1. पूरी आयत अरबी में:
فَجَعَلْنَاهَا نَكَالًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهَا وَمَا خَلْفَهَا وَمَوْعِظَةً لِّلْمُتَّقِينَ
2. अरबी शब्दों का अर्थ (Word-to-Word Meaning):
فَجَعَلْنَاهَا: तो हमने बना दिया उसे (उस घटना को)
نَكَالًا: एक सबक / दंड-उदाहरण
لِّمَا: उन लोगों के लिए
بَيْنَ: के बीच
يَدَيْهَا: उसके सामने (उस समय के)
وَمَا: और उनके लिए
خَلْفَهَا: उसके पीछे (बाद में आने वाले)
وَمَوْعِظَةً: और एक नसीहत / शिक्षा
لِّلْمُتَّقِينَ: परहेज़गारों के लिए
3. पूर्ण विवरण (Full Explanation)
संदर्भ (Context):
यह आयत पिछली आयत (2:65) में वर्णित घटना का अगला चरण बताती है। पिछली आयत में बताया गया था कि कैसे सब्त (शनिवार) का उल्लंघन करने वाले यहूदियों को बंदर बना दिया गया था। अब इस आयत में अल्लाह बता रहा है कि उसने उस भयानक घटना को किस उद्देश्य के लिए बनाया। यह आयत उस घटना के सार्वभौमिक और शाश्वत महत्व को स्पष्ट करती है।
आयत के भागों का विश्लेषण:
भाग 1: "तो हमने उसे (उस घटना को) एक सबक (नकाल) बना दिया..."
"नकाल" का अर्थ: "नकाल" एक ऐसी सजा है जो दूसरों के लिए एक चेतावनी (Deterrent) का काम करे। यह सिर्फ एक दंड नहीं है, बल्कि एक जीवंत उदाहरण है जो लोगों को डरा कर सही रास्ते पर लाने का काम करता है। बंदर बनने की घटना स्वयं एक चलता-फिरता "नकाल" थी।
भाग 2: "...उन लोगों के लिए जो उस (घटना) के सामने थे और उनके लिए जो उसके बाद आए..."
सार्वभौमिक चेतावनी: यह वाक्यांश दर्शाता है कि यह सबक सिर्फ उसी पीढ़ी के लिए नहीं था। यह चेतावनी तीन समूहों के लिए थी:
"मा बैना यदैहा" (उसके सामने वाले): वे लोग जो उसी समय मौजूद थे लेकिन उस गुनाह में शामिल नहीं थे।
"व मा खलफहा" (उसके बाद वाले): आने वाली सभी पीढ़ियाँ, जिनमें आज की पीढ़ी और कयामत तक आने वाली सभी पीढ़ियाँ शामिल हैं।
इतिहास का उद्देश्य: इससे स्पष्ट होता है कि पिछली कौमों के इतिहास और उनकी सजाएँ केवल कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि हमारे लिए सीख और चेतावनी हैं।
भाग 3: "...और परहेज़गारों (मुत्तक़ीन) के लिए एक नसीहत (शिक्षा) बना दिया।"
"मौइज़ा" (नसीहत): "नकाल" एक डरावनी चेतावनी है, जबकि "मौइज़ा" एक कोमल और दिल को छू लेने वाली शिक्षा है। यह आयत बताती है कि एक ही घटना अलग-अलग लोगों पर अलग प्रभाव डालती है।
"लिल-मुत्तक़ीन" (परहेज़गारों के लिए): जो लोग पहले से ही अल्लाह से डरने वाले और सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, वे इस घटना से डरते नहीं हैं, बल्कि उससे शिक्षा लेते हैं। वे इसे अपने ईमान और तक्वा को मजबूत करने का साधन बनाते हैं।
4. सबक (Lessons)
इतिहास से सीखो: अल्लाह ने पिछली कौमों के इतिहास को इसलिए बचाकर रखा है ताकि हम उनकी गलतियों से सीखें और उनके अंजाम से डरें।
दो प्रकार के लोग: दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं:
वे जो दूसरों की सजा देखकर only डरते हैं और बचने की कोशिश करते हैं।
मुत्तक़ीन (परहेज़गार): वे जो दूसरों की गलतियों और सजाओं से जीवन की गहरी शिक्षा लेते हैं और अपना ईमान दुरुस्त करते हैं।
अल्लाह की दया: अल्लाह की दया यह है कि वह पहले ही चेतावनी दे देता है। वह बिना बताए सजा नहीं देता। उसने बनी इस्राईल को सब्त का आदेश दिया, उल्लंघन किया तो सजा दी, और फिर उस सजा को आने वालों के लिए चेतावनी बना दिया।
5. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevancy: Past, Present & Future)
अतीत (Past) में प्रासंगिकता:
यह आयत बनी इस्राईल को याद दिला रही थी कि उनके सामने भी एक "नकाल" (सबक) मौजूद था, फिर भी वे नहीं सुधरे। इसलिए अब वे पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के मार्गदर्शन को स्वीकार करें।
यह दर्शाती थी कि अल्लाह की चेतावनियाँ हर जमाने में मौजूद रही हैं।
वर्तमान (Present) में प्रासंगिकता:
आधुनिक "नकाल" (सबक): आज हमारे आसपास कितने ही "नकाल" मौजूद हैं। कोई व्यक्ति ब्याज खाकर बर्बाद होता है, कोई अश्लीलता में डूबकर अपना चरित्र खो देता है, कोई झूठ बोलकर लोगों का विश्वास खो देता है। ये सभी आधुनिक "बंदर बनने" जैसी घटनाएँ हैं जो हमारे लिए "नकाल" हैं।
हम कौन हैं?: इस आयत के अनुसार, हम दो में से एक हैं:
साधारण व्यक्ति: जो इन घटनाओं को देखकर सिर्फ डरता है और फिर भूल जाता है।
मुत्तकी (परहेज़गार): जो इन घटनाओं से "मौइज़ा" (शिक्षा) लेता है और अपने जीवन में सुधार करता है। वह सोचता है, "अगर ब्याज ने उसे बर्बाद किया, तो मैं ब्याज से दूर रहूँगा। अगर गपशप ने उसका सम्मान खोया, तो मैं अपनी जुबान संभालूँगा।"
मीडिया और इतिहास: आज का मीडिया और इतिहास हमारे लिए "नकाल" और "मौइज़ा" से भरा पड़ा है। सवाल यह है कि हम उसे कैसे देखते हैं?
भविष्य (Future) में प्रासंगिकता:
यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को यह सिखाती रहेगी कि इतिहास को सिर्फ कहानी न समझो, बल्कि उसे अपने लिए सबक और शिक्षा का स्रोत बनाओ।
यह हमेशा मानवता को दो श्रेणियों में बाँटती रहेगी: वे जो चेतावनियों से only डरते हैं और वे जो उनसे जीवन की शिक्षा लेते हैं।
यह आयत कयामत तक एक स्थायी मानदंड स्थापित करती है: "हर सजा और इतिहास की हर घटना आने वालों के लिए एक चेतावनी और परहेज़गारों के लिए एक शिक्षा है।"