﴿وَمَا أَنفَقْتُم مِّن نَّفَقَةٍ أَوْ نَذَرْتُم مِّن نَّذْرٍ فَإِنَّ اللَّهَ يَعْلَمُهُ ۗ وَمَا لِلظَّالِمِينَ مِنْ أَنصَارٍ﴾
सूरतुल बक़ारह (दूसरा अध्याय), आयत नंबर 270
1. अरबी आयत का शब्दार्थ (Word-by-Word Meaning)
| अरबी शब्द | हिंदी अर्थ |
|---|---|
| व-मा अनफक़तum | और जो (कुछ भी) तुमने खर्च किया |
| मिन नफक़तिन | कोई खर्च (दान) |
| औ नज़रतum | या जो (कुछ भी) तुमने मन्नत मानी |
| मिन नज़रिन | कोई मन्नत |
| फ-इन्नल्लाह | तो निश्चय ही अल्लाह |
| या'लमुहू | उसे जानता है |
| व-मा | और नहीं हैं |
| लिज़-ज़ालिमीन | ज़ालिमों (अत्याचारियों) के लिए |
| मिन अंसार | कोई मददगार |
2. आयत का पूर्ण अनुवाद और सरल व्याख्या (Full Translation & Simple Explanation)
अनुवाद: "और तुम जो कुछ भी खर्च करते हो या जो मन्नत मानते हो, निश्चय ही अल्लाह उसे जानता है। और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं है।"
सरल व्याख्या:
यह आयत पिछली कई आयतों के संदेश को समेटते हुए दो बहुत महत्वपूर्ण बिंदु स्थापित करती है:
1. अल्लाह का सर्वज्ञान: "अल्लाह उसे जानता है"
यह आयत हर प्रकार के दान और मन्नत को कवर करती है।
"मा अनफक़तुम": तुम जो कुछ भी खर्च करते हो (छोटा-बड़ा, गुप्त-प्रकट, ज़कात, सदक़ा)।
"औ नज़रतुम": और जो मन्नत तुम मानते हो (जैसे अगर मेरी मुराद पूरी हुई तो मैं इतना दान करूँगा, हज्ज करूँगा, आदि)।
अल्लाह हर चीज को जानता है:
दान की मात्रा
दान की नीयत (क्या यह सिर्फ अल्लाह के लिए है या दिखावे के लिए?)
दान की गुणवत्ता (क्या यह अच्छी चीज है या घटिया?)
मन्नत की पूर्ति (क्या तुमने अपनी मन्नत पूरी की?)
2. ज़ालिमों के लिए चेतावनी: "उनका कोई मददगार नहीं"
"ज़ालिमीन" (अत्याचारी) से यहाँ मतलब है:
वे लोग जो दान देने के बाद एहसान जताते हैं और दुख पहुँचाते हैं।
वे लोग जो दिखावे के लिए दान करते हैं।
वे लोग जो मन्नत मानकर उसे पूरा नहीं करते।
ऐसे लोगों का आखिरत में कोई मददगार नहीं होगा। न कोई उनकी सिफारिश करेगा, न कोई उन्हें अल्लाह की सजा से बचा पाएगा।
3. शिक्षा और संदेश (Lesson and Message)
हर समय अल्लाह की निगरानी का एहसास: हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि अल्लाह हमारे हर कर्म, हर नीयत और हर दान को देख रहा है। यह एहसास हमें ईमानदार और नेक बनाए रखता है।
मन्नतों की पवित्रता: मन्नत एक पवित्र वादा है जो सीधे अल्लाह से किया जाता है। इसे पूरा करना अनिवार्य है। मन्नत तोड़ना एक गुनाह है।
ईमानदारी की जिम्मेदारी: चूंकि अल्लाह सब कुछ जानता है, इसलिए हमें अपने दान और इबादत में पूरी ईमानदारी बरतनी चाहिए। दिखावे या धोखे की कोई गुंजाइश नहीं है।
अल्लाह के अलावा कोई सहारा नहीं: आखिरत में इंसान को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा। अगर कोई ज़ालिम (अपने आप पर ज़ुल्म करने वाला) है, तो उसे कोई नहीं बचा सकता।
4. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)
अतीत में प्रासंगिकता:
मुनाफिकों के लिए चेतावनी: मदीना के मुनाफिक दान देकर दिखावा करते थे और मन्नतें मानकर भी उन्हें पूरा नहीं करते थे। यह आयत उनके लिए एक स्पष्ट चेतावनी थी।
सहाबा के लिए प्रेरणा: इस आयत ने सहाबा को यह यकीन दिलाया कि उनका छोटा से छोटा दान भी अल्लाह के यहाँ रिकॉर्ड हो रहा है और बर्बाद नहीं जाएगा।
वर्तमान में प्रासंगिकता:
सोशल मीडिया और दिखावा: आज लोग सोशल मीडिया पर दान की तस्वीरें डालकर दिखावा करते हैं। यह आयत याद दिलाती है कि असली दर्शक तो अल्लाह है, जो नीयत तक देख रहा है।
मन्नतों की हल्की समझ: आज लोग मन्नतें तो मान लेते हैं लेकिन उन्हें हल्के में लेते हैं और पूरा नहीं करते। यह आयत मन्नत की पवित्रता और उसे पूरा करने की अनिवार्यता को दोहराती है।
वित्तीय पारदर्शिता: चूंकि अल्लाह सब कुछ जानता है, इसलिए ज़कात और दान की राशि में किसी प्रकार की धोखाधड़ी करना एक बहुत बड़ा ज़ुल्म (अत्याचार) है।
भविष्य में प्रासंगिकता:
शाश्वत जवाबदेही: जब तक दुनिया है, हर इंसान अपने कर्मों के लिए अल्लाह के सामने जवाबदेह होगा। यह आयत इस सत्य की याद दिलाती रहेगी।
डिजिटल युग में नीयत की शुद्धता: भविष्य में डिजिटल करेंसी और ऑनलाइन दान का चलन बढ़ेगा। ऐसे में यह आयत मुसलमानों को सिखाएगी कि तकनीक चाहे कुछ भी हो, नीयत की शुद्धता सबसे जरूरी है।
नैतिक मार्गदर्शक: यह आयत हमेशा मुसलमानों के लिए एक नैतिक मार्गदर्शक बनी रहेगी, जो उन्हें हर कर्म में ईमानदारी और अल्लाह की निगरानी के एहसास के साथ जीने की प्रेरणा देगी।
निष्कर्ष: आयत 2:270 एक संक्षिप्त किंतु बहुत गहन आयत है। यह एक तरफ तो मोमिन के लिए आश्वासन है कि उसका कोई भी नेक अमल, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, अल्लाह के यहाँ सुरक्षित है। दूसरी तरफ, यह ज़ालिमों के लिए एक कड़ी चेतावनी है कि आखिरत में उनका कोई सहारा नहीं होगा। यह आयत हमें सिखाती है कि "अल्लाह की निगरानी में जीना ही सच्ची ईमानदारी और सफलता की कुंजी है।"