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कुरआन 2:40 की पूर्ण व्याख्या : يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ اذْكُرُوا نِعْمَتِيَ الَّتِي أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَوْفُوا بِعَهْدِي أُوفِ بِعَهْدِكُمْ وَإِيَّايَ فَارْهَبُونِ

निश्चित रूप से, यहाँ कुरआन की आयत 2:40 (सूरह अल-बक़ारह) की पूर्ण व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत है


कुरआन 2:40 की पूर्ण व्याख्या

आयत का अरबी पाठ:
يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ اذْكُرُوا نِعْمَتِيَ الَّتِي أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ وَأَوْفُوا بِعَهْدِي أُوفِ بِعَهْدِكُمْ وَإِيَّايَ فَارْهَبُونِ

हिंदी अनुवाद:
"हे बनी इस्राईल! मेरे उपकार को याद करो, जो मैंने तुम पर किए हैं और मेरे वादे को पूरा करो, मैं तुम्हारा वादा पूरा करूंगा और तुम केवल मुझी से डरो।"

यह आयत पिछली आयतों (2:38-39) में दिए गए सार्वभौमिक संदेश के बाद, विशेष रूप से बनी इस्राईल (इस्राएल की संतानें) को संबोधित करती है। यह एक प्रकार का "विशेष अनुबंध" याद दिलाने जैसा है, जहाँ अल्लाह उन्हें उनके ऊपर किए गए एहसानों की याद दिलाकर, सही रास्ते पर लौटने का आह्वान कर रहा है।

आइए, इस आयत को शब्द-दर-शब्द और उसके गहन अर्थों में समझते हैं।

1. शब्दार्थ विश्लेषण (Word-by-Word Analysis)

  • يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (Yaa Bani Israeela): हे बनी इस्राईल! (O Children of Israel)

    • "Yaa" एक पुकार है, जो संबोधन में गंभीरता और महत्व दर्शाता है।

  • اذْكُرُوا نِعْمَتِيَ (Uzkuroo Ni'mati): मेरे उपकार (नेमत) को याद करो। (Remember My Favor)

    • "Uzkuroo" (याद करो) - यह केवल स्मरण नहीं, बल्कि दिल में उसकी कद्र और शुक्र अदा करना है।

    • "Ni'mati" (मेरी नेमत) - अल्लाह की वह देन जो जीवन को सुखद और आसान बनाती है।

  • الَّتِي أَنْعَمْتُ عَلَيْكُمْ (Allatee An'amtu Alaiykum): जो मैंने तुम पर की है। (Which I bestowed upon you)

  • وَأَوْفُوا بِعَهْدِي (Wa Aufoo bi Ahdi): और मेरे वादे (अहद) को पूरा करो। (And fulfill My Covenant)

    • "अहद" एक गंभीर वादा या अनुबंध है।

  • أُوفِ بِعَهْدِكُمْ (Oofi bi Ahdikum): मैं तुम्हारा वादा पूरा करूंगा। (I will fulfill your covenant)

    • यह एक पारस्परिक समझौता है।

  • وَإِيَّايَ فَارْهَبُونِ (Wa iyyaya farhaboon): और तुम केवल मुझी से डरो। (And be afraid of only Me)

    • "इय्याय" पर जोर देकर कहा गया है - "केवल और सिर्फ मुझ से"।

    • "इरहबून" (डरो) यहाँ 'सम्मानपूर्ण भय' है, न कि दहशत।

2. गहन अर्थ और संदेश (In-depth Meaning & Message)

यह आयत बनी इस्राईल को तीन स्पष्ट निर्देश देती है, जिनके साथ दो वादे और एक चेतावनी जुड़ी हुई है:

1. निर्देश: अतीत के एहसानों को याद करो (Remember the Past Favors)

  • "याद करने" का तरीका: यह केवल इतिहास याद करना नहीं है, बल्कि उन नेमतों के प्रति कृतज्ञता (शुक्र) का भाव जगाना है। जब इंसान एहसान याद करता है, तो एहसान करने वाले के प्रति उसका प्यार और आज्ञाकारिता का भाव बढ़ता है।

  • नेमतों के उदाहरण: इनमें फिरऔन से मुक्ति, समुद्र का चीरना, मन्ना-सलवा का अवतरण, पत्थर से पानी का निकलना और तौरात जैसी किताब का दिया जाना शामिल है।

2. निर्देश: मेरे वादे को पूरा करो (Fulfill My Covenant)

  • "वादे" (अहद) का अर्थ: यहाँ दो प्रकार का वादा शामिल है:

    • आस्था का वादा: केवल अल्लाह की इबादत करने, उसके आदेशों का पालन करने और उसके भेजे हुए पैगंबरों (जिसमें अंतिम पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम भी शामिल हैं) पर ईमान लाने का वादा।

    • आचरण का वादा: तौरात में दिए गए नैतिक और कानूनी आदेशों का पालन करने का वादा।

3. वादा: मैं तुम्हारा वादा पूरा करूंगा (I will fulfill Your Covenant)

  • यह अल्लाह का पक्ष है। यदि तुम मेरा वादा निभाओगे तो मैं तुम्हारा वादा निभाऊंगा।

  • इस वादे में शामिल है: दुनिया में सहायता, रहमत और आखिरत में जन्नत जैसी महान सफलता। यह अल्लाह की न्यायप्रियता और दया को दर्शाता है।

4. निर्देश और चेतावनी: और केवल मुझी से डरो (And be afraid of only Me)

  • "केवल मुझी से": यह इस्लाम के केंद्रीय सिद्धांत तौहीद (एकेश्वरवाद) की ओर इशारा है। सच्चा "डर" या "भय" (खौफ) सिर्फ अल्लाह के लिए होना चाहिए, न कि किसी मनुष्य, शैतान या दूसरी शक्ति से।

  • इरहबून का भय: यह वह भय है जो इंसान को गुनाह और अवज्ञा से रोकता है और आज्ञाकारिता की ओर ले जाता है। यह चेतावनी इस बात की ओर भी इशारा करती है कि यदि तुम मुझसे नहीं डरोगे, तो दुनिया की हर चीज़ से डरने लगोगे।

3. आयत 39 और 40 का तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study of Verses 39 and 40)

पहलूआयत 2:39 (काफिरों के लिए)आयत 2:40 (बनी इस्राईल के लिए)
संबोधनसामान्य: "जिन लोगों ने इनकार किया"विशेष: "हे बनी इस्राईल!"
भाषा का स्वरचेतावनी और न्याय कादया और याद दिलाने का
मुख्य संदेशइनकार का परिणाम जहन्नम हैएहसान याद करो और वापस लौट आओ
अल्लाह का वादासजा का वादाप्रतिफल और क्षमा का वादा
केंद्रीय आदेशकोई आदेश नहीं, केवल परिणाम बतायायाद करो, वादा पूरा करो, और केवल मुझसे डरो

4. व्यावहारिक जीवन में महत्व (Practical Importance in Daily Life)

  • कृतज्ञता (शुक्र) का पाठ: यह आयत हर इंसान को सिखाती है कि वह अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों (जैसे जीवन, स्वास्थ्य, रोज़ी, इस्लाम की देन) को गिने और उसके प्रति कृतज्ञ बने।

  • वफादारी का महत्व: हमें अल्लाह के साथ किए गए वादे (उसकी इबादत और आज्ञापालन) को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।

  • सच्चा भय (तकवा): हमारा डर सिर्फ अल्लाह से होना चाहिए। यह भय ही हमें गलत कामों से बचाता है और हमें एक अच्छा इंसान बनाता है।

  • आशा का संदेश: यह आयत दर्शाती है कि अल्लाह बहुत दयालु है। भले ही कोई समुदाय अतीत में गलत रास्ते पर रहा हो, लेकिन अगर वह वापस लौटता है और वादा निभाता है, तो अल्लाह का दरवाज़ा खुला है।

निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 2:40 अल्लाह की असीम दया और धैर्य को प्रकट करती है। यह एक ऐसे पिता के समान है जो अपने गुमराह बच्चे को डांटने के बजाय, उसके साथ किए गए अपने प्यार और एहसानों को याद दिलाकर उसे सही रास्ते पर लौटने का आह्वान कर रहा है। यह आयत हर मुसलमान के लिए यह याद दिलाती है कि उसके ऊपर अल्लाह का कितना एहसान है और उसका फर्ज़ है कि वह उसके प्रति कृतज्ञ रहे, उसके वादे को पूरा करे और सिर्फ उसी से डरते हुए एक आज्ञाकारी जीवन बिताए।