Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:176 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

وَلَا يَحْزُنْكَ الَّذِينَ يُسَارِعُونَ فِي الْكُفْرِ ۚ إِنَّهُمْ لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا ۗ يُرِيدُ اللَّهُ أَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِي الْآخِرَةِ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • وَلَا يَحْزُنْكَ : और (ऐ पैगंबर) आपको दुखी न करें

  • الَّذِينَ يُسَارِعُونَ : जो लोग तेजी दिखाते हैं

  • فِي الْكُفْرِ : कुफ्र में

  • ۚ إِنَّهُمْ لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا : वे अल्लाह को कुछ नुकसान नहीं पहुँचा सकते

  • ۗ يُرِيدُ اللَّهُ : अल्लाह चाहता है

  • أَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا : कि न बनाए उनके लिए कोई हिस्सा

  • فِي الْآخِرَةِ : आखिरत में

  • ۖ وَلَهُمْ : और उनके लिए है

  • عَذَابٌ عَظِيمٌ : बड़ा अज़ाब (यातना)

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"और (ऐ पैगंबर!) आपको वे लोग दुखी न करें जो कुफ्र में तेजी दिखाते हैं। वे अल्लाह को कुछ नुकसान नहीं पहुँचा सकते। अल्लाह चाहता है कि आखिरत में उनका कोई हिस्सा न बनाए और उनके लिए बड़ा अज़ाब (यातना) है।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को दिलासा देती है। जब आप देख रहे थे कि कुछ लोग कुफ्र और इस्लाम विरोध में बहुत आगे बढ़ रहे हैं और इस्लाम को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं, तो अल्लाह ने इस आयत के द्वारा आपको ढाढस बँधाया कि ये लोग अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकते।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. दुखी न होना: इस्लाम के दुश्मनों की हरकतों से दुखी नहीं होना चाहिए।

  2. अल्लाह की शक्ति: कोई भी अल्लाह को नुकसान नहीं पहुँचा सकता।

  3. आखिरत का हिस्सा: काफिरों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं होगा।

  4. अज़ाब का वादा: कुफ्र करने वालों के लिए बड़ा अज़ाब तैयार है।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता:

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • इस्लाम विरोधी गतिविधियों पर प्रतिक्रिया: आज दुनिया भर में इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ अनेक प्रकार के हमले हो रहे हैं। यह आयत हमें सिखाती है कि हमें इन हमलों से दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि ये लोग अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकते।

  • मीडिया और प्रोपेगैंडा: आज मीडिया और सोशल मीडिया पर इस्लाम के खिलाफ जो प्रोपेगैंडा चल रहा है, उसे देखकर मुसलमान दुखी होते हैं। यह आयत याद दिलाती है कि अल्लाह की योजना सर्वोच्च है और इन लोगों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं होगा।

  • आध्यात्मिक शांति: जब हम जानते हैं कि अल्लाह सब कुछ देख रहा है और उसने काफिरों के लिए बड़ा अज़ाब तैयार किया है, तो हमें मानसिक शांति मिलती है।

  • दावत-ए-इस्लाम का जारी रहना: इस आयत से प्रेरणा लेकर हमें दावत-ए-इस्लाम का काम जारी रखना चाहिए, चाहे लोग कितने भी विरोध क्यों न करें।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "काफिरों की विरोधी गतिविधियों से दुखी न हों क्योंकि अल्लाह ने उनके लिए आखिरत में कोई हिस्सा नहीं रखा है।" भविष्य में चाहे इस्लाम के खिलाफ कितने भी हमले क्यों न हों, यह सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:176 पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और सभी मोमिनीन के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के मुसलमान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि काफिरों की विरोधी गतिविधियों और इस्लाम के खिलाफ उनकी तेजी से दुखी नहीं होना चाहिए। अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता और उसने काफिरों के लिए आखिरत में कोई हिस्सा नहीं रखा है, बल्कि उनके लिए बड़ा अज़ाब तैयार किया है। यह आयत आज के इस्लाम विरोधी माहौल में हमारे लिए धैर्य और आश्वासन का स्रोत है।