कुरआन की आयत 4:158 की पूर्ण व्याख्या

 (1) पूरी आयत अरबी में:

"بَل رَّفَعَهُ اللَّهُ إِلَيْهِ ۚ وَكَانَ اللَّهُ عَزِيزًا حَكِيمًا"

(2) आयत के शब्दों के अर्थ (Word-by-Word Meaning):

  • بَل (Bal): बल्कि (इसके विपरीत)।

  • رَّفَعَهُ (Rafa'ahu): उसे उठा लिया।

  • اللَّهُ (Allāhu): अल्लाह ने।

  • إِلَيْهِ (Ilayhi): अपनी ओर।

  • وَكَانَ (Wa Kāna): और है (हमेशा से)।

  • اللَّهُ (Allāhu): अल्लाह।

  • عَزِيزًا (Azīzan): सर्वशक्तिमान, प्रभुत्वशाली।

  • حَكِيمًا (Ḥakīman): अत्यंत बुद्धिमान, तत्वदर्शी।

(3) आयत का पूरा अर्थ और संदर्भ:

यह आयत पिछली आयत (4:157) का सीधा और तार्किक निष्कर्ष है। जहां आयत 157 में हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) की सूली और हत्या के दावे का खंडन किया गया, वहीं यह आयत बताती है कि आखिर उनका हश्र क्या हुआ। यह इस्लामी अकीदे (विश्वास) का एक मूलभूत हिस्सा है।

आयत का भावार्थ: "बल्कि अल्लाह ने उन्हें (ईसा अलैहिस्सलाम को) अपनी ओर उठा लिया। और अल्लाह सर्वशक्तिमान, तत्वदर्शी है।"

(4) विस्तृत व्याख्या और शिक्षा (Tafseer):

यह आयत बेहद संक्षिप्त है लेकिन इसका महत्व और अर्थ बहुत गहरा है।

  • "बल रफअहुल्लाहु इलैहि" (बल्कि अल्लाह ने उन्हें अपनी ओर उठा लिया):

    • "बल" शब्द पिछली बात को पूरी तरह से नकारकर एक नई, सच्ची और महत्वपूर्ण सूचना देता है।

    • "रफअहु" का अर्थ है 'उठा लिया'। इसका तात्पर्य शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से आसमान की ओर उठाए जाने से है।

    • इस्लामी मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) को यहूदियों की साजिश से बचाकर सीधे आसमान पर जीवित अवस्था में उठा लिया। वह वहीं पर हैं और कयामत से पहले दुनिया में दोबारा वापस आएंगे।

  • हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) के वापस आने (Nuzul) पर विश्वास:

    • यह आयत सीधे तौर पर वापसी का जिक्र नहीं करती, लेकिन अनेक सही हदीसों (पैगम्बर की बातों) से यह बात स्पष्ट होती है कि हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) दुनिया में वापस आएंगे।

    • उनका उद्देश्य होगा:

      1. दज्जाल (झूठा मसीह) को मारना।

      2. इस्लाम की विजय करना।

      3. दुनिया में न्याय और शांति स्थापित करना।

    • फिर वह एक सामान्य मनुष्य की तरह निधन को प्राप्त होंगे।

  • अल्लाह की सिफात: "व कानल्लाहु अज़ीज़न हकीमा"

    • अज़ीज़ (सर्वशक्तिमान): अल्लाह की शक्ति पूर्ण है। वह अपने पैगम्बर को सूली से बचाने और आसमान पर उठाने में पूरी तरह सक्षम था। कोई उसकी शक्ति को चुनौती नहीं दे सकता।

    • हकीम (अत्यंत बुद्धिमान): अल्लाह का हर काम गहरी हिकमत (बुद्धिमत्ता) से भरा हुआ है। हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) को उठाने में उसकी बुद्धिमत्ता छिपी है:

      • उसने अपने पैगम्बर की रक्षा की।

      • उसने यहूदियों की साजिश को विफल किया।

      • उसने भविष्य के लिए एक महान घटना (वापसी) का आधार तैयार किया।

(5) शिक्षा और सबक (Lesson):

  1. अल्लाह की शक्ति पर पूर्ण विश्वास: अल्लाह हर चीज पर पूर्ण शक्ति रखता है। वह प्रकृति के नियमों से परे चमत्कार कर सकता है। हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) का आसमान पर उठाया जाना इसी शक्ति का प्रमाण है।

  2. पैगम्बरों का सम्मान: अल्लाह अपने पैगम्बरों की इज्जत करता है और उनकी रक्षा करता है। एक मुसलमान का फर्ज है कि वह सभी पैगम्बरों का गहरा सम्मान करे।

  3. भविष्य के प्रति आशावान: हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) की वापसी का विश्वास मुसलमानों को भविष्य के प्रति आशावान बनाता है। यह विश्वास दिलाता है कि आखिरकार अल्लाह का दीन ही विजयी होगा और पृथ्वी पर न्याय स्थापित होगा।

(6) अतीत, वर्तमान और भविष्य में प्रासंगिकता (Relevancy):

  • अतीत (Past) में: यह आयत प्रारंभिक मुस्लिम समुदाय के लिए हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) के बारे में सही और स्पष्ट अकीदा स्थापित करती थी। इसने उन्हें यहूदियों और ईसाइयों के बीच उलझे हुए विश्वासों से अलग एक स्पष्ट रास्ता दिखाया।

  • समकालीन वर्तमान (Contemporary Present) में: आज यह आयत बेहद प्रासंगिक है।

    • ईसाई-मुस्लिम संवाद: यह आयत ईसाइयत और इस्लाम के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण बिंदु है। जहां ईसाई सूली और पुनरुत्थान में विश्वास करते हैं, वहीं मुसलman आसमान पर उठाए जाने और भविष्य में वापस आने में विश्वास रखते हैं। यह सम्मानपूर्ण असहमति का क्षेत्र है।

    • आध्यात्मिक आशा: आज की अशांत और अत्याचारों से भरी दुनिया में, हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) की वापसी का विश्वास मुसलमानों के लिए एक बहुत बड़ी आशा और सांत्वना का स्रोत है। यह विश्वास दिलाता है कि एक दिन दुनिया से बुराई का अंत होगा।

    • अल्लाह की शक्ति का एहसास: एक भौतिकवादी दुनिया में, यह आयत हमें याद दिलाती है कि एक सर्वशक्तिमान ईश्वर है जो इस ब्रह्मांड और उसके नियमों का मालिक है।

  • भविष्य (Future) में: जब तक दुनिया रहेगी, हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) का व्यक्तित्व और उनका भविष्य में स्थान एक महत्वपूर्ण विषय बना रहेगा। यह आयत कयामत तक मुसलमानों के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक सिद्धांत बनी रहेगी। यह उनके विश्वास को मजबूत करती रहेगी कि हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) शहीद नहीं हुए, बल्कि वह जीवित हैं और अल्लाह की योजना के अनुसार दुनिया में वापस आकर न्याय स्थापित करेंगे। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को अल्लाह की शक्ति और बुद्धिमत्ता पर विश्वास करने की प्रेरणा देती रहेगी।

निष्कर्ष: सूरह अन-निसा की यह आयत हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) के बारे में इस्लाम के अकीदे को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। यह एक स्पष्ट इनकार के साथ शुरू होती है और एक महान सत्य की पुष्टि के साथ समाप्त होती है। यह हमें सिखाती है कि अल्लाह की शक्ति असीम है और उसकी हिकमत (बुद्धिमत्ता) हर काम में छिपी है। एक मुसलमान के लिए, हज़रत ईसा (अलैहिस्सलाम) का आसमान पर उठाया जाना और उनकी वापसी का इंतजार करना, ईमान का एक अभिन्न अंग है जो भविष्य के प्रति आशा और अल्लाह की योजना पर विश्वास को मजबूत करता है।