Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:178 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ خَيْرٌ لِّأَنفُسِهِمْ ۚ إِنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ لِيَزْدَادُوا إِثْمًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ مُّهِينٌ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • وَلَا يَحْسَبَنَّ : और कदापि न समझें

  • الَّذِينَ كَفَرُوا : जिन लोगों ने कुफ्र किया

  • أَنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ : कि हमने जो उन्हें मोहलत दी है

  • خَيْرٌ لِّأَنفُسِهِمْ : उनके लिए भलाई है

  • ۚ إِنَّمَا نُمْلِي لَهُمْ : हम तो उन्हें मोहलत देते हैं

  • لِيَزْدَadُوا إِثْمًا : ताकि वे गुनाह में बढ़ जाएँ

  • ۖ وَلَهُمْ : और उनके लिए है

  • عَذَابٌ مُّهِينٌ : अपमानजनक अज़ाब

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"और काफिर लोग कदापि यह न समझें कि जो मोहलत हम उन्हें दे रहे हैं, वह उनके लिए भलाई है। हम तो उन्हें मोहलत इसलिए देते हैं ताकि वे गुनाह में बढ़ जाएँ और उनके लिए अपमानजनक अज़ाब (यातना) है।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत उन काफिरों के बारे में है जो इस्लाम के खिलाफ साजिशें कर रहे थे और सोचते थे कि अल्लाह उन्हें सजा नहीं दे रहा है, इसलिए वे सही रास्ते पर हैं। अल्लाह स्पष्ट करता है कि यह मोहलत उनके लिए भलाई नहीं बल्कि उनके गुनाहों को बढ़ाने के लिए है।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. मोहलत का असली मतलब: अल्लाह की मोहलत उसकी मजबूरी नहीं बल्कि उसकी एक रणनीति है।

  2. अल्लाह की हिकमत: अल्लाह हर चीज में हिकमत (बुद्धिमत्ता) रखता है।

  3. चेतावनी: काफिरों को चेतावनी कि वे मोहलत को अपनी कामयाबी न समझें।

  4. परिणाम की याद: आखिर में उन्हें अपमानजनक सजा मिलेगी।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता :

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • इस्लाम विरोधी ताकतों के लिए चेतावनी: आज जो ताकतें इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ काम कर रही हैं, वे सोचती हैं कि उन्हें सफलता मिल रही है। यह आयत उन्हें चेतावनी देती है कि यह मोहलत उनके गुनाहों को बढ़ाने के लिए है।

  • मुसलमानों के लिए ढाढस: जब मुसलमान देखते हैं कि इस्लाम के दुश्मन फल-फूल रहे हैं, तो उन्हें लगता है कि अल्लाह उनकी मदद नहीं कर रहा। यह आयत उन्हें समझाती है कि यह अल्लाह की हिकमत है।

  • नैतिक शिक्षा: यह आयत सिखाती है कि दुनियावी सफलता हमेशा अच्छाई की निशानी नहीं होती। कई बार अल्लाह बुरे लोगों को उनके गुनाहों में बढ़ने का मौका देता है।

  • युवाओं के लिए सबक: आज के युवा जब देखते हैं कि बुराई करने वाले लोग सफल हो रहे हैं, तो वे भी बुराई की ओर आकर्षित होते हैं। यह आयत उन्हें समझाती है कि यह सफलता अस्थायी है और इसके पीछे अल्लाह की हिकमत है।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "अल्लाह की मोहलत को उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए।" भविष्य में चाहे बुराई करने वाले कितने भी सफल क्यों न दिखें, अंत में उन्हें अपमानजनक सजा मिलेगी।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:178 काफिरों और बुराई करने वालों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के इंसान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि अल्लाह की मोहलत को उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए। अल्लाह बुरे लोगों को मोहलत इसलिए देता है ताकि वे अपने गुनाहों में बढ़ जाएँ और फिर उन्हें पूरी सजा मिल सके। आखिर में उनके लिए अपमानजनक अज़ाब तैयार है। यह आयत आज के भ्रमित करने वाले युग में हमारे लिए सच्चाई को पहचानने का एक मापदंड है।