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क़ुरआन 3:5 (सूरह आले-इमरान, आयत नंबर 5) की पूर्ण व्याख्या

 

1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)

إِنَّ اللَّهَ لَا يَخْفَىٰ عَلَيْهِ شَيْءٌ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَاءِ

2. अरबी शब्दों के अर्थ (Arabic Words Meaning)

  • إِنَّ (इन्ना): बेशक, निस्संदेह।

  • اللَّهَ (अल्लाह): अल्लाह।

  • لَا (ला): नहीं।

  • يَخْفَىٰ (यख्फा): छिपा रहता है, छिपा हुआ है।

  • عَلَيْهِ (अलैहि): उस पर (अल्लाह पर)।

  • شَيْءٌ (शैउन): कोई चीज़।

  • فِي (फ़ी): में।

  • الْأَرْضِ (अल-अर्द): ज़मीन।

  • وَلَا (वला): और न ही।

  • فِي (फ़ी): में।

  • السَّمَاءِ (अस-समा): आसमान।

3. पूर्ण व्याख्या (Full Explanation in Hindi)

यह आयत अल्लाह के एक और महान गुण "अल-अलीम" (सर्वज्ञ) की ओर इशारा करती है। पिछली आयतों में क़ुरआन के उतरने और इनकार करने वालों के लिए दंड का वर्णन था। अब अल्लाह बता रहा है कि कोई भी उसकी आयतों (निशानियों) और हुक्म से बचकर नहीं निकल सकता, क्योंकि उसका ज्ञान हर चीज़ को घेरे हुए है।

इस आयत का सीधा और शक्तिशाली अर्थ है: "बेशक अल्लाह से कोई चीज़ न तो ज़मीन में छिपी है और न आसमान में।"

इसका विस्तृत अर्थ है:

  • पूर्ण और व्यापक ज्ञान: अल्लाह का ज्ञान सीमित नहीं है। न तो धरती की कोई गहराई और न आकाश की कोई ऊँचाई उसकी जानकारी से बाहर है।

  • छिपे और खुले का ज्ञान: इंसानों की तरह अल्लाह को जानकारी जुटाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह छिपे और खुले, अतीत और भविष्य, स्पष्ट और गुप्त, हर चीज़ को एक साथ जानता है।

  • इरादों और राज़ों का ज्ञान: यह आयत हमें याद दिलाती है कि अल्लाह हमारे दिलों के राज, मन के ख्याल और हमारे छिपे हुए इरादों तक को जानता है। कोई भी उसकी नज़र से छिपा नहीं रह सकता।

4. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral)

  1. अल्लाह के भय (तक्वा) की शिक्षा: जब इंसान को यह यकीन हो जाए कि उसका रचयिता उसके हर कर्म, हर विचार और हर राज़ को जानता है, तो वह गुनाह करने से डरने लगता है। यही "तक्वा" (अल्लाह का भय) की असली नींव है। इंसान अकेले में भी बुराई से इसलिए बचता है क्योंकि उसे पता है कि अल्लाह देख रहा है।

  2. ईमानदारी और इख्लास ( sincerity): यह आयत हमें सिखाती है कि हमारी इबादत और अच्छे काम दिखावे के लिए नहीं, बल्कि केवल अल्लाह की रज़ा के लिए और पूरी ईमानदारी (इख्लास) के साथ होने चाहिए, क्योंकि वह हमारे दिल का हाल भी जानता है।

  3. आशा और डर का संतुलन: एक तरफ, यह ज्ञान कि अल्लाह हमारी हर मुसीबत और दर्द जानता है, हमें आशा और सांत्वना देता है। दूसरी तरफ, यह ज्ञान कि वह हमारे गुनाहों को भी जानता है, हमें उसकी माफ़ी की ओर दौड़ने के लिए प्रेरित करता है।

5. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future)

  • अतीत में प्रासंगिकता (Relevancy to the Past):

    • पैगंबरों के विरोधियों के लिए: पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के दुश्मन चोरी-छिपे साजिशें रचते थे। यह आयत उन्हें चेतावनी देती थी कि तुम्हारी हर साजिश अल्लाह के सामने है। उदाहरण के लिए, बद्र की लड़ाई से पहले अबू सूफियान के कारवां की हरकतें।

    • मुनाफिकों (पाखंडियों) के लिए: मदीना के मुनाफिक दिखावे के लिए ईमान लाते थे, लेकिन दिल में कुफ्र छुपाए रहते थे। यह आयत उनके लिए एक खुली चुनौती थी कि अल्लाह तुम्हारे छिपे हुए कुफ्र को भी जानता है।

  • वर्तमान में प्रासंगिकता (Relevancy to the Present):

    • प्राइवेसी और नैतिकता का संकट: आज का युग सोशल मीडिया और सर्विलांस (निगरानी) का युग है, जहाँ इंसान की "प्राइवेसी" खत्म हो रही है। ऐसे में यह आयत सबसे बड़ा सत्य बताती है कि अंततः सबसे बड़ी "निगरानी" अल्लाह की है। यह इंसान को ऑनलाइन और ऑफलाइन, हर जगह नैतिक बने रहने की प्रेरणा देती है।

    • भ्रष्टाचार और छिपे अपराध: आज समाज में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं जो गुप्त रूप से किए जाते हैं। यह आयत हर उस व्यक्ति के लिए एक चेतावनी है जो सोचता है कि उसका गुनाह किसी को पता नहीं चलेगा। अल्लाह तो सब जानता है और कयामत के दिन उसे सबके सामने लाया जाएगा।

  • भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy to the Future):

    • तकनीकी सीमाओं से परे: भविष्य में विज्ञान चाहे कितनी भी उन्नति कर ले, कोई भी कैमरा या AI सिस्टम अल्लाह के ज्ञान जैसा व्यापक और गहरा नहीं हो सकता। उसका ज्ञान सभी तकनीकी सीमाओं से परे है और सदैव रहेगा।

    • अंतिम न्याय का आधार: कयामत के दिन जब हर इंसान के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा पेश किया जाएगा, तो यह आयत उस न्याय की पुष्टि करेगी। यह बताएगी कि अल्लाह का फैसला पूरी तरह से न्यायसंगत है क्योंकि उसके ज्ञान में कोई कमी नहीं थी; उसने हर छोटी-बड़ी बात देख और जान रखी थी।

निष्कर्ष:
क़ुरआन 3:5 अल्लाह के सर्वव्यापी ज्ञान का एक स्पष्ट और शक्तिशाली बयान है। यह मनुष्य के लिए एक चेतावनी, एक सांत्वना और एक मार्गदर्शन, तीनों ही है। यह हर युग के इंसान को यह एहसास दिलाती है कि उसका रब हर पल, हर जगह उसके साथ है और उसके हर राज से वाकिफ है। यह ज्ञान ही इंसान को एक जिम्मेदार और ईमानदार जीवन जीने की ओर प्रेरित करता है।