1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
قُلِ اللَّهُمَّ مَالِكَ الْمُلْكِ تُؤْتِي الْمُلْكَ مَن تَشَاءُ وَتَنزِعُ الْمُلْكَ مِمَّن تَشَاءُ وَتُعِزُّ مَن تَشَاءُ وَتُذِلُّ مَن تَشَاءُ ۖ بِيَدِكَ الْخَيْرُ ۖ إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
2. अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning)
قُلِ (कुलि): (हे पैगंबर!) आप कह दीजिए।
اللَّهُمَّ (अल्लाहुम्मा): हे अल्लाह!
مَالِكَ (मालिक): मालिक/स्वामी।
الْمُلْكِ (अल-मुल्क): बादशाहत/सत्ता का।
تُؤْتِي (तु'ती): तू देता है।
الْمُلْكَ (अल-मुल्क): बादशाहत।
مَن (मन): जिसे।
تَشَاءُ (तशाउ): तू चाहता है।
وَ (व): और।
تَنزِعُ (तंज़िउ): तू छीन लेता है।
الْمُلْكَ (अल-मुल्क): बादशाहत।
مِمَّن (मिम्मन): जिससे।
تَشَاءُ (तशाउ): तू चाहता है।
وَ (व): और।
تُعِزُّ (तु'इज़्ज़ु): तू इज़्ज़त देता है।
مَن (मन): जिसे।
تَشَاءُ (तशाउ): तू चाहता है।
وَ (व): और।
تُذِلُّ (तुज़िल्लु): तू ज़िल्लत देता है।
مَن (मन): जिसे।
تَشَاءُ (तशाउ): तू चाहता है।
بِيَدِكَ (बि-यदिका): तेरे हाथ में है।
الْخَيْرُ (अल-खैर): भलाई (हर तरह की)।
إِنَّكَ (इन्नका): बेशक तू ही है।
عَلَىٰ (अला): हर चीज़ पर।
كُلِّ (कुल्लि): सब।
شَيْءٍ (शैइन): चीज़।
قَدِيرٌ (क़दीर): पूरी ताक़त रखने वाला।
3. पूर्ण व्याख्या (Full Explanation in Hindi)
यह आयत पिछली आयतों में वर्णित ऐतिहासिक घटनाओं और चेतावनियों के बाद, एक गहन दुआ और एक मौलिक सिद्धांत की शिक्षा देती है। यह अल्लाह की पूर्ण सत्ता और उसकी इच्छा (मशीयत) पर पूर्ण विश्वास का प्रतीक है।
इस आयत में अल्लाह के पांच अधिकारों (Powers) का वर्णन है:
1. मालिकल मुल्कि तु'तिल मुल्का मन तशाउ (हे बादशाहत के मालिक! तू जिसे चाहे बादशाहत दे दे):
अल्लाह ही संपूर्ण सत्ता और राज्य का वास्तविक स्वामी है। वह किसी को भी सत्ता, शासन और प्रभुत्व प्रदान कर सकता है।
2. व तंज़िउल मुल्का मिम्मन तशाउ (और जिससे चाहे बादशाहत छीन ले):
जिस तरह अल्लाह सत्ता देता है, उसी तरह वह किसी से भी सत्ता छीन भी सकता है। कोई भी साम्राज्य या शासक अल्लाह की इच्छा के बिना स्थायी नहीं रह सकता।
3. व तु'इज़्ज़ु मन तशाउ (और जिसे चाहे इज़्ज़त दे):
असली इज़्ज़त, सम्मान और प्रतिष्ठा का स्रोत अल्लाह ही है। वह किसी गरीब को भी सम्मानित बना सकता है।
4. व तुज़िल्लु मन तशाउ (और जिसे चाहे ज़िल्लत दे):
और वह किसी ताकतवर शासक को भी अपमानित और बेइज़्ज़त कर सकता है। दुनिया की ताकत अल्लाह के सामने कुछ भी नहीं है।
5. बि-यदिकल खैर (तेरे हाथ में ही सारी भलाई है):
यह आयत का केंद्रीय वाक्य है। हर प्रकार की भलाई, फायदा, लाभ और नेमत का स्रोत केवल अल्लाह है। उसके खज़ाने अंतहीन हैं।
निष्कर्ष: इन्नका अला कुल्लि शैइन क़दीर (बेशक तू हर चीज़ पर पूरी तरह से सक्षम है):
इस सबका आधार अल्लाह की असीम शक्ति है। उसकी कोई सीमा नहीं है, वह हर चीज़ पर पूर्ण रूप से सक्षम है।
4. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral)
वास्तविक सत्ता का ज्ञान: इस आयत से सबसे बड़ी शिक्षा यह है कि इंसान को यह समझ लेना चाहिए कि असली सत्ता, इज़्ज़त और अपमान देने वाला केवल अल्लाह है। इससे इंसान का दिल दुनिया की सत्ताओं और लोगों के डर से मुक्त हो जाता है।
घमंड का त्याग: जो लोग सत्ता, धन या हैसियत के घमंड में चूर हैं, उन्हें यह आयत चेतावनी देती है कि यह सब अल्लाह की देन है और वह चाहे तो इसे पल भर में छीन सकता है।
अल्लाह पर पूर्ण भरोसा (तवक्कुल): एक मोमिन जानता है कि हर भलाई अल्लाह के हाथ में है, इसलिए वह हर जरूरत के लिए सीधे उसी से दुआ मांगता है और केवल उसी पर भरोसा करता है।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy to the Past):
पैगंबर के समय में: जब यह आयत उतरी, मक्का के काफिर और यहूदी अपनी सत्ता और हैसियत के घमंड में इस्लाम का विरोध कर रहे थे। यह आयत उन्हें बता रही थी कि उनकी सत्ता अस्थायी है।
साम्राज्यों का उत्थान-पतन: इतिहास में बड़े-बड़े साम्राज्य (फिरौन, नमरूद, रोम, फारस) का अंत इस बात का प्रमाण है कि अल्लाह ही सत्ता बदलता है।
वर्तमान में प्रासंगिकता (Relevancy to the Present):
वर्तमान शासकों के लिए चेतावनी: आज के तानाशाह और शक्तिशाली राष्ट्र नेता भी इस आयत के दायरे में आते हैं। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उनकी सत्ता अल्लाह की मर्जी से है।
मुसलमानों के लिए सबक: आज दुनिया के कई हिस्सों में मुसलमान कमजोर और अपमानित हैं। यह आयत उन्हें हिम्मत देती है कि इज़्ज़त देने और छीनने वाला अल्लाह ही है। अगर वे तौबा और इस्तिगफार करें तो अल्लाह उनकी दशा बदल सकता है।
हर सफलता के लिए शुक्र: कोई भी व्यक्तिगत या professional success (पेशेवर सफलता) हो, उसके लिए अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए, न कि घमंड करना चाहिए, क्योंकि सब कुछ उसी की देन है।
भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to the Future):
शाश्वत सिद्धांत: यह आयत एक शाश्वत सिद्धांत स्थापित करती है जो दुनिया के अंत तक लागू रहेगी: "सत्ता, इज़्ज़त और अपमान अल्लाह के हाथ में है।"
भविष्य की सत्ताओं के लिए मार्गदर्शन: भविष्य में चाहे कोई भी सुपरपावर या वैश्विक व्यवस्था क्यों न आए, यह आयत उन्हें यही सबक देगी कि असली मालिक अल्लाह है।
हर युग की दुआ: यह दुआ हर युग का मुसलमान पढ़ेगा ताकि उसे हर समय यह याद रहे कि वह जिस अल्लाह को पूजता है, वही सब कुछ बदलने की ताक़त रखता है।
निष्कर्ष:
क़ुरआन 3:26 अल्लाह की पूर्ण सत्ता और उसके निरंकुश अधिकार का एक स्पष्ट और शक्तिशाली बयान है। यह अतीत के घमंडी लोगों के लिए एक चेतावनी थी, वर्तमान के लिए एक सबक और भविष्य के लिए एक शाश्वत मार्गदर्शक सिद्धांत है। यह आयत इंसान को घमंड से बचाती है, अल्लाह पर भरोसा सिखाती है और हर भलाई के लिए उसी की ओर रुजू करने का तरीका बताती है।