﴿وَلَهَدَيْنَـٰهُمْ صِرَٰطًا مُّسْتَقِيمًا﴾
(अरबी आयत)
शब्दार्थ (Meaning of Words):
وَلَهَدَيْنَـٰهُمْ: और निश्चित रूप से हम उन्हें मार्गदर्शन देते
صِرَٰطًا: एक रास्ता
مُّسْتَقِيمًا: सीधा, सही
सरल अर्थ (Simple Meaning):
"और निश्चित ही हम उन्हें सीधे मार्ग की ओर मार्गदर्शन देते।"
संदर्भ: यह आयत भी अकेली नहीं है, बल्कि पिछली तीन आयतों (65, 66, 67) का अंतिम और पूरा करने वाला हिस्सा है। पूरा विचार इस प्रकार है:
(आयत 65) सच्चे मोमिन वे हैं जो विवादों में पैगंबर को निर्णायक मानें।
(आयत 66-67) और (पाखंडियों के बारे में) यदि वे हमारे कठोर आदेश का पालन करते, तो हम उन्हें अपने पास से बहुत बड़ा इनाम देते।
(आयत 68) और निश्चित रूप से हम उन्हें सीधे मार्ग की ओर मार्गदर्शन देते।
आयत का सन्देश और शिक्षा (Lesson from the Verse):
यह आयत आज्ञापालन के दो और महत्वपूर्ण लाभ बताती हैं:
बाहरी पुरस्कार + आंतरिक मार्गदर्शन: आयत 67 में "अज्रुन अज़ीम" (महान पुरस्कार) का वादा एक बाहरी इनाम है, जबकि आयत 68 में "सीरात-ए-मुस्तकीम" (सीधा मार्ग) की प्राप्ति एक आंतरिक लाभ है। अल्लाह की आज्ञा मानने वाले को न सिर्फ जन्नत जैसा इनाम मिलता है, बल्कि दुनिया में ही उसे सही और गलत का फर्क समझने की समझ (फुरकान) और हर मुश्किल में सही फैसला लेने की क्षमता प्रदान की जाती है।
मार्गदर्शन का निरंतरता: "लहदैनाहुम" (हम मार्गदर्शन देते) शब्द यह दर्शाता है कि यह मार्गदर्शन कोई एक बार की घटना नहीं है, बल्कि एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जो इंसान अल्लाह की आज्ञा का पालन करता है, अल्लाह लगातार उसके कदम-कदम पर उसे सही रास्ता दिखाता रहता है।
सर्वोच्च सफलता: एक मुसलमान के लिए "सीरात-ए-मुस्तकीम" की प्राप्ति से बढ़कर कोई और सफलता नहीं है। यही वह मार्ग है जो सीधे अल्लाह की रजा और जन्नत की ओर ले जाता है। इस तरह, आज्ञापालन करने वाले को दोनों जहानों में कामयाबी का वादा किया गया है।
मुख्य शिक्षा: अल्लाह की आज्ञा का पालन करने वालों के लिए अल्लाह की ओर से दोहरा उपहार है: आखिरत में महान पुरस्कार और दुनिया में सीधे मार्ग का निरंतर मार्गदर्शन। सीधे मार्ग पर चलना ही असली सफलता है।
अतीत, वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भ में प्रासंगिकता (Relevance to Past, Present and Future)
1. अतीत में प्रासंगिकता (Past Context):
यह आयत पैगंबर (स.अ.व.) के समय के उन लोगों के लिए एक स्पष्ट संकेत थी जो सोचते थे कि इस्लाम स्वीकार करने के बाद उन्हें दुनिया में भी कोई विशेष लाभ नहीं मिला। यह आयत बताती है कि सबसे बड़ा लाभ तो "सीधे मार्ग का मार्गदर्शन" है, जो उन्हें हर गलत धारणा, हर पाप और हर भटकाव से बचा रहा था। यह उन सहाबा के लिए एक पुष्टि थी जिन्होंने महसूस किया कि इस्लाम लाने के बाद उनका जीवन कितना सही दिशा में आ गया है।
2. वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Relevance):
आज के जटिल और भ्रम भरे दौर में यह आयत एक मार्गदर्शक सिद्धांत है:
नैतिक भ्रम की स्थिति: आज लोगों के सामने जीवन के हर क्षेत्र में अनैतिक विकल्पों की भरमार है - भ्रष्टाचार, ब्याज, अश्लीलता, धोखाधड़ी। यह आयत वादा करती है कि जो व्यक्ति अल्लाह के आदेशों का पालन करने का दृढ़ संकल्प लेगा, अल्लाह उसे एक ऐसी विवेकशक्ति देगा जिससे वह हर स्थिति में सही और गलत के बीच अंतर कर सकेगा और सीधे मार्ग पर टिका रह सकेगा।
जीवन की उलझनें: रिश्तों, नौकरी, व्यवसाय में आने वाली उलझनों में अक्सर इंसान समझ नहीं पाता कि सही फैसला क्या है। ऐसे में कुरआन-सुन्नत पर चलने और अल्लाह से मार्गदर्शन की दुआ करने वाले को अल्लाह चमत्कारिक ढंग से रास्ता दिखा देता है।
आध्यात्मिक शांति: "सीरात-ए-मुस्तकीम" पर चलने का मतलब है भटकाव, अशांति और तनाव से मुक्ति। यह आयत बताती है कि आज्ञापालन ही वह कुंजी है जो इंसान को मानसिक शांति और स्पष्टता की ओर ले जाती है।
3. भविष्य के लिए सन्देश (Message for the Future):
यह आयत भविष्य की सभी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी आश्वासन है:
चिरस्थायी मार्गदर्शन: जब तक दुनिया रहेगी, लोगों के सामने भटकाव के रास्ते बने रहेंगे। यह आयत हर युग के मुसलमान को यह विश्वास दिलाएगी कि अल्लाह का मार्गदर्शन उपलब्ध है, बशर्ते वह आज्ञापालन करने को तैयार हो।
प्रौद्योगिकी और नैतिकता: भविष्य में प्रौद्योगिकी (AI, जेनेटिक इंजीनियरिंग) जैसे नए नैतिक सवाल खड़े करेगी। ऐसे में "सीरात-ए-मुस्तकीम" का मार्गदर्शन ही मुसलमानों को बताएगा कि इन चुनौतियों का सामना कैसे करना है।
आशा का संदेश: यह आयत भविष्य के हर मुसलमान को यह आशा देगी कि चाहे हालात कितने भी अंधकारमय क्यों न हों, अल्लाह उसे सही रास्ता दिखाने की शक्ति रखता है। उसे बस इतना करना है कि वह आज्ञापालन के द्वार पर दस्तक दे।
निष्कर्ष (Conclusion):
कुरआन की यह आयत पिछली आयतों में वादा किए गए भौतिक पुरस्कारों को पूरा करती है। यह हमें बताती है कि अल्लाह की आज्ञा मानने का सबसे बड़ा लाभ यह नहीं है कि हमें आखिरत में जन्नत मिलेगी, बल्कि यह है कि हमें दुनिया में ही सीधे रास्ते पर चलने का तोफका मिल जाएगा। यही वह मार्ग है जो हर पाप, हर गलतफहमी और हर निराशा से बचाता हुआ सीधे अल्लाह की रजा और उसकी जन्नत तक पहुँचाता है। यही एक मोमिन की सच्ची सफलता है।