﴿وَيَقُولُونَ طَاعَةٌ فَإِذَا بَرَزُوا مِنْ عِنْدِكَ بَيَّتَ طَائِفَةٌ مِنْهُمْ غَيْرَ الَّذِي تَقُولُ ۖ وَاللَّهُ يَكْتُبُ مَا يُبَيِّتُونَ ۖ فَأَعْرِضْ عَنْهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَى اللَّهِ ۚ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ وَكِيلًا﴾
(अरबी आयत)
शब्दार्थ (Meaning of Words):
وَيَقُولُونَ: और वे कहते हैं
طَاعَةٌ: आज्ञापालन (होगा)
فَإِذَا بَرَزُوا: फिर जब निकल जाते हैं
مِنْ عِنْدِكَ: आपके पास से
بَيَّتَ: रात में सोच-विचार करता है (षड्यंत्र रचता है)
طَائِفَةٌ مِنْهُمْ: उनमें से एक समूह
غَيْرَ الَّذِي تَقُولُ: उसके अलावा जो आप कहते हैं
وَاللَّهُ يَكْتُبُ: और अल्लाह लिख रहा है (रिकॉर्ड कर रहा है)
مَا يُبَيِّتُونَ: जो कुछ वे रात में सोच-विचार करते हैं (षड्यंत्र)
فَأَعْرِضْ عَنْهُمْ: तो आप उनसे ध्यान हटा दें
وَتَوَكَّلْ عَلَى اللَّهِ: और अल्लाह पर भरोसा रखें
وَكَفَىٰ بِاللَّهِ وَكِيلًا: और अल्लाह कारसाज (काम संभालने वाला) के रूप में काफी है
सरल अर्थ (Simple Meaning):
"और वे (मुनाफिक) कहते हैं, '(हमारा) आज्ञापालन (होगा)'। फिर जब वे आपके पास से निकल जाते हैं, तो उनमें से एक समूह रात में आपकी कही बात के खिलाफ षड्यंत्र रचता है। और अल्लाह उनके रचे हुए षड्यंत्रों को लिख (रिकॉर्ड) रहा है। अतः (हे पैगंबर!) आप उनसे ध्यान हटा दें और अल्लाह पर भरोसा रखें। और अल्लाह काम संभालने वाला के रूप में काफी है।"
आयत का सन्देश और शिक्षा (Lesson from the Verse):
यह आयत मुनाफिकों (पाखंडियों) के दोहरे चरित्र और उससे निपटने के तरीके को उजागर करती है:
मुखौटा ईमान: मुनाफिक सार्वजनिक रूप से आज्ञापालन का दिखावा करते हैं ("ताअतुन") लेकिन उनके दिल और कर्म उनके शब्दों के विपरीत होते हैं। यह दिखावा और धोखा उनकी पहचान है।
पीठ पीछे षड्यंत्र: ये लोग अंधेरे और गोपनीयता में वह सब कुछ करते हैं जो उन्होंने खुलेआम स्वीकार किया था। यह उनकी दोगली प्रकृति को दर्शाता है।
अल्लाह का रिकॉर्ड: कोई भी षड्यंत्र, कोई भी गुप्त बात अल्लाह से छिपी नहीं है। वह हर बात को लिख रहा है और कयामत के दिन उसका हिसाब होगा। यह एक चेतावनी है कि दुनिया को धोखा दिया जा सकता है, लेकिन अल्लाह को नहीं।
व्यवहारिक समाधान: ऐसे लोगों से निपटने का तरीका है:
ध्यान हटाना: उनकी चालों और बातों पर अधिक ध्यान न दें। उन्हें अपना समय और ऊर्जा बर्बाद न करने दें।
अल्लाह पर भरोसा: यह विश्वास रखें कि अल्लाह सब कुछ देख रहा है और वही बेहतर प्रबंध करने वाला है।
मुख्य शिक्षा: एक मोमिन को हमेशा ईमानदार और स्पष्टवादी होना चाहिए। उसके कर्म और शब्दों में अंतर नहीं होना चाहिए। साथ ही, अगर कोई दोगला व्यवहार करता है, तो उस पर व्यर्थ का ध्यान देने के बजाय अल्लाह पर भरोसा करना चाहिए।
अतीत, वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भ में प्रासंगिकता (Relevance to Past, Present and Future)
1. अतीत में प्रासंगिकता (Past Context):
यह आयत मदीना के उन मुनाफिकों के बारे में उतरी थी जो पैगंबर (स.अ.व.) के सामने तो "हम सुनेंगे और मानेंगे" कहते थे, लेकिन जब उनके अपने नेता अब्दुल्लाह बिन उबय्य के पास जाते थे, तो उनके खिलाफ षड्यंत्र रचते थे और उनकी आलोचना करते थे। यह आयत पैगंबर (स.अ.व.) को उनकी सच्चाई से अवगत कराती है और उन्हें मन की शांति देती है।
2. वर्तमान में प्रासंगिकता (Contemporary Relevance):
आज के समय में यह आयत बेहद प्रासंगिक है:
ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यक्तित्व: आज बहुत से लोग सोशल मीडिया पर धार्मिक और नेक बनने का दिखावा करते हैं, लेकिन निजी जिंदगी में गलत काम करते हैं। यह आधुनिक "ताअतुन" (आज्ञापालन का दिखावा) है।
कार्यस्थल और सामाजिक षड्यंत्र: ऑफिस या समाज में कुछ लोग सामने तो सहमति जताते हैं, लेकिन पीठ पीछे बदनामी और षड्यंत्र रचते हैं। यह आयत ऐसे लोगों के चरित्र को बेनकाब करती है।
धार्मिक पाखंड: कुछ लोग मस्जिद में तो धर्मपरायण दिखते हैं, लेकिन बाहर व्यापार और रोजमर्रा की जिंदगी में धोखाधड़ी और गलत कामों में लिप्त रहते हैं।
3. भविष्य के लिए सन्देश (Message for the Future):
यह आयत भविष्य की सभी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक है:
ईमानदारी की महत्ता: यह आयत भविष्य के मुसलमानों को सिखाएगी कि एक मोमिन की पहचान उसकी ईमानदारी और सच्चाई है। उसके अंदर और बाहर, दोनों जगह एक समान होना चाहिए।
मानसिक शांति का रहस्य: जब भी कोई व्यक्ति धोखे और षड्यंत्र का शिकार होगा, यह आयत उसे याद दिलाएगी कि ऐसे लोगों से ध्यान हटाकर अल्लाह पर भरोसा रखें। यह मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति का स्रोत है।
जवाबदेही का एहसास: "अल्लाह यकतुबु मा युबैयितून" (अल्लाह उनके षड्यंत्र लिख रहा है) का भाव भविष्य के लोगों को हर समय यह एहसास दिलाता रहेगा कि उनके हर विचार और हर कर्म का रिकॉर्ड बन रहा है। यह उन्हें गलत काम करने से रोकेगा।
निष्कर्ष (Conclusion):
कुरआन की यह आयत हमें दो महत्वपूर्ण सबक सिखाती है: पहला, एक मोमिन को हमेशा अपने शब्दों और कर्मों में एकरूपता रखनी चाहिए। दूसरा, अगर दुनिया में कोई दोगला व्यवहार करता है, तो उससे व्यथित होने के बजाय अल्लाह पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि वह सब कुछ देख रहा है और वही सबसे बेहतर प्रबंध करने वाला है। यही विश्वास हमें हर प्रकार के पाखंड और षड्यंत्र से मानसिक रूप से मुक्त रखता है।