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कुरआन की आयत 3:42 की पूरी व्याख्या

 

﴿وَإِذْ قَالَتِ الْمَلَائِكَةُ يَا مَرْيَمُ إِنَّ اللَّهَ اصْطَفَاكِ وَطَهَّرَكِ وَاصْطَفَاكِ عَلَىٰ نِسَاءِ الْعَالَمِينَ﴾

(Surah Aal-e-Imran, Ayat: 42)


अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning):

  • وَإِذْ قَالَتِ الْمَلَائِكَةُ (Wa Idh Qaalatil-Malaa'ikatu): और (याद कीजिए) जब फ़रिश्तों ने कहा।

  • يَا مَرْيَمُ (Yaa Maryamu): "ऐ मरयम!"

  • إِنَّ اللَّهَ اصْطَفَاكِ (Innal-Laahas-tafaaki): निस्संदेह अल्लाह ने तुम्हें चुन लिया है।

  • وَطَهَّرَكِ (Wa Tah-haraki): और तुम्हें पवित्र कर दिया है।

  • وَاصْطَفَاكِ عَلَىٰ نِسَاءِ الْعَالَمِينَ (Was-tafaaki 'alaa Nisaaa'il 'Aalameen): और तुम्हें दुनिया की सभी औरतों पर श्रेष्ठता प्रदान की है।


पूरी व्याख्या (Full Explanation in Hindi):

यह आयत हज़रत मरयम (अलैहिस्सलाम) के सम्मान और उनकी विशेष स्थिति का वर्णन करती है। अल्लाह फरिश्तों के माध्यम से हज़रत मरयम को सीधे संबोधित करते हुए तीन गौरवशाली बातें बताता है:

  1. "अल्लाह ने तुम्हें चुन लिया है (इसतफा की है)": इस चुनाव के कई मतलब हैं। अल्लाह ने उन्हें अपनी विशेष इबादत के लिए चुना, उन्हें पैगंबर ईसा (अलैहिस्सलाम) जैसे महान पैगंबर की माँ बनने का गौरव दिया, और दुनिया भर की औरतों में से अपनी सेवा के लिए उन्हें चुना।

  2. "और तुम्हें पवित्र कर दिया है": यह पवित्रता केवल शारीरिक स्वच्छता नहीं है, बल्कि आत्मिक और चरित्र की पवित्रता है। अल्लाह ने उन्हें हर प्रकार के पाप, शक और बुरे विचारों से पाक-साफ़ रखा। उनका चरित्र निष्कलंक और उच्चकोटि का था।

  3. "और तुम्हें दुनिया की सभी औरतों पर श्रेष्ठता प्रदान की है": यह उनके लिए सर्वोच्च सम्मान की घोषणा है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, हज़रत मरयम अपने समय की सभी औरतों में सबसे अधिक पवित्र, आज्ञाकारी और अल्लाह के नज़दीक थीं। यह श्रेष्ठता उनके विश्वास, धैर्य, और समर्पण के कारण प्रदान की गई।

यह आयत उस पल का वर्णन है जब फरिश्तों ने हज़रत मरयम को उनके भविष्य के गौरव और जिम्मेदारी के बारे में सूचित किया।


सीख और शिक्षा (Lesson and Moral):

  1. महिलाओं का सम्मान: इस आयत से स्पष्ट है कि अल्लाह के यहाँ एक महिला को सर्वोच्च सम्मान दिया जा सकता है। इस्लाम में महिलाओं की गरिमा और उनके अधिकारों का आधार यही आयतें हैं।

  2. चरित्र की पवित्रता का महत्व: अल्लाह के नज़दीक पहुँचने का रास्ता धन या हैसियत से नहीं, बल्कि पवित्र चरित्र और दिल की सफाई से बनता है। हज़रत मरयम का चुनाव उनकी पवित्रता के कारण हुआ।

  3. अल्लाह पर भरोसा (तवक्कुल): हज़रत मरयम पर यह बहुत बड़ा इम्तिहान आने वाला था। यह खबर उन्हें इसलिए दी गई ताकि उनका ईमान और भरोसा मजबूत रहे। यह हमें सिखाता है कि मुश्किल घड़ियों में अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए।


अतीत, वर्तमान और भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):

  • अतीत (Past) के लिए: हज़रत मरयम के समय में, यह घोषणा उनके लिए एक बहुत बड़ी ताकत और समर्थन थी। इसने उन्हें उस कठिन समय के लिए तैयार किया जब लोग उन पर आरोप लगाने वाले थे। यह यहूदियों के बीच एक महिला के उच्च स्थान को भी दर्शाता था।

  • वर्तमान (Present) के लिए: आज के दौर में, यह आयत अत्यधिक प्रासंगिक है:

    • महिला अधिकार: एक ऐसे दौर में जब महिलाओं के सम्मान पर सवाल उठाए जाते हैं, यह आयत स्पष्ट रूप से बताती है कि एक महिला अल्लाह की नज़र में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सकती है।

    • चरित्र हनन का जवाब: जब किसी की नीयत और चरित्र पर कीचड़ उछाला जाता है, तो हज़रत मरयम की कहानी हर ईमान वाले के लिए सबक है कि अंतिम फैसला अल्लाह करेगा, जो पवित्रता को जानता है।

    • आध्यात्मिक मार्गदर्शन: यह आयत हमें बताती है कि अल्लाह की नज़र में इंसान की कदर उसकी हैसियत या लिंग से नहीं, बल्कि उसकी पवित्रता और ईमान से तय होती है।

  • भविष्य (Future) के लिए: यह आयत हमेशा मानवता के लिए एक मिसाल बनी रहेगी कि ईश्वर का चुनाव नस्ल, लिंग या राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं, बल्कि इंसान की आंतरिक पवित्रता और उसके विश्वास के आधार पर होता है। यह भविष्य की सभी पीढ़ियों को नैतिकता और चरित्रनिर्माण की प्रेरणा देती रहेगी।