1. आयत का अरबी पाठ (Arabic Text)
وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنَّـٰتٍۢ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدًۭا ۖ لَّهُمْ فِيهَآ أَزْوَٰجٌۭ مُّطَهَّرَةٌۭ ۖ وَنُدْخِلُهُمْ ظِلًّۭا ظَلِيلًا
2. आयत का हिंदी अर्थ (Meaning in Hindi)
"और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, हम उन्हें ऐसे स्वर्गों (बाग़ों) में दाखिल करेंगे जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, वे उनमें सदैव रहेंगे। उनके लिए उनमें पाकीज़ा जोड़े (पत्नियाँ) होंगी और हम उन्हें गहरी छाया में पहुँचाएँगे।"
3. आयत से मिलने वाला सबक (Lesson from the Verse)
ईमान और अमल का सीधा संबंध: यह आयत स्पष्ट करती है कि जन्नत की प्राप्ति के लिए केवल दावा करना काफी नहीं है। इसके लिए ईमान (विश्वास) के साथ-साथ सालेह अमल (अच्छे कर्म) का होना अनिवार्य है।
जन्नत की शाश्वतता: जन्नत में प्रवेश कोई अस्थायी इनाम नहीं है। "खालिदीना फीहा अबदन" (वे उनमें सदैव रहेंगे) - यह वाक्य जन्नत की शाश्वत प्रकृति पर जोर देता है। वहाँ से कभी निकाला नहीं जाएगा।
जन्नत की सुख-सुविधाएँ: आयत जन्नत की कुछ ऐसी खूबियाँ गिनाती है जिन्हें मानव मन आसानी से समझ सकता है:
बहती हुई नहरें: शुद्धता, ताजगी और प्रचुरता का प्रतीक।
पाकीज़ा जोड़े: पवित्र, सुंदर और मनभावन जीवनसाथी। यह पारिवारिक सुख और आत्मिक शांति का प्रतीक है।
गहरी छाया: तपती हुई गर्मी और कठिनाइयों से सुरक्षा और सुकून का प्रतीक।
अल्लाह का वादा: यह आयत अल्लाह के उस वादे की पुष्टि करती है जो हर ईमान वाले को दिया गया है। यह एक दिव्य आश्वासन है जो मोमिनों के दिलों को तसल्ली और सब्र देता है।
4. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevance: Past, Present & Future)
अतीत में प्रासंगिकता (Past Relevance):
प्रारंभिक मुसलमानों के लिए प्रोत्साहन: जब यह आयत उतरी, तो मक्का और मदीना के उन मुसलमानों के लिए एक शक्तिशाली प्रोत्साहन थी जो यातनाएँ सह रहे थे और इस्लाम की राह में कठिनाइयाँ झेल रहे थे। यह आयत उन्हें बता रही थी कि उनका त्याग और संघर्ष व्यर्थ नहीं जाएगा।
काफिरों के लिए एक संदेश: यह आयत काफिरों के लिए भी एक संदेश थी कि अगर वे ईमान ले आएँ और अच्छे कर्म करें, तो अल्लाह की यह दया उनके लिए भी है।
वर्तमान में प्रासंगिकता (Present Relevance):
आशा और प्रेरणा का स्रोत: आज के तनावग्रस्त और अनिश्चितता भरे युग में, यह आयत हर मोमिन के लिए आशा और प्रेरणा का एक शक्तिशाली स्रोत है। यह याद दिलाती है कि दुनिया की कठिनाइयाँ अंतिम नहीं हैं और एक शाश्वत सुख का इनाम इंतजार कर रहा है।
ईमान और कर्म में संतुलन: यह आयत हमें संतुलित जीवन की शिक्षा देती है। यह बताती है कि केवल ईमान का दावा करना काफी नहीं, बल्कि उसे अच्छे कर्मों से साबित भी करना है।
आध्यात्मिक लक्ष्य की याद: भौतिकवाद के इस दौर में, यह आयत हमें हमारे असली लक्ष्य (जन्नत) की याद दिलाती है और दुनिया की चकाचौंध से हटाकर आखिरत की तैयारी के लिए प्रेरित करती है।
नैतिक जीवन के लिए प्रेरणा: जन्नत का वादा लोगों को नैतिक और ईमानदार जीवन जीने के लिए एक ठोस कारण देता है, भले ही दुनिया में बुराई का बोलबाला क्यों न हो।
भविष्य में प्रासंगिकता (Future Relevance):
शाश्वत आश्वासन: जब तक दुनिया में इंसान रहेगा, वह शांति, सुख और अनंत जीवन की चाहत रखेगा। यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी के लिए इसकी पूर्ति का शाश्वत आश्वासन बनी रहेगी।
मानवीय प्रयासों का उद्देश्य: यह आयत भविष्य के मनुष्य को उसके जीवन का उद्देश्य याद दिलाती रहेगी - अल्लाह की रज़ा और जन्नत की प्राप्ति।
कठिनाइयों में धैर्य: भविष्य की चुनौतियाँ चाहे जितनी बड़ी हों, यह आयत लोगों को धैर्य और सब्र की ताकत देगी, यह जानते हुए कि उनका इनाम उनकी कल्पना से भी बेहतर है।
निष्कर्ष:
कुरआन की आयत 4:57 ईमान और अच्छे कर्मों का शाश्वत इनाम दर्शाती है। यह अतीत में एक प्रोत्साहन थी, वर्तमान में आशा और मार्गदर्शन का स्रोत है और भविष्य के लिए एक शाश्वत वादा है। यह आयत हर मोमिन के दिल में जन्नत की चाहत जगाती है और उसे एक सार्थक व पवित्र जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।