यहाँ कुरआन की दूसरी सूरह, अल-बक़ारह की अड़तीसवीं आयत (2:38) का पूर्ण विस्तृत व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत है।
कुरआन 2:38 - "कुलनाह बितु मिन्हा जमीआ, फ इम्मा यअतियन्नकुम मिन्नी हुदन फमन तबिआ हुदाया फला खौफुन अलैहिम व ला हुम यह्ज़नून"
(قُلْنَا اهْبِطُوا مِنْهَا جَمِيعًا ۖ فَإِمَّا يَأْتِيَنَّكُم مِّنِّي هُدًى فَمَن تَبِعَ هُدَايَ فَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ)
हिंदी अर्थ: "हमने कहा, 'तुम सब इस (जन्नत) से उतर जाओ। फिर यदि तुम्हारे पास मेरी ओर से कोई मार्गदर्शन आए, तो जो कोई मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण करेगा, उन पर न कोई भय होगा और न ही वे दुखी होंगे।'"
यह आयत आदम, हव्वा और शैतान के जन्नत से उतरने के बाद के नए चरण का वर्णन करती है। यह अल्लाह की ओर से मानवजाति के लिए एक सार्वभौमिक और शाश्वत वादा है, जो हिदायत (मार्गदर्शन) और उसके परिणामों पर आधारित है।
आइए, इस आयत को शब्द-दर-शब्द और उसके गहन अर्थों में समझते हैं।
1. शब्दार्थ विश्लेषण (Word-by-Word Analysis)
कुलना (Qulna): हमने कहा (We said)
ह बितु (Ihbitoo): तुम उतर जाओ (You all descend)
मिन्हा (Minhaa): इससे (From it)
जमीआ (Jamee'an): सब के सब (All together)
फ (Fa): फिर (Then)
इम्मा (Imma): फिर यदि (Then if)
यअतियन्नकुम (Yaatiyannakum): आएगा तुम्हारे पास (Comes to you)
मिन्नी (Minnee): मेरी ओर से (From Me)
हुदन (Hudan): मार्गदर्शन (Guidance)
फमन (Faman): तो जो कोई (Then whoever)
तबिआ (Tabia'a): अनुसरण करेगा (Follows)
हुदाया (Hudaaya): मेरे मार्गदर्शन का (My guidance)
फला (Falaa): तो नहीं (Then no)
खौफुन (Khawfun): भय (Fear)
अलैहिम (Alaihim): उन पर (Upon them)
व ला (Wa laa): और न (And not)
हुम (Hum): वे (They)
यह्ज़नून (Yahzanoon): दुखी होंगे (They will grieve)
2. गहन अर्थ और संदेश (In-depth Meaning & Message)
यह आयत तीन मौलिक बिंदुओं को स्थापित करती है:
1. धरती पर जीवन की सार्वभौमिकता (The Universality of Life on Earth)
"कुलनाह बितु मिन्हा जमीआ" - "हमने कहा, 'तुम सब इस (जन्नत) से उतर जाओ।'"
यह आदेश आदम, हव्वा और शैतान तीनों के लिए था। इसका अर्थ है कि मानव जाति का पूरा इतिहास और उसका शैतान के साथ संघर्ष धरती पर ही unfold होगा।
जन्नत से उतरना कोई सजा मात्र नहीं, बल्कि एक नई और अलग योजना की शुरुआत थी।
2. मार्गदर्शन का वादा (The Promise of Guidance)
"फ इम्मा यअतियन्नकुम मिन्नी हुदन" - "फिर यदि तुम्हारे पास मेरी ओर से कोई मार्गदर्शन आए..."
अल्लाह ने मानवजाति को एक वादा दिया। यह वादा था कि वह उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगा। वह समय-समय पर उनके पास अपना "हुदा" (मार्गदर्शन) भेजता रहेगा।
"हुदा" क्या है? यह अल्लाह की ओर से भेजी गई वही (प्रकाशना) है जो पैगंबरों और किताबों के माध्यम से आती है। यह सही और गलत का ज्ञान, जीवन का तरीका और अल्लाह तक पहुँचने का मार्ग है। कुरआन इसी "हुदा" का अंतिम और पूर्ण रूप है।
3. सफलता की शर्त और प्रतिफल (The Condition for Success and its Reward)
"फमन तबिआ हुदाया" - "तो जो कोई मेरे मार्गदर्शन का अनुसरण करेगा..."
अल्लाह ने सफलता की एकमात्र शर्त रखी: अनुसरण करना। यह एक सक्रिय क्रिया है। इंसान को पैगंबरों के संदेश को सुनना, समझना और उसे अपने जीवन में लागू करना होगा।
प्रतिफल क्या है?
"फला खौफुन अलैहिम" - "उन पर न कोई भय होगा।"
यहाँ "भय" से तात्पर्य आख़िरत (परलोक) के भय से है। जो लोग हिदायत पर चलेंगे, उन्हें क़यामत के दिन की घबराहट, हिसाब-किताब का डर या जहन्नम का भय नहीं होगा।
"व ला हुम यह्ज़नून" - "और न ही वे दुखी होंगे।"
यहाँ "दुख" से तात्पर्य अतीत के पछतावे से है। उन्हें अपने गुजरे हुए जीवन पर यह सोचकर दुख नहीं होगा कि उन्होंने कुछ गँवा दिया या वे कुछ और कर सकते थे। उनका दिल पूरी तरह से संतुष्ट और शांत होगा।
3. व्यावहारिक जीवन में महत्व (Practical Importance in Daily Life)
जीवन का उद्देश्य: यह आयत हर इंसान के सामने जीवन का स्पष्ट उद्देश्य रखती है - अल्लाह के मार्गदर्शन (कुरआन और सुन्नत) का अनुसरण करना।
आशा और प्रेरणा: यह आयत एक शक्तिशाली आशा का संदेश देती है। चाहे इंसान कितनी भी गलतियाँ क्यों न कर ले, अल्लाह का मार्गदर्शन उसके लिए उपलब्ध है। बस उसे उसे पकड़ने और उस पर चलने की जरूरत है।
सच्ची सफलता की परिभाषा: दुनिया की सारी दौलत और शोहरत सच्ची सफलता नहीं है। असली सफलता वह है जहाँ न आख़िरत का कोई डर हो और न अतीत का कोई पछतावा। यह सफलता केवल ईमान और अमल-ए-सालेह से ही मिल सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कुरआन की आयत 2:38 मानव जाति के लिए अल्लाह की ओर से एक सार्वभौमिक रोडमैप और आश्वासन है। यह बताती है कि धरती पर हमारा जीवन एक परीक्षा है, लेकिन अल्लाह ने हमें इसमें सफल होने का तरीका भी बता दिया है - उसके मार्गदर्शन का पालन करना। यह आयत हर इंसान को एक स्पष्ट विकल्प देती है: अल्लाह के मार्गदर्शन को चुनो और स्थायी शांति और सुरक्षा पाओ, या उससे मुँह मोड़ो और भटकाव तथा पछतावे को चुनो। यह अल्लाह का वादा है कि जो इस मार्गदर्शन पर चलेगा, उसके लिए न तो भविष्य में कोई डर होगा और न ही अतीत में कोई पश्चाताप।