Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन की आयत 3:194 की पूरी व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ

2. आयत का शाब्दिक अर्थ (Word-to-Word Meaning)

  • رَبَّنَا : हे हमारे पालनहार

  • وَآتِنَا : और हमें दे

  • مَا وَعَدتَّنَا : जो तूने हमसे वादा किया

  • عَلَىٰ رُسُلِكَ : अपने रसूलों के द्वारा

  • وَلَا تُخْزِنَا : और हमें अपमानित न कर

  • يَوْمَ الْقِيَامَةِ : क़यामत के दिन

  • ۗ إِنَّكَ : निश्चय ही तू

  • لَا تُخْلِفُ : तोड़ता नहीं है

  • الْمِيعَادَ : वादा

3. सरल अर्थ (Simple Meaning in Hindi)

"हे हमारे पालनहार! हमें वह (प्रतिफल) दे जिसका तूने हमसे अपने रसूलों के द्वारा वादा किया है और क़यामत के दिन हमें अपमानित न कर। निश्चय ही तू वादा नहीं तोड़ता।"


4. आयत की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ (Context)

यह आयत पिछली आयतों में वर्णित उन मोमिनीन की दुआ का अगला भाग है जो अल्लाह से जन्नत का वादा पूरा करने और क़यामत के दिन शर्मिंदगी से बचाने की प्रार्थना कर रहे हैं। यह दुआ उनकी अल्लाह के वादों पर दृढ़ विश्वास को दर्शाती है।


5. आयत से सीख (Lesson from the Verse)

यह आयत कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती है:

  1. वादे का विश्वास: अल्लाह के वादों पर पूरा विश्वास रखना

  2. जन्नत की चाह: अल्लाह से जन्नत का वादा पूरा करने की दुआ मांगना

  3. शर्मिंदगी का डर: क़यामत के दिन अपमानित होने से बचने की प्रार्थना

  4. अल्लाह की सत्यता: अल्लाह अपने वादों को पूरा करने वाला है


6. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)

वर्तमान में प्रासंगिकता :

आज के संदर्भ में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:

  • आखिरत की तैयारी: आज के भौतिकवादी युग में लोग दुनिया में ही मग्न हैं। यह आयत हमें आखिरत की तैयारी और जन्नत की चाहत की याद दिलाती है।

  • आशा और विश्वास: जब हम दुनिया की मुश्किलों और ईमानी परीक्षाओं से गुजर रहे होते हैं, तो यह आयत हमें अल्लाह के वादों पर विश्वास और आखिरत में सफलता की आशा देती है।

  • नैतिक प्रेरणा: इस दुआ से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम अपने कर्मों को सुधारें ताकि क़यामत के दिन शर्मिंदगी न हो।

  • युवाओं के लिए मार्गदर्शन: आज के युवाओं को यह आयत सिखाती है कि दुनिया की सफलता के साथ-साथ आखिरत की सफलता भी जरूरी है।

भविष्य के लिए संदेश:

  • यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थाई मार्गदर्शक है कि "अल्लाह से जन्नत का वादा मांगो और क़यामत के दिन शर्मिंदगी से बचने की दुआ करो।" भविष्य में चाहे दुनिया कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाए, यह दुआ सदैव प्रासंगिक रहेगी।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 3:194 मोमिनीन की एक संपूर्ण दुआ का हिस्सा है जिसमें वे अल्लाह से जन्नत का वादा पूरा करने और क़यामत के दिन शर्मिंदगी से बचाने की प्रार्थना कर रहे हैं। यह न केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण है, बल्कि हर युग के मुसलमान के लिए एक व्यावहारिक जीवन-शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि हमें अल्लाह के वादों पर पूरा विश्वास रखते हुए उससे जन्नत मांगनी चाहिए और क़यामत के दिन की शर्मिंदगी से बचने की दुआ करनी चाहिए। यह आयत आज के युग में हमारे लिए आशा और विश्वास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।