१. पूरी आयत अरबी में:
وَلَتَجِدَنَّهُمْ أَحْرَصَ النَّاسِ عَلَىٰ حَيَاةٍ وَمِنَ الَّذِينَ أَشْرَكُوا يَوَدُّ أَحَدُهُمْ لَوْ يُعَمَّرُ أَلْفَ سَنَةٍ وَمَا هُوَ بِمُزَحْزِحِهِ مِنَ الْعَذَابِ أَنْ يُعَمَّرَ ۗ وَاللَّهُ بَصِيرٌ بِمَا يَعْمَلُونَ
२. शब्द-दर-शब्द अर्थ (Arabic Words Meaning):
وَلَتَجِدَنَّهُمْ: और आप अवश्य ही पाएंगे उन्हें।
أَحْرَصَ: सबसे अधिक लालची।
النَّاس: लोगों में।
عَلَىٰ: पर।
حَيَاةٍ: जीवन (दुनियावी जीवन)।
وَمِنَ: और से भी।
الَّذِينَ أَشْرَكُوا: जिन लोगों ने शिर्क किया (मुशरिकीन)।
يَوَدُّ: कामना करता है।
أَحَدُهُمْ: उनमें से कोई एक।
لَو: काश।
يُعَمَّرُ: उसे जीवन मिले।
أَلْفَ سَنَةٍ: हज़ार साल।
وَمَا: और नहीं।
هُوَ: वह (लंबी उम्र)।
بِمُزَحْزِحِهِ: उसे दूर करने वाली।
مِنَ الْعَذَاب: यातना से।
أَنْ يُعَمَّرَ: कि उसे लंबी उम्र मिले।
وَاللَّهُ: और अल्लाह।
بَصِيرٌ: देखने वाला है।
بِمَا: उसे।
يَعْمَلُونَ: जो कुछ वे करते हैं।
३. आयत का पूरा अर्थ (Full Explanation in Hindi):
इस आयत का पूरा अर्थ है: "और (हे पैगंबर!) आप अवश्य ही उन्हें (यहूदियों को) सभी लोगों से अधिक दुनिया के जीवन का लालची पाएंगे, यहाँ तक कि मुशरिकों से भी अधिक। उनमें से हर एक यह कामना करता है कि काश उसे हज़ार साल की उम्र मिल जाए, हालाँकि इतनी लंबी उम्र पाना भी उसे यातना से दूर नहीं करेगा। और अल्लाह उस सबको देख रहा है जो कुछ वे करते हैं।"
गहन व्याख्या:
यह आयत पिछली दो आयतों (94-95) के विषय को आगे बढ़ाती है और बनी इस्राईल की दुनिया के प्रति अत्यधिक लगाव और मौत के भय का एक चौंकाने वाला चित्रण पेश करती है।
1. सबसे बड़े लालची (अहरसन नास):
आयत में एक स्पष्ट भविष्यवाणी की गई है कि यहूदी "सभी लोगों से अधिक दुनिया के जीवन का लालची" होंगे।
इसे और भी चौंकाने वाला बनाते हुए कहा गया है कि वे "मुशरिकों से भी अधिक" लालची हैं। यह एक बहुत ही मजबूत बयान है, क्योंकि मुशरिक तो सीधे तौर पर आखिरत को नहीं मानते, इसलिए उनका दुनिया में डूबे रहना समझ में आता है। लेकिन यहूदी आखिरत के मानने वाले हैं, फिर भी वे उनसे भी आगे हैं।
2. हज़ार साल की कामना:
उनकी दुनियावी लालच की तीव्रता को दर्शाने के लिए आयत बताती है कि उनमें से हर कोई चाहता है कि "काश वह हज़ार साल जी ले"।
यह एक मिसाल है, जो उनकी दुनिया के जीवन के प्रति गहरी आसक्ति और मौत के प्रति गहरे भय को दर्शाता है।
3. लंबी उम्र सज़ा नहीं टाल सकती:
आयत एक महत्वपूर्ण सच्चाई बताती है: "इतनी लंबी उम्र पाना भी उसे यातना से दूर नहीं करेगा।"
यह स्पष्ट करता है कि अगर इंसान के कर्म खराब हैं, तो चाहे वह कितनी भी लंबी उम्र जी ले, वह आखिरत की सज़ा से बच नहीं सकता। बल्कि, लंबी उम्र तो और अधिक पाप जोड़ने का अवसर भर है।
4. अल्लाह सब कुछ देख रहा है:
आयत का अंत इस चेतावनी के साथ होता है कि अल्लाह उनके सभी कर्मों को देख रहा है। उनकी लालच और दुनियावी कोशिशें उससे छिपी नहीं हैं।
४. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral):
दुनिया की असलियत: दुनिया का जीवन स्थायी नहीं है और इसके पीछे अंधाधुंध भागना ईमान की कमजोरी का संकेत है।
लालच का खतरा: दुनिया की चीजों का अत्यधिक लगाव (हिर्स) इंसान को आखिरत से बेखबर कर देता है और उसे आध्यात्मिक रूप से अंधा बना देता है।
मौत एक सच्चाई है: मौत से भागना व्यर्थ है। बुद्धिमानी इस बात में है कि मौत को याद रखकर उसके लिए तैयारी की जाए।
कर्म ही मायने रखते हैं: उम्र की लंबाई नहीं, बल्कि उस उम्र में किए गए नेक कर्म मायने रखते हैं।
५. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):
अतीत (Past) के संदर्भ में:
यह आयत बनी इस्राईल की उस मानसिकता का वर्णन है जो ऐतिहासिक रूप से उनमें देखी गई। वे धन-संपत्ति और दुनियावी लाभ के लिए बहुत प्रसिद्ध थे।
यह भविष्यवाणी पूरी हुई और यहूदी इतिहास में आर्थिक रूप से बहुत शक्तिशाली रहे हैं।
वर्तमान (Present) के संदर्भ में:
भौतिकवाद का युग: आज का पूरा विश्व भौतिकवाद (Materialism) में डूबा हुआ है। लोग पैसा, शोहरत और सुख-सुविधाएँ जुटाने में ही अपना सारा जीवन लगा देते हैं। यह आयत इस आधुनिक लालच पर सीधा प्रहार करती है।
दीर्घायु (Longevity) की होड़: आज का विज्ञान और तकनीक "हज़ार साल जीने" के सपने को साकार करने में लगा हुआ है। लोग बुढ़ापा रोकने और उम्र बढ़ाने पर अरबों रुपया खर्च कर रहे हैं, बिना यह सोचे कि इस लंबी उम्र का उद्देश्य क्या है।
यहूदी वर्चस्व: वैश्विक स्तर पर आर्थिक और वित्तीय संस्थानों में यहूदियों का वर्चस्व इस आयत की सच्चाई को साबित करता है कि वे दुनिया के सबसे लालची लोग हैं।
मुसलमानों की स्थिति: दुखद बात यह है कि आज बहुत से मुसलमान भी दुनिया के पीछे इस तरह भाग रहे हैं जैसे आखिरत कोई मायने नहीं रखती। वे भी उम्र बढ़ाने और दुनिया जोड़ने में ही लगे हैं।
भविष्य (Future) के संदर्भ में:
शाश्वत चेतावनी: जब तक दुनिया रहेगी, लोग दुनिया के लालच में पड़ते रहेंगे। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी के लिए एक चेतावनी बनी रहेगी कि इस लालच से बचें।
जीवन का उद्देश्य: यह आयत भविष्य के लोगों को जीवन का सही उद्देश्य याद दिलाती रहेगी - अल्लाह की इबादत और आखिरत की तैयारी।
तकनीकी विकास और नैतिकता: भविष्य में जैसे-जैसे तकनीकी विकास होगा और इंसान की उम्र और बढ़ने की संभावना होगी, यह आयत और भी प्रासंगिक हो जाएगी। यह याद दिलाएगी कि लंबी उम्र अपने-आप में कोई लक्ष्य नहीं है, बल्कि नेकी के लिए इस्तेमाल की गई उम्र ही सार्थक है।
निष्कर्ष: क़ुरआन की यह आयत मानवीय स्वभाव के एक गहरे पहलू - "दुनिया के प्रति अंधा लगाव और मौत का भय" - को उजागर करती है। यह एक ओर जहाँ बनी इस्राईल की मानसिकता का विश्लेषण करती है, वहीं दूसरी ओर हर इंसान को अपने अंदर झांकने का अवसर देती है। क्या हम भी दुनिया के इतने लालची हैं कि आखिरत भुला बैठे हैं? क्या हम भी हज़ार साल जीने का सपना देखते हैं? यह आयत हमें हमारे प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने की शक्तिशाली प्रेरणा देती है।