Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:153 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

إِذْ تُصْعِدُونَ وَلَا تَلْوُونَ عَلَىٰ أَحَدٍ وَالرَّسُولُ يَدْعُوكُمْ فِي أُخْرَاكُمْ فَأَثَابَكُمْ غَمًّا بِغَمٍّ لِّكَيْلَا تَحْزَنُوا عَلَىٰ مَا فَاتَكُمْ وَلَا مَا أَصَابَكُمْ ۗ وَاللَّهُ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • إِذْ تُصْعِدُونَ : जब तुम (पहाड़ पर) चढ़ रहे थे

  • وَلَا تَلْوُونَ عَلَىٰ أَحَدٍ : और किसी की ओर पीछे मुड़कर नहीं देख रहे थे

  • وَالرَّسُولُ يَدْعُوكُمْ فِي أُخْرَاكُمْ : और रसूल तुम्हें तुम्हारे पीछे से पुकार रहे थे

  • فَأَثَabَكُمْ : तो उसने तुम्हें दिया

  • غَمًّا بِغَمٍّ : एक गम के ऊपर दूसरा गम

  • لِّكَيْلَا تَحْزَنُوا : ताकि तुम दुखी न हो

  • عَلَىٰ مَا فَاتَكُمْ : जो तुम्हारे हाथ से निकल गया (लूट का माल)

  • وَلَا مَا أَصَابَكُمْ : और न ही उस पर जो तुम पर आ पड़ा (मुसीबत)

  • وَاللَّهُ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ : और अल्लाह उस सब काम से भली-भाँति अवगत है जो तुम करते हो

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"(याद करो) जब तुम (भागकर पहाड़ पर) चढ़ रहे थे और किसी की ओर पीछे मुड़कर नहीं देख रहे थे, और रसूल तुम्हें तुम्हारे पीछे से पुकार रहे थे। तो अल्लाह ने तुम्हें एक मुसीबत के ऊपर दूसरी मुसीबत दे डाली, ताकि तुम न तो उस चीज़ पर दुखी हो जो तुम्हारे हाथ से निकल गई (लूट का माल) और न ही उस मुसीबत पर जो तुम पर आ पड़ी (शहादत)। और अल्लाह उस सब काम से भली-भाँति अवगत है जो तुम करते हो।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत उहुद की लड़ाई के उस दर्दनाक पल का वर्णन करती है जब मुसलमानों की कतारें टूट गईं और वे हार के डर से भागने लगे। यह दृश्य उस अराजकता को दर्शाता है जब सैनिक अपने नेता (पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की पुकार को अनसुना करके, अपनी जान बचाने के लिए बेतहाशा भाग रहे थे।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. संकट में धैर्य: मुश्किल वक्त में घबराकर भागना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि उसे और बढ़ा देता है।

  2. नेतृत्व का महत्व: संकट के समय नेता की आवाज सुनना और उसके इर्द-गिर्द एकजुट होना बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।

  3. दुनियावी लालच से सबक: लूट के माल (दुनिया) के लालच में पड़कर अनुशासन तोड़ना भारी पड़ता है।

  4. अल्लाह की जागरूकता: अल्लाह हर किसी के कर्मों को देख रहा है और वही परिणाम तय करता है।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Audience Perspective):

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • संकट प्रबंधन (Crisis Management): चाहे कोई व्यक्तिगत संकट हो, पारिवारिक समस्या हो, या सामाजिक आपदा, घबराकर भागने या जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने से समस्या और बढ़ती है। इस आयत से सीख मिलती है कि संकट के समय एकजुट होकर, नेतृत्व का साथ देकर और धैर्य से काम लेना चाहिए।

  • सामाजिक जिम्मेदारी (Social Responsibility): आज के इंडिविजुअलिस्टिक (व्यक्तिवादी) दौर में हर कोई सिर्फ अपनी सुरक्षा और फायदे के बारे में सोचता है। यह आयत सिखाती है कि समुदाय की सुरक्षा और हित व्यक्तिगत हित से ऊपर होना चाहिए। कोरोना काल में लॉकडाउन का पालन न करना इसका एक उदाहरण है - जब लोगों ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सामूहिक कल्याण से ऊपर रखा।

  • आध्यात्मिक शिक्षा (Spiritual Lesson): यह आयत हमें सिखाती है कि दुनिया की चीजों (लूट का माल) और मुसीबतों (शहादत/नुकसान) पर अत्यधिक दुखी नहीं होना चाहिए। हर परिस्थिति अल्लाह की तरफ से एक परीक्षा है और उसके पास हर चीज का हिसाब है।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "संकट के समय एकजुटता और अनुशासन ही सबसे बड़ी ताकत है।" चाहे भविष्य में किसी भी प्रकार की चुनौतियाँ आएं, यह सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:153 मानवीय कमजोरियों का एक मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के मनुष्य के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि संकट के समय धैर्य, एकजुटता और नेतृत्व का पालन ही सही मार्ग है। अल्लाह की हर समय निगरानी में होने का भाव हमें हर स्थिति में संयम और ईमानदारी से काम करने की प्रेरणा देता है।