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कुरआन की आयत 2:138 की पूरी व्याख्या

 यहाँ कुरआन की आयत 2:138 की पूरी व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत की जा रही है:

﴿صِبْغَةَ ٱللَّهِ ۖ وَمَنْ أَحْسَنُ مِنَ ٱللَّهِ صِبْغَةً ۖ وَنَحْنُ لَهُۥ عَـٰبِدُونَ﴾

हिंदी अनुवाद:

"(हमने) अल्लाह का रंग (अपनाया) है। और अल्लाह से बेहतर रंग किसका हो सकता है? और हम उसी की इबादत करने वाले हैं।"


शब्द-दर-शब्द अर्थ (Arabic Words Meaning):

  • صِبْغَةَ : रंग / रंगना

  • ٱللَّهِ : अल्लाह का

  • وَمَنْ : और कौन है

  • أَحْسَنُ : अधिक अच्छा

  • مِنَ : से

  • ٱللَّهِ : अल्लाह

  • صِبْغَةً : रंग में

  • وَنَحْنُ : और हम

  • لَهُۥ : उसी के लिए

  • عَـٰبِدُونَ : इबादत करने वाले


पूर्ण व्याख्या (Full Explanation):

यह आयत इस्लाम की पहचान और उसकी विशेषता को एक बहुत ही सुंदर और गहरे अर्थ वाले शब्द "सिबग़ा" (रंग) के माध्यम से समझाती है। यह पिछली आयतों का एक तार्किक परिणाम है, जहाँ मुसलमानों ने अपने ईमान के सिद्धांतों को स्पष्ट किया था।

आयत के तीन मुख्य भाग:

1. "सिबग़तुल्लाह" - अल्लाह का रंग (صِبْغَةَ ٱللَّهِ):

  • "सिबग़ा" का शाब्दिक अर्थ है रंगना, डुबोना, या एक ऐसा रंग जो गहरा और स्थायी हो।

  • इसका प्रतीकात्मक अर्थ है:

    • पूर्ण समर्पण: जिस तरह कोई चीज़ रंगने पर हर तरफ से रंग जाती है, उसी तरह एक मुसलमान का पूरा अस्तित्व, उसके विचार, उसके कर्म, उसकी ज़िंदगी का हर पहलू अल्लाह के "रंग" में रंग जाना चाहिए।

    • पहचान: यह रंग एक मुसलमान की आध्यात्मिक पहचान है, जैसे ईसाई बपतिस्मा (Baptism) के जरिए एक पहचान बनाते थे। इस्लाम का "बपतिस्मा" यही "सिबग़तुल्लाह" है।

    • तौहीद का रंग: यह रंग असल में "तौहीद" (अल्लाह की एकता) और उसके प्रति समर्पण का रंग है।

2. "व मन अहसनु मिनल्लाहि सिबग़ा" - अल्लाह से बेहतर रंग किसका? (وَمَنْ أَحْسَنُ مِنَ ٱللَّهِ صِبْغَةً):

  • यह एक अलंकारिक प्रश्न है जिसका उत्तर "कोई नहीं" है।

  • इसका मतलब है:

    • अल्लाह का दिया हुआ धर्म (दीन-ए-इस्लाम) सबसे सुंदर, सबसे शुद्ध और सबसे संपूर्ण जीवन का तरीका है।

    • दूसरे सभी धर्म, विचारधाराएँ और "रंग" (जैसे जातिवाद, राष्ट्रवाद, पूँजीवाद, सम्प्रदायवाद) अल्लाह के इस रंग के आगे फीके और अपूर्ण हैं।

    • अल्लाह के रंग में ही असली सुंदरता और पवित्रता है।

3. "व नह्नु लहू आबिदून" - और हम उसी की इबादत करने वाले हैं (وَنَحْنُ لَهُۥ عَـٰبِدُونَ):

  • यह बताता है कि "सिबग़तुल्लाह" का व्यावहारिक परिणाम क्या है।

  • जिसने अल्लाह का रंग अपना लिया, उसका जीवन केवल और केवल अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित हो जाता है।

  • वह दुनिया की हर चीज़ से ऊपर उठकर सिर्फ़ अल्लाह का बंदा बन जाता है।


शिक्षा और सबक (Lesson and Moral):

  • इस्लाम एक संपूर्ण जीवन पद्धति: इस्लाम सिर्फ़ कुछ रीति-रिवाजों का नाम नहीं है; यह पूरे जीवन को रंग देने वाला एक संपूर्ण तरीका है।

  • अद्वितीय पहचान: एक मुसलमान की पहचान सिर्फ़ "मुसलमान" होने में है, न कि किसी जाति, नस्ल या राष्ट्र में।

  • इबादत का उद्देश्य: एक मुसलमान का अंतिम लक्ष्य केवल अल्लाह की इबादत करना है।

  • गर्व और फक्र: एक मुसलमान को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि उसने अल्लाह का रंग अपनाया है, जो सबसे उत्तम रंग है।


अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):

  • अतीत (Past) में प्रासंगिकता: यह आयत मदीना के यहूदियों और ईसाइयों के लिए एक चुनौती थी, जो अपने-अपने अलग-अलग "रंग" (यहूदीपन, ईसाईपन) में रंगे हुए थे। इस्लाम ने एक नए, श्रेष्ठतर रंग का आह्वान किया।

  • वर्तमान (Present) में प्रासंगिकता:

    • मुस्लिम युवाओं के लिए पहचान: आज के युवा जब पश्चिमी संस्कृति, राष्ट्रवाद या अन्य विचारधाराओं के "रंग" में रंगे जा रहे हैं, यह आयत उन्हें याद दिलाती है कि सबसे बेहतरीन रंग "सिबग़तुल्लाह" है।

    • आध्यात्मिकता बनाम भौतिकता: यह आयत हमें याद दिलाती है कि हमारी असली पहचान भौतिक चीजों (पैसा, पद, शोहरत) से नहीं, बल्कि अल्लाह के साथ हमारे रिश्ते से तय होती है।

    • एकता का संदेश: "सिबग़तुल्लाह" का रंग सभी मुसलमानों को एक सूत्र में बाँधता है, चाहे उनकी जाति, रंग या नस्ल कुछ भी हो।

  • भविष्य (Future) में प्रासंगिकता: यह आयत क़यामत तक मुसलमानों के लिए एक स्थायी पहचान और लक्ष्य निर्धारित करती रहेगी:

    • पहचान का संकट: भविष्य में जब और भी नए-नए "रंग" (विचारधाराएँ) आएँगे, यह आयत मुसलमानों को उनकी असली पहचान याद दिलाती रहेगी।

    • आध्यात्मिक लक्ष्य: यह हर युग के मुसलमान को याद दिलाती रहेगी कि उसका अंतिम लक्ष्य "लहू आबिदून" (उसी की इबादत करने वाले) बनना है।

    • गुणवत्ता का मानदंड: "व मन अहसनु मिनल्लाहि सिबग़ा" का सिद्धांत हमेशा यह बताता रहेगा कि अल्लाह का धर्म हर दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।

यह आयत इस्लाम की सुंदरता, संपूर्णता और श्रेष्ठता को एक अद्भुत रूपक के माध्यम से प्रस्तुत करती है और हर मुसलमान को अपने आप को इस दिव्य रंग में पूरी तरह रंगने का आह्वान करती है।