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कुरआन की आयत 3:137 की पूरी व्याख्या

 

अरबी आयत (Arabic Verse):

﴿قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِكُمْ سُنَنٌ فَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَانظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِينَ﴾

(Surah Aal-e-Imran, Ayat 137)


शब्दार्थ (Word Meanings):

  • قَدْ خَلَتْ (Qad khalat): बीत चुके हैं।

  • مِن قَبْلِكُمْ (Min qablikum): तुमसे पहले।

  • سُنَنٌ (Sunanun): रीति-रिवाज / नियम / तरीके।

  • فَسِيرُوا (Faseeroo): तो चलो-फिरो।

  • فِي الْأَرْضِ (Fil-ardi): धरती में।

  • فَانظُرُوا (Fanzuroo): तो देखो।

  • كَيْفَ (Kaifa): कैसा।

  • كَانَ عَاقِبَةُ (Kaana 'aaqibatu): थी परिणाम।

  • الْمُكَذِّبِينَ (Al-mukazzibeen): झुठलाने वालों का।


सरल व्याख्या (Simple Explanation):

इस आयत का अर्थ है: "तुमसे पहले (अन्य समुदायों के लिए) रीति-रिवाज (अल्लाह के नियम) बीत चुके हैं। तो धरती में चलो-फिरो और देखो कि झुठलाने वालों का क्या परिणाम हुआ।"

यह आयत एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सार्वभौमिक सिद्धांत की ओर इशारा करती है। यह पिछली आयतों में वर्णित पुरस्कार और चेतावनी को ऐतिहासिक संदर्भ देती है।


गहन विश्लेषण और सबक (In-Depth Analysis & Lessons):

1. "सुनन" - अल्लाह के अपरिवर्तनीय नियम (The Immutable Laws of Allah):

  • "सुनन" (बहुवचन of सुन्नत) का अर्थ है अल्लाह के वे नियम जो इतिहास में बार-बार दोहराए गए हैं।

  • ये कार्य-कारण के नियम हैं, जैसे: "जिसने सत्य को ठुकराया और अत्याचार किया, उसका अंत बुरा हुआ।" और "जिसने ईमान और नेकी अपनाई, उसे सफलता मिली।"

  • यह बताता है कि इतिहास महज घटनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि सीख का स्रोत है।

2. एक सक्रिय जांच का आह्वान (A Call for Active Investigation):

  • अल्लाह सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देता। वह "धरती में चलो-फिरो" (सैर) और "आँखों से देखो" (नज़र) का आदेश देता है।

  • यह एक वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण है। तथ्यों को स्वयं जाँचो और निष्कर्ष निकालो।

3. चेतावनी का उद्देश्य (The Purpose of the Warning):

  • आयत का फोकस "अल-मुकज़्ज़िबीन" (झुठलाने वालों) के बुरे अंत पर है।

  • इसका उद्देश्य वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को चेतावनी देना है ताकि वे पिछली गलतियों को न दोहराएँ।


प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

अतीत (Past) में:
यह आयत अरब के लोगों के लिए एक सीधा संदेश थी, जिनके आस-पास ही आद, समूद और फिरऔन जैसी विनाशित सभ्यताओं के अवशेष मौजूद थे। यह आयत उन्हें उन अवशेषों को देखने और सबक लेने के लिए प्रेरित करती थी।

वर्तमान (Present) में एक आधुनिक दृष्टिकोण (With a Contemporary Audience Perspective):

आज के युग में, जहाँ जानकारी सुलभ है लेकिन सबक लेना मुश्किल है, यह आयत अत्यधिक प्रासंगिक है:

  • इतिहास एक शिक्षक के रूप में (History as a Teacher):

    • आज हम सोवियत संघ के पतन, नाज़ी जर्मनी के पतन, या अन्य अत्याचारी साम्राज्यों के पतन का इतिहास पढ़ते हैं। यह आयत हमें सिखाती है कि इन्हें सिर्फ इतिहास न समझें, बल्कि अल्लाह के "सुनन" (नियम) के रूप में देखें। जिन लोगों ने सत्य और न्याय को ठुकराया, उनका अंत बुरा हुआ।

  • व्यक्तिगत जीवन के लिए सबक (Lesson for Personal Life):

    • "झुठलाने वालों" का अर्थ सिर्फ पैगंबरों को ठुकराना ही नहीं है। आज के संदर्भ में, यह उन "सत्यों को ठुकराना" भी है जिन्हें अल्लाह ने स्पष्ट कर दिया है।

      • जो लोग "ईमान और ईमानदारी" को झुठलाते हैं (धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार), उनका अंत (जेल, बदनामी, आत्मिक अशांति) देखें।

      • जो "पारिवारिक मूल्यों और नैतिकता" को ठुकराते हैं, उनके टूटे हुए परिवार और दुखी जीवन को देखें।

      • यह आयत हमें इन "जीवित उदाहरणों" से सीखने को कहती है।

  • सैर का आधुनिक रूप (The Modern Form of 'Travel'):

    • आज "धरती में चलो-फिरो" का मतलब सिर्फ भौगोलिक सफर नहीं है। यह "ज्ञान की सैर" भी है।

    • इतिहास की किताबें पढ़ना, डॉक्यूमेंट्री देखना, समाचारों का विश्लेषण करना - ये सभी आधुनिक "सैर" के रूप हैं जिनके जरिए हम पिछली कौमों के अंत को "देख" सकते हैं।

  • एक तार्किक दावा (A Logical Claim):

    • इस्लाम का दावा है कि यह धर्म तर्क और प्रमाण पर आधारित है। यह आयत इसी बात को स्थापित करती है। यह कहती है, "हमारी बात मानने से पहले, इतिहास के पन्ने पलटकर देख लो। सत्य को ठुकराने का क्या नतीजा हुआ है?" यह दृष्टिकोण आज के बुद्धिजीवियों और युवाओं के लिए बहुत प्रभावशाली है।

  • सामाजिक पतन के संकेत (Signs of Societal Decline):

    • जब कोई समाज अल्लाह के नियमों (न्याय, ईमानदारी, नैतिकता) को व्यवस्थित रूप से ठुकराने लगता है, तो यह आयत हमें चेतावनी देती है कि उसका अंत भी पिछली कौमों जैसा ही होगा। यह हमें सामूहिक रूप से सचेत रहने का आह्वान करती है।

भविष्य (Future) के लिए:
यह आयत मानवता के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक सिद्धांत है:

  • इतिहास स्वयं को दोहराता है, क्योंकि अल्लाह के नियम कभी नहीं बदलते।

  • मानव जाति का कल्याण इन नियमों को पहचानने और उनके अनुसार चलने में है।

  • ज्ञान और विचार ही सही मार्गदर्शन के स्रोत हैं।

सारांश (Conclusion):
यह आयत हमें एक "इतिहास का विद्यार्थी" बनने का निमंत्रण देती है। यह हमें सिखाती है कि हमारे चारों ओर का इतिहास, पुरातत्व और वर्तमान घटनाएँ अल्लाह के नियमों की जीती-जागती किताब हैं। यह आयत हमें निष्क्रिय विश्वास से हटाकर एक सक्रिय, जागरूक और तार्किक ईमान की ओर ले जाती है। यह हमें याद दिलाती है कि अगर हम सफल होना चाहते हैं, तो हमें उन लोगों के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए जिन्होंने सत्य को ठुकराया और विनाश को प्राप्त हुए। यह इस्लाम की तार्किक और बौद्धिक प्रकृति का एक शानदार उदाहरण है।