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क़ुरआन 3:27 (सूरह आले-इमरान, आयत नंबर 27) की पूर्ण व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

تُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَتُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ ۖ وَتُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَتُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ ۖ وَتَرْزُقُ مَن تَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ

2. अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning)

  • تُولِجُ (तूलिजु): तू प्रवेश कराता है, मिला देता है।

  • اللَّيْلَ (अल-लैल): रात को।

  • فِي (फ़ी): में।

  • النَّهَارِ (अन-नहार): दिन में।

  • وَتُولِجُ (व तूलिजु): और तू प्रवेश कराता है।

  • النَّهَارَ (अन-नहार): दिन को।

  • فِي (फ़ी): में।

  • اللَّيْلِ (अल-लैल): रात में।

  • وَتُخْرِجُ (व तुख़रिजु): और तू निकालता है।

  • الْحَيَّ (अल-हय्य): जीवित को।

  • مِنَ (मिन): से।

  • الْمَيِّتِ (अल-मैयित): मरे हुए से।

  • وَتُخْرِجُ (व तुख़रिजु): और तू निकालता है।

  • الْمَيِّتَ (अल-मैयित): मरे हुए को।

  • مِنَ (मिन): से।

  • الْحَيِّ (अल-हय्यि): जीवित से।

  • وَتَرْزُقُ (व तरज़ुक़ु): और तू रोज़ी देता है।

  • مَن (मन): जिसे।

  • تَشَاءُ (तशाउ): तू चाहता है।

  • بِغَيْرِ (बि-गैरि): बिना।

  • حِسَابٍ (हिसाब): गिनती/हिसाब के।

3. पूर्ण व्याख्या (Full Explanation in Hindi)

यह आयत पिछली आयत (3:26) में वर्णित अल्लाह की सामान्य सत्ता को प्रकृति और जीवन के ठोस उदाहरणों के साथ सिद्ध करती है। अल्लाह सिर्फ यह नहीं कहता कि "मैं सब कुछ कर सकता हूँ," बल्कि वह अपनी शक्ति के पांच चमत्कारिक प्रमाण पेश करता है जिन्हें हर इंसान हर पल अपनी आँखों से देख सकता है।

ये पाँच प्रमाण इस प्रकार हैं:

1. तूलिजुल लैला फिन नहार (तू रात को दिन में प्रवेश कराता है):

  • यह धीरे-धीरे सूर्यास्त की प्रक्रिया है, जब रात की अंधेरी दिन की रोशनी में धीरे-धीरे समा जाती है।

2. व तूलिजुन नहारा फिल लैल (और तू दिन को रात में प्रवेश कराता है):

  • यह सूर्योदय की प्रक्रिया है, जब दिन की रोशनी धीरे-धीरे रात के अंधेरे को चीरकर सामने आती है।

  • ये दोनों प्रक्रियाएँ अल्लाह की उस सूक्ष्म व्यवस्था और शक्ति का प्रमाण हैं जो बिना रुके, बिना थके, हर दिन चल रही है।

3. व तुख़रिजुल हय्या मिनल मैयित (और तू जीवित को मरे हुए से निकालता है):

  • इसके कई अर्थ हैं:

    • बीज से पौधा: एक सूखा हुआ बीज (मुर्दा) जमीन में डाला जाता है और उसमें से हरा-भरा पौधा (जीवित) निकल आता है।

    • अंडे से चूजा: एक जीवित चूजा एक बेजान से दिखने वाले अंडे से निकलता है।

    • काफिर से मोमिन: एक काफिर का दिल (आध्यात्मिक रूप से मुर्दा) है, अल्लाह उसमें ईमान की जान डालकर उसे जीवित कर देता है।

4. व तुख़रिजुल मैयिता मिनल हय्यि (और तू मरे हुए को जीवित से निकालता है):

  • इसके भी कई अर्थ हैं:

    • अंडा: एक जीवित मुर्गी एक बेजान अंडा देती है।

    • फल: एक हरा-भरा जीवित पेड़ सूखा हुआ फल (बीज) पैदा करता है।

    • मोमिन से काफिर: एक मोमिन के घर एक काफिर पैदा हो सकता है (आध्यात्मिक रूप से मुर्दा)।

5. व तरज़ुकु मन तशाउ बि-गैरि हिसाब (और तू जिसे चाहे बिना गिनती के रोज़ी देता है):

  • यह अल्लाह की दया और उदारता का चरमोत्कर्ष है।

  • अल्लाह की रोज़ी का भंडार अथाह है। वह जिसे चाहे, अकल्पित, असंख्य और अतुलित रोज़ी देता है। उसे कोई हिसाब-किताब नहीं करना पड़ता।

4. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral)

  1. तौहीद का प्रमाण: यह आयत प्रकृति में अल्लाह की मौजूदगी और उसकी शक्ति के स्पष्ट प्रमाण दिखाकर "तौहीद" (अल्लाह की एकता) को सिद्ध करती है।

  2. रोज़ी पर भरोसा: अल्लाह बिना हिसाब के रोज़ी दे सकता है। इसलिए एक मोमिन को कभी भी रोज़ी की चिंता में नहीं पड़ना चाहिए और न ही हराम तरीके से रोज़ी कमाने की कोशिश करनी चाहिए।

  3. पुनर्जीवन का सबूत: जिस अल्लाह ने मरे हुए बीज से जीवित पेड़ निकाला, वही कयामत के दिन मरे हुओं को ज़रूर जिलाएगा। इससे आखिरत पर ईमान मज़बूत होता है।

5. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)

  • अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy to the Past):

    • पैगंबर के समय में: यह आयत मक्का के मूर्तिपूजकों के लिए एक तर्क थी, जो प्रकृति की इन निशानियों को देखकर भी अल्लाह को नहीं पहचान रहे थे।

    • सार्वभौमिक संदेश: यह संदेश हर पैगंबर ने अपनी कौम को दिया कि प्रकृति में अल्लाह की निशानियाँ देखो।

  • वर्तमान में प्रासंगिकता (Relevancy to the Present):

    • वैज्ञानिक युग में: आज का विज्ञान इन प्रक्रियाओं (जैसे Photosynthesis, Embryology) को और भी गहराई से समझता है, लेकिन यह "कौन" चला रहा है, इसका जवाब केवल इस आयत में है। हर नई वैज्ञानिक खोज इस आयत की सच्चाई को और पुख्ता करती है।

    • आर्थिक चिंता: आज का इंसान रोज़ी-रोटी की चिंता में घिरा हुआ है। यह आयत उसे याद दिलाती है कि रोज़ी का स्रोत अल्लाह है और वह बिना हिसाब के दे सकता है।

    • आध्यात्मिक जागरण: लोगों को यह एहसास दिलाती है कि उनके आस-पास का पूरा ब्रह्मांड अल्लाह की ताकत का प्रमाण है।

  • भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to the Future):

    • शाश्वत प्रमाण: जब तक सूरज चमकेगा और बीज से पौधा निकलेगा, यह आयत अल्लाह की शक्ति का एक जीवंत और शाश्वत प्रमाण बनी रहेगी।

    • भविष्य की पीढ़ियों के लिए: भविष्य की तकनीकी पीढ़ी चाहे कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, वह इन प्राकृतिक घटनाओं का कारण नहीं बना सकती। यह आयत हमेशा उन्हें याद दिलाती रहेगी कि एक सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता है।

    • आशा का स्रोत: भविष्य में कोई भी संकट आए, यह आयत यह विश्वास दिलाती रहेगी कि जिस अल्लाह के हाथ में ये चमत्कार हैं, वह हर समस्या का समाधान कर सकता है।

निष्कर्ष:
क़ुरआन 3:27 प्रकृति के माध्यम से अल्लाह की शक्ति और दया का एक जीवंत चित्रण है। यह अतीत के लिए एक तर्क थी, वर्तमान के लिए एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक सत्य है और भविष्य के लिए एक शाश्वत प्रमाण है कि हमारा रब हर पल सक्रिय है, वही जीवन-मरण का मालिक है और वही बिना गिनती के रोज़ी देने वाला है।