1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا يَحِلُّ لَكُمْ أَن تَرِثُوا النِّسَاءَ كَرْهًا ۖ وَلَا تَعْضُلُوهُنَّ لِتَذْهَبُوا بِبَعْضِ مَا آتَيْتُمُوهُنَّ إِلَّا أَن يَأْتِينَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ ۚ وَعَاشِرُوهُنَّ بِالْمَعْرُوفِ ۚ فَإِن كَرِهْتُمُوهُنَّ فَعَسَىٰ أَن تَكْرَهُوا شَيْئًا وَيَجْعَلَ اللَّهُ فِيهِ خَيْرًا كَثِيرًا
2. आयत का हिंदी अर्थ (Meaning in Hindi)
"ऐ ईमान वालो! तुम्हारे लिए हलाल (वैध) नहीं है कि तुम औरतों को ज़बरदस्ती (उनकी मर्जी के खिलाफ) विरासत में लो (या उन्हें रोक कर रखो), और न ही उन्हें दबाओ ताकि तुम उनमें से कुछ (दहेज या धन) वापस ले लो, जो तुमने उन्हें दिया है, सिवाय इसके कि वे कोई खुली बदचलनी (फाहिशा) कर बैठें। और उनके साथ भले ढंग से जीवन बिताओ। फिर यदि तुम उन्हें नापसंद करते हो, तो हो सकता है कि तुम एक चीज़ को नापसंद करो और अल्लाह उसमें बहुत भलाई रख दे।"
3. आयत से मिलने वाला सबक (Lesson from the Verse)
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा: यह आयत महिलाओं को संपत्ति और सम्मान का अधिकार देती है। यह पुरुषों को यह स्पष्ट निर्देश देती है कि महिलाओं को जबरदस्ती विरासत में नहीं लिया जा सकता और न ही उनके अधिकारों का हनन किया जा सकता है।
दहेज प्रथा की निंदा: आयत में "ताकि तुम उनमें से कुछ वापस ले लो" का अर्थ दहेज की वापसी से है। इस्लाम ने 1400 साल पहले ही दहेज लेने और देने both को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था।
पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार: "और उनके साथ भले ढंग से जीवन बिताओ" इस आयत का केंद्रीय संदेश है। पति का कर्तव्य है कि वह पत्नी के साथ सम्मान, दया और न्यायपूर्ण व्यवहार करे।
धैर्य और सकारात्मक सोच: आयत का अंतिम भाग बहुत गहरा है। यह सिखाता है कि अगर पत्नी में कोई कमी दिखे या उससे नाराजगी हो, तो धैर्य से काम लो। हो सकता है कि अल्लाह ने उसी में तुम्हारे लिए बहुत भलाई छुपा रखी हो।
4. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Past Relevance):
सामाजिक क्रांति: इस्लाम से पहले अरब समाज में विधवाओं को संपत्ति समझकर विरासत में बाँट लिया जाता था। इस आयत ने उस बर्बर प्रथा को समाप्त किया और महिलाओं को उनका सम्मान दिलाया।
महिला सशक्तिकरण: इस आयत ने महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की और उन्हें पुरुषों की मनमानी से मुक्त किया।
वर्तमान में प्रासंगिकता (Present Relevance):
दहेज उन्मूलन: आज भी दहेज एक सामाजिक अभिशाप है। यह आयत मुसलमानों को याद दिलाती है कि दहेज लेना-देना इस्लाम में सख्त वर्जित है।
महिला अधिकार: आधुनिक समाज में महिला सशक्तिकरण की बात होती है। यह आयत इस्लाम के प्रगतिशील स्वरूप को दर्शाती है जो महिलाओं को उनके अधिकार देता है।
पारिवारिक शांति: "उनके साथ भले ढंग से जीवन बिताओ" का संदेश आज के परिवारों में शांति और सद्भाव कायम कर सकता है।
संबंधों में धैर्य: आज के तनावपूर्ण जीवन में यह आयत पति-पत्नी को संबंधों में धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
भविष्य में प्रासंगिकता (Future Relevance):
शाश्वत मार्गदर्शन: जब तक समाज में पारिवारिक संबंध रहेंगे, यह आयत मार्गदर्शन करती रहेगी।
लैंगिक समानता: भविष्य के समाज में लैंगिक समानता के लिए यह आयत एक आधार प्रदान करती है।
मानवीय मूल्य: यह आयत समाज में दया, न्याय और सम्मान जैसे मानवीय मूल्यों को स्थापित करती है।
निष्कर्ष:
कुरआन की आयत 4:19 महिलाओं के अधिकारों का एक ऐतिहासिक घोषणापत्र है। यह अतीत में एक क्रांतिकारी सुधार थी, वर्तमान में एक प्रासंगिक मार्गदर्शक है और भविष्य के लिए एक शाश्वत नैतिक संहिता है। यह आयत इस्लाम के संतुलित और न्यायपूर्ण स्वरूप को प्रस्तुत करती है।