1. पूरी आयत अरबी में:
فَنَادَتْهُ الْمَلَائِكَةُ وَهُوَ قَائِمٌ يُصَلِّي فِي الْمِحْرَابِ أَنَّ اللَّهَ يُبَشِّرُكَ بِيَحْيَىٰ مُصَدِّقًا بِكَلِمَةٍ مِّنَ اللَّهِ وَسَيِّدًا وَحَصُورًا وَنَبِيًّا مِّنَ الصَّالِحِينَ
2. आयत का शब्द-दर-शब्द अर्थ (Word-to-Word Meaning):
فَنَادَتْهُ (फ-ना-दत-हु): तो पुकारा उसे।
الْمَلَائِكَةُ (अल-मलाइकतु): फ़रिश्तों ने।
وَهُوَ (व-हुव): और वह (जकरिया)।
قَائِمٌ (काइमुन): खड़ा हुआ।
يُصَلِّي (युसल्ली): नमाज़ पढ़ रहा है।
فِي (फी): में।
الْمِحْرَابِ (अल-मिहराब): प्रार्थना कक्ष / मिहराब।
أَنَّ (अन्न): कि।
اللَّهَ (अल्लाह): अल्लाह।
يُبَشِّرُكَ (युबश्शिरु-का): तुम्हें शुभ सूचना देता है।
بِيَحْيَىٰ (बि-यह्या): यह्या के द्वारा।
مُصَدِّقًا (मुसद्दिक़an): पुष्टि करने वाला।
بِكَلِمَةٍ (बि-कलीमतिन): एक कलिमा (बात) से।
مِّنَ (मिन): से (तरफ से)।
اللَّهِ (अल्लाह): अल्लाह की।
وَسَيِّدًا (व-सैयिदan): और एक सरदार/सम्मानित।
وَحَصُورًا (व-हसूरan): और संयमी/पवित्र।
وَنَبِيًّا (व-नबिय्यan): और एक पैगंबर।
مِّنَ (मिन): में से।
الصَّالِحِينَ (अस-सालिहीन): नेक लोगों के।
3. आयत का पूरा अर्थ (Full Translation):
"तो फ़रिश्तों ने उसे (जकरिया को) पुकारा, जबकि वह मिहराब में खड़े नमाज़ पढ़ रहे थे, कि 'निश्चित ही अल्लाह तुम्हें यह्या की शुभ सूचना देता है, जो अल्लाह के एक कलिमा (ईसा) की पुष्टि करेगा, और एक सरदार (सम्मानित) होगा, और (बुराइयों से) संयम रखने वाला होगा, और नेक लोगों में से एक पैगंबर होगा।'"
4. पूर्ण व्याख्या और तफ्सीर (Full Explanation & Tafseer):
यह आयत हज़रत जकरिया (अलैहिस्सलाम) की दुआ के तुरंत बाद के चमत्कारी जवाब का वर्णन करती है। यह दिखाती है कि अल्लाह कितनी जल्दी और किस तरह एक असंभव सी लगने वाली दुआ को स्वीकार करता है।
दुआ की स्वीकृति का समय और स्थान (The Time and Place of Acceptance):
"व-हुवा काइमुन युसल्ली फिल मिहराब" - यह वाक्यांश बहुत महत्वपूर्ण है। हज़रत जकरिया को यह शुभ सूचना तब मिली जब वह नमाज में खड़े थे और मिहराब (प्रार्थना स्थल) में थे। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि नमाज और ईश्वर के सान्निध्य में खड़े होना दुआओं के स्वीकार होने का सबसे उत्तम समय है।
फरिश्तों का पुकारना यह दर्शाता है कि अल्लाह ने उनकी दुआ को तुरंत सुना और उत्तर दिया।
संतान के गुण (The Attributes of the Son): अल्लाह ने केवल एक बेटे का वादा नहीं किया, बल्कि उस बेटे के पांच विशेष गुण बताए, जो उसे एक आदर्श संतान और एक महान पैगंबर बनाते हैं:
"मुसद्दिक़न बि-कलीमतिन मिनल्लाह" - "अल्लाह के एक कलिमा (ईसा) की पुष्टि करने वाला।" यहाँ "कलीमतिन मिनल्लाह" से तात्पर्य हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) से है, जिनका जन्म अल्लाह के "कुन" (हो जा) शब्द से हुआ था। हज़रत यह्या (जॉन द बैप्टिस्ट) उनके पैगंबर होने की पुष्टि करने वाले थे।
"व-सैयिदन" - "और एक सरदार/सम्मानित।" इसका मतलब है ज्ञान, इबादत और चरित्र में महान, लोगों का नेता और आदरणीय।
"व-हसूरन" - "और संयमी/पवित्र।" यह एक विशेष गुण है जिसका अर्थ है कि वह बुराइयों और गुनाहों से पूरी तरह बचने वाला, अपनी इंद्रियों पर कठोर नियंत्रण रखने वाला और बहुत ही पाक-साफ़ जीवन व्यतीत करने वाला होगा।
"व-नबिय्यan" - "और एक पैगंबर।" यह सबसे बड़ा सम्मान है। उनकी संतान सिर्फ एक अच्छा इंसान ही नहीं, बल्कि अल्लाह का एक नबी होगा।
"मिनास सालिहीन" - "नेक लोगों में से।" यह बताता है कि वह सामान्य पैगंबर नहीं, बल्कि सबसे उच्च कोटि के पैगंबरों में से एक होंगे।
5. सीख और शिक्षा (Lesson & Moral):
दुआ की शक्ति में दृढ़ विश्वास (Firm Belief in the Power of Prayer): अल्लाह अपने बंदों की दुआ को इस तरह से स्वीकार कर सकता है कि वह उनकी सोच से भी परे हो। उम्र और शारीरिक सीमाएँ अल्लाह की शक्ति के आगे कुछ नहीं हैं।
नमाज का महत्व (Importance of Prayer): दुआ का जवाब नमाज की हालत में आया, जो सलाह की महानता और इसे एक विशेष समय बताता है।
अच्छी संतान के लिए दुआ का महत्व (Importance of Praying for Righteous Offspring): अल्लाह ने जकरिया को सिर्फ एक बेटा ही नहीं दिया, बल्कि एक आदर्श बेटा दिया। इससे सीख मिलती है कि हमें संतान की मात्रा के बजाय उसकी गुणवत्ता (चरित्र और ईमान) के लिए दुआ करनी चाहिए।
अल्लाह की दया का विस्तार (The Vastness of Allah's Mercy): अल्लाह ने जकरिया की दुआ को स्वीकार किया और उन्हें उम्मीद से कहीं अधिक दिया। यह दर्शाता है कि अल्लाह की दया इंसान की उम्मीदों से कहीं ज्यादा विशाल है।
6. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present & Future):
अतीत में (In the Past):
हज़रत जकरिया के लिए परीक्षा और इनाम: यह घटना हज़रत जकरिया के लिए उनके ईमान और धैर्य का सबसे बड़ा इनाम थी। इसने उन्हें यकीन दिलाया कि अल्लाह हर चीज पर काबिल है।
बनी इस्राइल के लिए एक चिन्ह: यह चमत्कार बनी इस्राइल के सामने अल्लाह की शक्ति का एक और प्रमाण था और हज़रत यह्या के आने की तैयारी का संकेत था।
वर्तमान में (In the Present):
निराश लोगों के लिए आशा: आज जो दंपती बच्चे से वंचित हैं या जिनकी कोई दुआ स्वीकार नहीं होती दिख रही, उनके लिए यह आयत एक जबरदस्त आशा और हिम्मत का स्रोत है। यह सिखाती है कि हिम्मत न हारें और नमाज़ के माध्यम से अल्लाह से जुड़े रहें।
युवाओं के लिए आदर्श: हज़रत यह्या (अलैहिस्सलाम) का चरित्र आज के युवाओं के लिए एक आदर्श है - ज्ञानवान ("सैयिद"), पवित्र ("हसूर") और अल्लाह का नबी। यह दिखाता है कि यौवन की ऊर्जा को अगर सही दिशा दी जाए तो वह कितनी महान बन सकती है।
माता-पिता के लिए शिक्षा: यह आयत माता-पिता को सिखाती है कि उनकी प्राथमिकता अपने बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की नहीं, बल्कि उन्हें "सैयिद" (सम्मानित) और "हसूर" (पवित्र) बनाने की होनी चाहिए।
भविष्य के लिए (For the Future):
शाश्वत आशा का स्रोत: जब तक दुनिया रहेगी, लोग निराशा और मुश्किल हालात का सामना करते रहेंगे। यह आयत हमेशा उनके लिए एक जीती-जागती मिसाल बनी रहेगी कि अल्लाह की मदद सबसे नाजुक और असंभव स्थितियों में भी आ सकती है।
ईमान को मजबूत करने वाली आयत: यह आयत भविष्य की पीढ़ियों के ईमान को मजबूत करती रहेगी, यह दिखाकर कि अल्लाह प्रकृति के नियमों को बदल सकता है और उसके फरिश्ते सीधे उसके बंदों से संवाद कर सकते हैं।
दुआ और इबादत का मार्गदर्शन: यह आयत हमेशा मुसलमानों को यह याद दिलाती रहेगी कि दुआ और इबादत का सबसे पवित्र और प्रभावशाली समय नमाज का समय है।
निष्कर्ष: कुरआन 3:39 केवल एक ऐतिहासिक घटना का बयान नहीं है। यह दुआ की स्वीकार्यता, अल्लाह की असीम शक्ति, और एक आदर्श संतान के गुणों का एक जीवंत और शाश्वत पाठ है। यह हर युग के मुसलमान को यह सिखाती है कि अल्लाह पर सच्चे दिल से भरोसा रखो, क्योंकि वह असंभव को संभव कर सकता है।