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कुरआन की आयत 3:141 की पूरी व्याख्या

 पूर्ण आयत (अरबी में):

وَلِيُمَحِّصَ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا وَيَمْحَقَ الْكَافِرِينَ

अरबी शब्दों के अर्थ:

  • وَلِيُمَحِّصَ: और ताकि शुद्ध कर दे (परखकर)

  • اللَّهُ: अल्लाह

  • الَّذِينَ آمَنُوا: जो ईमान लाए

  • وَيَمْحَقَ: और नष्ट कर दे

  • الْكَافِرِينَ: इन्कार करने वालों को

आयत का पूर्ण विवरण:
यह आयत सूरह आल-ए-इमरान की है और यह उहुद की लड़ाई के संदर्भ में उतरी थी। इस आयत में अल्लाह फरमाता है कि वह ईमान वालों को परखकर शुद्ध करना चाहता है और काफिरों को नष्ट करना चाहता है।

तफ्सीर और शिक्षा:

  1. ईमान वालों की परीक्षा: अल्लाह मुसलमानों की आज़माइश लेकर उनके ईमान को निखारता है, उनकी कमज़ोरियों को दूर करता है और उन्हें मजबूत बनाता है।

  2. काफिरों का अंत: जो लोग सच्चाई को ठुकराते हैं, अंततः उनका विनाश निश्चित है।

अतीत के साथ प्रासंगिकता:
उहुद की लड़ाई में मुसलमानों को शुरुआती सफलता के बाद कुछ गलतियों की वजह से नुकसान उठाना पड़ा। इस आयत ने उन्हें समझाया कि यह आज़माइश उनके ईमान को शुद्ध करने के लिए थी।

वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता:

  1. आधुनिक संदर्भ: आज भी मुसलमान विभिन्न चुनौतियों (आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक) का सामना कर रहे हैं। यह आयत हमें यह याद दिलाती है कि यह सब हमारे ईमान की परीक्षा है।

  2. समकालीन दृष्टिकोण:

    • ईमान वालों के लिए: मुसीबतों में धैर्य रखें, अपने ईमान को मजबूत करें और अल्लाह पर भरोसा रखें।

    • शिक्षा: बुराई और गलत रास्तों पर चलने वालों का अंत बुरा होता है, भले ही अभी वे सफल दिख रहे हों।

  3. भविष्य के लिए संदेश: ईमान वालों के लिए अंत में जीत निश्चित है, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।

सारांश:
यह आयत हमें सिखाती है कि जीवन की कठिनाइयाँ हमारी आध्यात्मिक सफाई का जरिया हैं। अल्लाह की योजना में ईमान वालों के लिए पुरस्कार और सत्य को ठुकराने वालों के लिए विनाश निश्चित है।