Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:182 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

ذَٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيكُمْ وَأَنَّ اللَّهَ لَيْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيدِ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • ذَٰلِكَ : वह (अज़ाब)

  • بِمَا : इस कारण है कि

  • قَدَّمَتْ : आगे भेजा

  • أَيْدِيكُمْ : तुम्हारे हाथों ने

  • وَأَنَّ اللَّهَ : और यह कि अल्लाह

  • لَيْسَ بِظَلَّامٍ : ज़ुल्म करने वाला नहीं है

  • لِّلْعَبِيدِ : बन्दों के लिए

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"यह (अज़ाब) उसके कारण है जो कुछ तुम्हारे हाथों ने आगे भेजा (तुम्हारे कर्म) और यह कि अल्लाह बन्दों पर ज़ुल्म करने वाला नहीं है।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत पिछली आयत (3:181) का ही विस्तार है, जहाँ यहूदियों ने अल्लाह के बारे में अपमानजनक बातें कही थीं। इस आयत में स्पष्ट किया गया है कि उन्हें मिलने वाली सजा उनके अपने कर्मों का परिणाम है, न कि अल्लाह का कोई जुल्म।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. कर्मों का फल: हर इंसान को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है।

  2. अल्लाह का न्याय: अल्लाह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता, वह तो बस इंसान के कर्मों का बदला देता है।

  3. जिम्मेदारी का भाव: हर इंसान स्वयं अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार है।

  4. चेतावनी: बुरे कर्मों का बुरा परिणाम मिलना तय है।


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता :

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • व्यक्तिगत जिम्मेदारी: आज के युग में लोग अपनी गलतियों और बुरे कर्मों का दोष दूसरों पर डालते हैं। यह आयत सिखाती है कि हर इंसान स्वयं अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार है।

  • नैतिक शिक्षा: समाज में बढ़ते अपराध और बुराइयों के लिए यह आयत एक चेतावनी है कि हर बुरे कर्म का बदला मिलकर रहेगा।

  • आध्यात्मिक दृष्टिकोण: जब लोग मुसीबतों में फंसते हैं तो अक्सर किस्मत को कोसते हैं। यह आयत समझाती है कि यह मुसीबतें हमारे अपने कर्मों का नतीजा हैं, अल्लाह का जुल्म नहीं।

  • युवाओं के लिए सबक: आज का युवा बुरी संगत और गलत रास्तों पर चलकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहा है। यह आयत उन्हें चेतावनी देती है कि उन्हें अपने कर्मों का फल भुगतना होगा।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "हर इंसान को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है और अल्लाह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता।" भविष्य में चाहे समाज कितना भी बदल जाए, यह सिद्धांत सदैव प्रासंगिक रहेगा।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:182 मानव जीवन के एक मौलिक सिद्धांत को स्पष्ट करती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के इंसान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि हमें जो कुछ भी मिलता है, वह हमारे अपने कर्मों का परिणाम है। अल्लाह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता, बल्कि वह तो बस इंसान के कर्मों का उचित बदला देता है। इस आयत में मनुष्य के लिए चेतावनी भी है और अल्लाह के न्याय पर विश्वास की शिक्षा भी। यह आयत आज के भ्रम और असंतुलन भरे युग में हमारे लिए सही दिशा का निर्धारण करती है।