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कुरआन की आयत 3:142 की पूरी व्याख्या

 पूर्ण आयत (अरबी में):

أَمْ حَسِبْتُمْ أَن تَدْخُلُوا الْجَنَّةَ وَلَمَّا يَعْلَمِ اللَّهُ الَّذِينَ جَاهَدُوا مِنكُمْ وَيَعْلَمَ الصَّابِرِينَ

अरबी शब्दों के अर्थ:

  • أَمْ حَسِبْتُمْ: क्या तुमने समझ रखा था

  • أَن تَدْخُلُوا الْجَنَّةَ: कि तुम जन्नत में दाखिल हो जाओगे

  • وَلَمَّا: जबकि अभी तक नहीं

  • يَعْلَمِ اللَّهُ: अल्लाह ने जान लिया (परख लिया)

  • الَّذِينَ جَاهَدُوا: जिन्होंने जिहाद किया

  • مِنكُمْ: तुम में से

  • وَيَعْلَمَ الصَّابِرِينَ: और धैर्य वालों को जान लिया

आयत का पूर्ण विवरण:
यह आयत पिछली आयतों से जुड़ी हुई है और उहुद की लड़ाई के बाद उतरी थी। इसमें अल्लाह मुसलमानों से सीधा सवाल कर रहे हैं कि क्या वे यह समझते थे कि बिना किसी परीक्षा के सीधे जन्नत में चले जाएंगे।

तफ्सीर और शिक्षा:

  1. जन्नत की सस्ती उम्मीद नहीं: जन्नत पाने के लिए केवल ईमान लाना ही काफी नहीं है, बल्कि परीक्षाओं में सफल होना जरूरी है।

  2. दो मुख्य गुणों की परख:

    • जिहाद: अल्लाह की राह में संघर्ष करना (अपने आप से, समाज से, बुराइयों से)

    • सब्र: मुसीबतों में धैर्य बनाए रखना

अतीत के साथ प्रासंगिकता:
उहुद की लड़ाई के बाद कुछ मुसलमानों ने सोचा कि शहादत या जीत आसान मिल जाएगी। इस आयत ने उन्हें समझाया कि जन्नत बिना परीक्षा और संघर्ष के नहीं मिलती।

वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता:

समकालीन दृष्टिकोण:

  1. आध्यात्मिक जिहाद: आज के दौर में जिहाद का मतलब सिर्फ लड़ाई नहीं, बल्कि:

    • अपने बुरे स्वभाव से लड़ना

    • गलत आदतों को छोड़ना

    • समाज में बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाना

    • ईमान को बचाए रखने की कोशिश करना

  2. आधुनिक संघर्षों में सब्र:

    • आर्थिक मुश्किलों में ईमानदार रहना

    • सामाजिक दबाव में इस्लामी पहचान बनाए रखना

    • नैतिक मूल्यों पर टिके रहना

  3. युवाओं के लिए संदेश:

    • सफलता बिना मेहनत के नहीं मिलती

    • धैर्य और लगन से काम करना जरूरी है

    • ईमान की राह आसान नहीं, पर अंत में जीत है

भविष्य के लिए शिक्षा:

  • मुसलमानों को हमेशा तैयार रहना चाहिए कि ईमान की राह में चुनौतियां आएंगी

  • जन्नत पाने के लिए लगातार प्रयास और सुधार जरूरी है

  • अल्लाह हमेशा हमारे संघर्ष और धैर्य को देख रहा है

सारांश:
यह आयत हमें सिखाती है कि जन्नत बिना मेहनत और परीक्षा के नहीं मिलती। अल्लाह हमारे अंदर के जिहाद (संघर्ष) और सब्र (धैर्य) को परखता है। आज के दौर में यह आयत हमें प्रेरणा देती है कि हर मुसीबत में धैर्य रखें और अल्लाह की राह में लगातार प्रयास करते रहें।