1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
هُوَ الَّذِي يُصَوِّرُكُمْ فِي الْأَرْحَامِ كَيْفَ يَشَاءُ ۚ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ
2. अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning)
هُوَ (हुव): वह (अल्लाह)।
الَّذِي (अल्लज़ी): जो (सर्वशक्तिमान)।
يُصَوِّرُكُمْ (युसव्विरुकुम): तुम्हारी सूरत बनाता है, तुम्हें आकार देता है।
فِي (फ़ी): में।
الْأَرْحَامِ (अल-अरहाम): कोखों में।
كَيْفَ (कैफ़ा): जैसे (जिस प्रकार)।
يَشَاءُ (यशाउ): वह चाहता है।
لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ (ला इलाहा इल्ला हुव): उसके सिवा कोई पूज्य (इबादत के लायक) नहीं।
الْعَزِيزُ (अल-अज़ीज़): सर्वशक्तिमान, प्रभुत्वशाली।
الْحَكِيمُ (अल-हकीम): सर्वज्ञ, तत्वदर्शी, बड़ी हिकमत वाला।
3. पूर्ण व्याख्या (Full Explanation in Hindi)
यह आयत पिछली आयतों में वर्णित अल्लाह के ज्ञान और शक्ति का एक ठोस और चमत्कारिक उदाहरण पेश करती है। अल्लाह सिर्फ बाहरी चीज़ों को ही नहीं जानता, बल्कि वह मानव सृष्टि के सबसे गुप्त स्थान – माँ की कोख – में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
इस आयत के तीन मुख्य बिंदु हैं:
1. हुवल्लज़ी युसव्विरुकुम फिल अरहाम (वही है जो तुम्हारी सूरत कोखों में बनाता है):
यहाँ "तसवीर" (सूरत बनाना) शब्द का प्रयोग हुआ है। यह सिर्फ रचना नहीं, बल्कि एक कलात्मक ढंग से आकार देना है। अल्लाह हर भ्रूण (Embryo) को एक निश्चित योजना के तहत विकसित करता है।
यह प्रक्रिया अत्यंत गुप्त और जटिल है, जिसे आज का विज्ञान ही आंशिक रूप से समझ पाया है, लेकिन अल्लाह उसका सर्जक और नियंत्रक है।
2. कैफ़ा यशाउ (जैसे वह चाहता है):
यह अल्लाह की पूर्ण सत्ता और इच्छा (मशीयत) को दर्शाता है।
वह चाहे तो बच्चे को लड़का बनाए, चाहे लड़की। चाहे तो गोरा बनाए, चाहे सांवला। चाहे तो स्वस्थ बनाए, चाहे किसी शारीरिक विशेषता के साथ। यह सब उसकी असीम ज्ञान और हिकमत (बुद्धिमत्ता) से होता है, न कि कोई अकारण घटना।
3. ला इलाहा इल्ला हुवल अज़ीज़ुल हकीम (उसके सिवा कोई पूज्य नहीं, जो सर्वशक्तिमान और तत्वदर्शी है):
मानव सृष्टि का यह चमत्कार इस बात का सबूत है कि इस संसार का एक ही मालिक और पूज्य है – अल्लाह।
यहाँ दो गुणों के साथ उसका परिचय कराया गया है:
अल-अज़ीज़: वह सर्वशक्तिमान है, उसकी इच्छा के आगे कोई टिक नहीं सकता। कोई उसकी रचना प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
अल-हकीम: वह सर्वज्ञ और तत्वदर्शी है। उसकी हर रचना के पीछे एक गहरी हिकमत (बुद्धिमत्ता) और उद्देश्य छिपा होता है, भले ही हम उसे न समझ सकें।
4. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral)
अहंकार का त्याग: इंसान को अपनी सृष्टि पर गर्व नहीं करना चाहिए। उसका रंग-रूप, लिंग और स्वास्थ्य अल्लाह की इच्छा से है। इससे नस्लवाद, लिंगभेद और शारीरिक कमी पर ताना मारने जैसी बुराइयाँ दूर होती हैं।
कुदरत पर विश्वास: यह आयत हमें सिखाती है कि दुनिया में कुछ भी "संयोग" नहीं होता। मानव सृष्टि की जटिलता यह साबित करती है कि एक सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता का अस्तित्व है।
अल्लाह पर पूर्ण भरोसा: जिस अल्लाह ने कोख में हमें इतनी बारीकी से बनाया, वह हमारे जीवन की ज़रूरतों का भी ख्याल रख सकता है। इससे इंसान के दिल में अल्लाह पर भरोसा (तवक्कुल) पैदा होता है।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy to the Past):
अज्ञानता के ज़माने में: अरब के लोग कोख में बच्चे के बनने के कारण नहीं जानते थे। वे इसे अपने देवताओं (लात, उज़्ज़ा) का काम मानते थे। यह आयत उन्हें सच्चाई बताती थी कि यह सब अल-अज़ीज़ अल-हकीम अल्लाह का काम है।
पैगंबर के समय में: यह आयत एक चमत्कारिक वैज्ञानिक तथ्य बताकर क़ुरआन की दिव्यता को सिद्ध करती थी, जिसे उस समय का विज्ञान नहीं जानता था।
वर्तमान में प्रासंगिकता (Relevancy to the Present):
भ्रूण विज्ञान (Embryology) की पुष्टि: आधुनिक भ्रूण विज्ञान ने क़ुरआन में वर्णित मानव विकास के चरणों की पुष्टि की है। यह आयत आज के वैज्ञानिक युग में क़ुरआन के चमत्कार को और चमकाती है।
नैतिक मुद्दों पर प्रकाश: आज जेनिटिक इंजीनियरिंग, जेंडर सिलेक्शन और गर्भपात जैसे जटिल नैतिक मुद्दे चल रहे हैं। यह आयत हमें याद दिलाती है कि जीवन का स्रोत और उसका आकार देने वाला अल्लाह है। इसलिए, इन तकनीकों का उपयोग उसकी सीमाओं का उल्लंघन किए बिना ही होना चाहिए।
भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to the Future):
विज्ञान की सीमा: भविष्य में विज्ञान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले, यह कभी भी एक कोशिका (Zygote) में "जीवन" की "रूह" (आत्मा) फूंकने में सक्षम नहीं हो पाएगा। यह शक्ति केवल अल्लाह के पास है।
शाश्वत सत्य: मानव सृष्टि का यह चमत्कार हमेशा बना रहेगा और हर युग के इंसान को अल्लाह की शक्ति और ज्ञान का प्रमाण देता रहेगा। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को यह एहसास दिलाती रहेगी कि उनका रचयिता कौन है।
निष्कर्ष:
क़ुरआन 3:6 मानव सृष्टि के चमत्कार के माध्यम से अल्लाह की सर्वोच्च सत्ता, उसकी कला और उसके ज्ञान को प्रमाणित करती है। यह एक ऐसा सत्य है जो अतीत में एक चेतावनी था, वर्तमान में एक वैज्ञानिक चमत्कार है और भविष्य के लिए एक शाश्वत मार्गदर्शन है, जो इंसान को उसके रब से जोड़े रखता है।