Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:177 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

إِنَّ الَّذِينَ اشْتَرَوُا الْكُفْرَ بِالْإِيمَانِ لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • إِنَّ الَّذِينَ : निश्चय ही जिन लोगों ने

  • اشْتَرَوُا : खरीद लिया

  • الْكُفْرَ : कुफ्र को

  • بِالْإِيمَانِ : ईमान के बदले

  • لَنْ يَضُرُّوا اللَّهَ شَيْئًا : वे अल्लाह को कुछ नुकसान नहीं पहुँचा सकते

  • وَلَهُمْ : और उनके लिए है

  • عَذَابٌ أَلِيمٌ : दर्दनाक अज़ाब (यातना)

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"निश्चय ही जिन लोगों ने ईमान के बदले कुफ्र को खरीद लिया है, वे अल्लाह को कुछ नुकसान नहीं पहुँचा सकते और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब (यातना) है।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत उन लोगों के बारे में है जो दुनियावी फायदों के लिए अपना ईमान बेच देते हैं। ऐतिहासिक रूप से, कुछ लोग इस्लाम छोड़कर कुफ्र अपना लेते थे ताकि उन्हें दुनियावी लाभ मिल सके। यह आयत ऐसे लोगों को चेतावनी देती है।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. ईमान की कीमत: ईमान सबसे बहुमूल्य धरोहर है, इसे दुनियावी चीजों के बदले नहीं बेचना चाहिए।

  2. अल्लाह की शक्ति: कोई भी अल्लाह को नुकसान नहीं पहुँचा सकता, चाहे कोई कितना भी कुफ्र क्यों न करे।

  3. परिणाम की चेतावनी: ईमान के बदले कुफ्र अपनाने वालों के लिए दर्दनाक अज़ाब तैयार है।

  4. व्यापारिक दृष्टिकोण: यह आयत एक व्यापारिक शब्द "खरीदना" इस्तेमाल करती है, जो दर्शाता है कि ईमान के बदले कुफ्र अपनाना सबसे बुरा व्यापार है।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता :

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • Materialism का दौर: आज के भौतिकवादी युग में लोग पैसे, पद और सुविधाओं के लिए अपने धार्मिक मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता कर लेते हैं। यह आयत ऐसे लोगों के लिए एक चेतावनी है।

  • करियर और ईमान: आज कई मुसलमान युवा नौकरी या करियर के चक्कर में अपने ईमानी कर्तव्यों को छोड़ देते हैं। उन्हें यह आयत याद दिलाती है कि यह सबसे बुरा व्यापार है।

  • सामाजिक दबाव: कई बार लोग सामाजिक स्वीकृति या दबाव के कारण अपने ईमान से समझौता कर लेते हैं। यह आयत उन्हें सचेत करती है।

  • राजनीतिक और आर्थिक लाभ: आज कुछ लोग राजनीतिक या आर्थिक लाभ के लिए अपने धार्मिक मूल्यों को त्याग देते हैं। यह आयत उनके लिए एक स्पष्ट चेतावनी है।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "ईमान के बदले कुफ्र को अपनाना सबसे बुरा व्यापार है।" भविष्य में चाहे दुनियावी प्रलोभन कितने भी आकर्षक क्यों न हों, यह सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:177 उन लोगों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है जो दुनियावी लाभों के लिए अपना ईमान बेच देते हैं। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के मुसलमान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि ईमान सबसे बहुमूल्य धरोहर है और इसे किसी भी दुनियावी चीज के बदले नहीं बेचना चाहिए। अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता, बल्कि ऐसे लोग स्वयं अपने लिए दर्दनाक अज़ाब खरीद रहे हैं। यह आयत आज के भौतिकवादी और प्रलोभनों से भरे युग में हमारे लिए एक मार्गदर्शक और चेतावनी का काम करती है।