Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:164 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

لَقَدْ مَنَّ اللَّهُ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ إِذْ بَعَثَ فِيهِمْ رَسُولًا مِّنْ أَنفُسِهِمْ يَتْلُو عَلَيْهِمْ آيَاتِهِ وَيُزَكِّيهِمْ وَيُعَلِّمُهُمُ الْكِتَابَ وَالْحِكْمَةَ وَإِن كَانُوا مِن قَبْلُ لَفِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • لَقَدْ مَنَّ اللَّهُ : निश्चय ही अल्लाह ने एहसान किया

  • عَلَى الْمُؤْمِنِينَ : ईमान वालों पर

  • إِذْ بَعَثَ فِيهِمْ : जब भेजा उन्हीं में से

  • رَسُولًا مِّنْ أَنفُسِهِمْ : एक रसूल उन्हीं में से

  • يَتْلُو عَلَيْهِمْ آيَاتِهِ : पढ़कर सुनाता है उन्हें उसकी आयतें

  • وَيُزَكِّيهِمْ : और पवित्र करता है उन्हें

  • وَيُعَلِّمُهُمُ الْكِتَابَ وَالْحِकْمَةَ : और सिखाता है उन्हें किताब और हिक्मत

  • وَإِن كَانُوا مِن قَبْلُ : और यद्यपि वे पहले थे

  • لَفِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ : तो स्पष्ट गुमराही में

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"निश्चय ही अल्लाह ने ईमान वालों पर बड़ा एहसान किया है कि उन्हीं में से एक रसूल (पैगंबर) भेजा जो उन्हें उसकी आयतें सुनाता है, उन्हें पवित्र करता है और उन्हें किताब (कुरआन) और हिक्मत (तत्वदर्शिता) सिखाता है, यद्यपि इससे पहले वे स्पष्ट गुमराही में थे।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आगमन के महान एहसान को याद दिलाती है। जहिलिय्यत (अज्ञानता) के दौर में अरब के लोग मूर्तिपूजा, अंधविश्वास और बुराइयों में डूबे हुए थे। पैगंबर के आगमन ने उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्गदर्शन किया।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. अल्लाह का महान एहसान: पैगंबर का भेजा जाना अल्लाह की ओर से मानवजाति पर सबसे बड़ा एहसान है।

  2. मार्गदर्शन का महत्व: पैगंबर का मुख्य कार्य लोगों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना है।

  3. शिक्षा और शुद्धिकरण: इस्लाम का उद्देश्य सिर्फ ज्ञान देना ही नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि भी करना है।

  4. पैगंबर की विशेषताएँ: पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तिलावत, तज़किया (शुद्धिकरण) और तालीम (शिक्षा) के माध्यम से पूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Audience Perspective):

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • आध्यात्मिक मार्गदर्शन की आवश्यकता: आज का मनुष्य भौतिकवाद और अर्थहीनता के संकट से गुजर रहा है। पैगंबर की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी 1400 साल पहले थीं।

  • शिक्षा का संतुलित दृष्टिकोण: आज की शिक्षा प्रणाली सिर्फ दिमागी ज्ञान पर केंद्रित है, जबकि पैगंबर की शिक्षा दिमाग (किताब) और दिल (हिक्मत और तज़किया) दोनों को शिक्षित करती है।

  • समाज सुधार: पैगंबर के आगमन ने एक पूरे समाज को बदल दिया। आज भी उनकी शिक्षाओं पर चलकर हम अपने समाज को सुधार सकते हैं।

  • युवाओं के लिए मार्गदर्शन: आज का युवा भटकाव और पहचान के संकट से जूझ रहा है। पैगंबर की शिक्षाएँ उन्हें जीवन का सही लक्ष्य और दिशा दे सकती हैं।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का आगमन अल्लाह का सबसे बड़ा उपहार है।" भविष्य में चाहे दुनिया कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाए, पैगंबर की शिक्षाओं की आवश्यकता सदैव बनी रहेगी।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:164 मुसलमानों पर अल्लाह के सबसे बड़े एहसान को याद दिलाती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के मुसलमान के लिए कृतज्ञता और प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें सिखाती है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के रूप में अल्लाह का एहसान सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि हर पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है। हमें इस एहसान की कद्र करनी चाहिए और पैगंबर की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए। यह आयत आज के आधुनिक युग में हमारे लिए एक मार्गदर्शक किरण का काम करती है।