की प्राकृतिक इच्छाओं को नकारती नहीं है, बल्कि उन्हें एक पवित्र, उद्देश्यपूर्ण और जिम्मेदारी भरे ढांचे में पिरोती है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को सम्मान, प्यार और आध्यात्मिकता से भर देती है। यह अतीत, वर्तमान और भविष्य के लिए एक सार्वभौमिक और शाश्वत मार्गदर्शन है।