1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
إِنَّ اللَّهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ ۖ وَإِن تَكُ حَسَنَةً يُضَاعِفْهَا وَيُؤْتِ مِن لَّدُنْهُ أَجْرًا عَظِيمًا
2. आयत का हिंदी अर्थ (Meaning in Hindi)
"निश्चित रूप से अल्लाह ज़र्रा (सबसे छोटे कण) के बराबर भी अत्याचार नहीं करता। और अगर कोई नेकी (छोटी सी भी) हो तो उसे बहुगुणित कर देता है और अपने पास से बहुत बड़ा बदला प्रदान करता है।"
3. आयत से मिलने वाला सबक (Lesson from the Verse)
- पूर्ण न्याय का आश्वासन: यह आयत अल्लाह के पूर्ण और निरपेक्ष न्याय की गारंटी देती है। इसमें ज़ोर देकर कहा गया है कि अल्लाह किसी के साथ सबसे छोटे कण ("ज़र्रा") के बराबर भी अन्याय नहीं करेगा। यह मनुष्य के मन से यह डूर निकाल देती है कि उसके छोटे-छोटे अच्छे कर्म नज़रअंदाज़ हो जाएंगे या उसकी छोटी-मोटी गलतियाँ बिना सुधार के माफ़ हो जाएंगी। 
- अच्छाई का गुणन (Multiplication of Good): अल्लाह की दया का चमत्कार यह है कि वह नेकी को केवल एक के बदले एक ही नहीं, बल्कि बहुगुणित (Multiply) करके देता है। हदीसों में इसका प्रतिफल दस गुना से सात सौ गुना या और भी अधिक बताया गया है। 
- अल्लाह की असीम दया: "अपने पास से बहुत बड़ा बदला" - यह वाक्यांश दर्शाता है कि अल्लाह की दया हमारे कर्मों के सीधे गणित से कहीं बढ़कर है। यह उसकी ओर से एक विशेष अनुग्रह (Extra Grace) है। 
- आशा और प्रेरणा: यह आयत हर उस व्यक्ति के लिए असीम आशा और प्रेरणा का स्रोत है जो थोड़े संसाधनों या क्षमताओं के बावजूद अच्छे कर्म करना चाहता है। यह सिखाती है कि कोई भी नेकी, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, अल्लाह के यहाँ व्यर्थ नहीं जाती। 
4. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Past Relevance):
- आश्वासन और नैतिक प्रेरणा: प्रारंभिक मुस्लिम समुदाय, जो कठिनाइयों और यातनाओं का सामना कर रहा था, के लिए यह आयत एक शक्तिशाली आश्वासन थी। यह उन्हें बताती थी कि उनकी तनिक-सी भी नेकी और कुर्बानी बर्बाद नहीं जाएगी और अल्लाह के यहाँ उसका अत्यधिक प्रतिफल मिलेगा। 
- न्याय की गारंटी: एक ऐसे समाज में जहाँ शक्तिशाली लोग कमजोरों का हक मार लेते थे, यह आयत न्याय की अंतिम गारंटी देती थी। 
वर्तमान में प्रासंगिकता (Present Relevance):
- निराशा के युग में आशा: आज का मनुष्य तनाव, अवसाद और निराशा से घिरा हुआ है। ऐसे में यह आयत एक जीवनरेखा (Lifeline) का काम करती है। यह बताती है कि हमारे छोटे-छोटे अच्छे कर्म, एक मुस्कुराहट, एक अच्छा शब्द, थोड़ा सा दान, सब कुछ अल्लाह के यहाँ मूल्यवान है और उसे बढ़-चढ़कर लौटाया जाएगा। 
- अच्छाई के लिए प्रोत्साहन: एक ऐसे समाज में जहाँ बुराई और नकारात्मकता तेजी से फैलती है, यह आयत लोगों को अच्छाई करने के लिए प्रोत्साहित करती है, भले ही वह अच्छाई छोटी ही क्यों न हो। यह सिखाती है कि अच्छाई का एक छोटा सा कदम भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। 
- व्यर्थता की भावना का निवारण: कई लोगों को लगता है कि उनके अच्छे कर्मों का कोई मूल्य नहीं है या उन्हें कोई नहीं देखता। यह आयत उस व्यर्थता की भावना को दूर करती है और बताती है कि अल्लाह हर छोटी-बड़ी चीज को देख रहा है। 
- नैतिक जिम्मेदारी: यह आयत हमें यह भी याद दिलाती है कि चूंकि कोई भी बुराई, चाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न हो, नज़रअंदाज़ नहीं होगी, इसलिए हमें बुराइयों से बचने के लिए भी सजग रहना चाहिए। 
भविष्य में प्रासंगिकता (Future Relevance):
- शाश्वत न्याय और आशा का सिद्धांत: जब तक मनुष्य रहेगा, उसे न्याय और आशा की आवश्यकता रहेगी। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी के लिए इस बात की गारंटी बनी रहेगी कि अंतिम न्याय पूर्णतः न्यायसंगत होगा। 
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानवीय मूल्य: एक ऐसे भविष्य में जहाँ AI और मशीनें मनुष्य के कई काम करने लगेंगी, यह आयत मनुष्य को उसके नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की याद दिलाएगी। यह बताएगी कि एक छोटे से दयालु कार्य का मूल्य एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि से कहीं अधिक हो सकता है। 
- वैश्विक नागरिकता: भविष्य का समाज और भी अधिक जुड़ा हुआ होगा। यह आयत हर व्यक्ति को यह एहसास दिलाएगी कि उसका एक छोटा सा सकारात्मक योगदान ("ज़र्रा" भर) भी पूरी मानवता के लिए एक बड़े पुरस्कार का कारण बन सकता है। 
निष्कर्ष:
कुरआन की आयत 4:40 अल्लाह के पूर्ण न्याय और असीम दया का सबसे सुंदर और संक्षिप्त चित्रण है। यह अतीत में एक शक्तिशाली आश्वासन थी, वर्तमान में निराशा के against एक कवच और अच्छाई के लिए एक प्रेरणा है, और भविष्य के लिए एक शाश्वत आशा का स्रोत है। यह आयत हमें सिखाती है कि हमारा हर छोटा-बड़ा कर्म अर्थपूर्ण है और अल्लाह की दृष्टि में कोई भी अच्छाई कभी छोटी नहीं होती।