यह आयत एक नए विषय की शुरुआत करती है। पिछली आयतों में शिर्क (अल्लाह के साथ साझीदार ठहराना) और उसके भयानक परिणामों का वर्णन किया गया था। अब अल्लाह तआला सीधे सभी इंसानों को संबोधित करते हुए एक मौलिक आदेश दे रहे हैं, जो उन्हें शिर्क और अविश्वास के अंधकार से निकालकर ईमान और हलाल जीवन की रोशनी की ओर ले जाने का मार्ग है।
1. पूरी आयत अरबी में:
يَا أَيُّهَا النَّاسُ كُلُوا مِمَّا فِي الْأَرْضِ حَلَالًا طَيِّبًا وَلَا تَتَّبِعُوا خُطُوَاتِ الشَّيْطَانِ ۚ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ
2. आयत के शब्दार्थ (Word-to-Word Meaning):
يَا أَيُّهَا (या अय्युहा) : हे!
النَّاسُ (अन-नास) : लोगों (इंसानों)
كُلُوا (कुलू) : खाओ
مِمَّا (मिम्मा) : उन चीज़ों में से
فِي الْأَرْضِ (फ़िल अर्द़) : जो धरती में हैं
حَلَالًا (हलालन) : हलाल (वैध)
طَيِّبًا (तैय्यिबन) : पवित्र/शुद्ध/अच्छा
وَلَا (व ला) : और न
تَتَّبِعُوا (तत्तबिऊ) : पैरों पर चलो (अनुसरण करो)
خُطُوَاتِ (खुतुवाति) : कदमों का
الشَّيْطَانِ (अश-शैतान) : शैतान के
إِنَّهُ (इन्नहू) : निश्चय ही वह
لَكُمْ (लकुम) : तुम्हारा
عَدُوٌّ (अदुव्वुन) : दुश्मन है
مُبِينٌ (मुबी नुन) : खुला हुआ, स्पष्ट
3. आयत का पूरा अर्थ और व्याख्या:
अर्थ: "हे लोगो! धरती में जो हलाल (वैध) और पवित्र चीज़ें हैं, उन्हें खाओ और शैतान के कदमों पर न चलो। निश्चय ही वह तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है।"
व्याख्या:
यह आयत एक सार्वभौमिक संदेश के साथ शुरू होती है – "या अय्युहन्नास" (हे लोगों!)। यह संबोधन सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवजाति के लिए है।
इस आयत के तीन मुख्य भाग हैं:
1. अनुमति और आदेश (The Permission and Command): "कुलू मिम्मा फ़िल अर्द़ि हलालन तैय्यिबा"
अल्लाह ने इंसान के लिए धरती की सारी चीज़ों को पैदा किया है और उन्हें खाने की अनुमति दी है। लेकिन यह अनुमति दो शर्तों के साथ है:
हलाल (حَلَالًا): यानी वह चीज़ वैध और धर्मसम्मत हो। इसके अंतर्गत वे चीज़ें आती हैं जिन्हें खाने से शरीयत ने मना नहीं किया है (जैसे सुअर का मांस, शराब) और जिसे हासिल करने का तरीका भी वैध हो (जैसे चोरी, रिश्वत या बेइमानी से हासिल की हुई चीज़ हलाल नहीं है)।
तैय्यिब (طَيِّبًا): यानी वह चीज़ शुद्ध, अच्छी और स्वस्थ हो। गंदी, बासी, नुकसानदेह या अश्लील चीज़ें 'तैय्यिब' की श्रेणी में नहीं आतीं, भले ही वे तकनीकी रूप से हलाल हों।
2. मनाही और चेतावनी (The Prohibition and Warning): "व ला तत्तबिऊ खुतुवातिश शैतान"
हलाल और तैय्यिब खाने के आदेश के तुरंत बाद ही शैतान के कदमों पर न चलने की चेतावनी दी गई है। इसका गहरा संबंध है। शैतान का पहला कदम ही इंसान को हलाल से हराम की तरफ ले जाना है। "खुतुवात" (कदमों) का बहुवचन में प्रयोग यह दर्शाता है कि शैतान इंसान को बुराई की ओर एकाएक नहीं, बल्कि कदम-दर-कदम ले जाता है। पहला कदम संदेह पैदा करना है, फिर छोटी सी गलती, फिर बड़ा पाप और अंततः शिर्क।
3. स्पष्ट चेतावनी (The Clear Warning): "इन्नहू लकुम अदुव्वुम मुबीन"
आयत के अंत में शैतान की वास्तविक पहचान बताई गई है – वह तुम्हारा "खुला दुश्मन" है। "मुबीन" शब्द यह स्पष्ट कर देता है कि शैतान का दुश्मन होना कोई छिपी हुई बात नहीं है। वह खुद ही इसका एलान कर चुका है। इसलिए उसकी बातों पर चलना, उसके फुसलावों में आना, ऐसा है जैसे कोई व्यक्ति अपने खुले दुश्मन की सलाह मानने लगे।
4. शिक्षा और सबक (Lesson):
अल्लाह की दया: अल्लाह ने हमारे लिए जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए धरती पर अनगिनत नेमतें पैदा की हैं। यह आयत उसकी दया और रहमत का प्रमाण है।
हलाल जीवनशैली का महत्व: इस्लाम सिर्फ कुछ रीति-रिवाजों का नाम नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण जीवन प्रणाली है। खान-पान से लेकर आमदनी तक, हर चीज़ में हलाल और हराम का ध्यान रखना ईमान का हिस्सा है।
शैतान की रणनीति को पहचानें: शैतान धीरे-धीरे, कदम-दर-कदम बहकाता है। हमें हमेशा सजग रहना चाहिए कि कहीं हम उसके जाल में तो नहीं फंस रहे।
दुश्मन से सावधानी: जिस तरह हम दुनिया के किसी खुले दुश्मन की बात नहीं मानते, उसी तरह शैतान के फुसलावों से भी बचकर रहना चाहिए।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य से प्रासंगिकता (Relevancy):
अतीत (Past) के लिए:
अरब के मूर्तिपूजक: वे मरे हुए जानवर, खून और मूर्तियों के नाम पर चढ़ावे की चीज़ें खाते थे, जो हराम और नापाक थीं। यह आयत उन्हें इन गंदी आदतों से रोककर शुद्ध और वैध चीज़ें खाने का आदेश देती थी।
यहूदी: उन पर बहुत सी पाक चीज़ें हराम कर दी गई थीं, लेकिन वे अपनी मनमानी भी करते थे। यह आयत एक सार्वभौमिक मार्गदर्शन था।
वर्तमान (Present) के लिए:
हलाल फूड इंडस्ट्री: आज दुनिया भर में मुसलमान हलाल खाने पर ध्यान दे रहे हैं, जो इस आयत की सीधी अमल है।
आधुनिक खान-पान की चुनौतियाँ: आज का खानपान जंक फूड, हानिकारक प्रिजर्वेटिव, और नकली चीज़ों से भरा है। "तैय्यिब" (शुद्ध और अच्छा) का सिद्धांत हमें स्वस्थ और प्राकृतिक खाने की तरफ प्रेरित करता है।
हराम आमदनी: आज के दौर में बेइमानी, रिश्वत, सूद (ब्याज) और धोखाधड़ी से कमाई गई आमदनी बहुत आम है। यह आयत हमें यह याद दिलाती है कि सिर्फ खाना ही नहीं, बल्कि कमाने का तरीका भी हलाल होना चाहिए।
शैतान के आधुनिक "कदम": आज शैतान लोगों को सोशल मीडिया, अश्लील सामग्री, झूठ, ईर्ष्या और भौतिकवाद के जरिए अपने जाल में फंसा रहा है।
भविष्य (Future) के लिए:
जेनेटिकली मॉडिफाइड और लैब-ग्रोन फूड: भविष्य में जैसे-जैसे खाद्य प्रौद्योगिकी विकसित होगी, "हलाल" और "तैय्यिब" के सिद्धांत ही यह तय करने का आधार बनेंगे कि नई चीज़ें खाने के लिए वैध और शुद्ध हैं या नहीं।
डिजिटल दुनिया और शैतान: भविष्य में शैतान के "कदम" वर्चुअल रियलिटी, AI और अन्य नई तकनीकों के जरिए और भी सूक्ष्म हो सकते हैं। यह आयत हमेशा मानवजाति को यह चेतावनी देती रहेगी कि उस खुले दुश्मन से सावधान रहें।
शाश्वत मार्गदर्शन: जब तक इंसान रहेगा, उसे खाने-पीने और शैतान से बचने की जरूरत रहेगी। इसलिए, यह आयत कयामत तक सभी लोगों के लिए प्रासंगिक मार्गदर्शन बनी रहेगी।