यह आयत अल्लाह के मार्ग में खर्च करने के सामान्य आदेश के साथ-साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण चेतावनी जोड़ती है। यह मुसलमानों को किसी भी ऐसी हरकत से रोकती है जो उन्हें स्वयं अपने विनाश की ओर धकेल सके।
1. पूरी आयत अरबी में:
وَأَنفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَلَا تُلْقُوا بِأَيْدِيكُمْ إِلَى التَّهْلُكَةِ ۛ وَأَحْسِنُوا ۛ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ
2. आयत के शब्दार्थ (Word-to-Word Meaning):
وَأَنفِقُوا (व अनफिक़ू) : और खर्च करो (दान दो)
فِي (फ़ी) : में
سَبِيلِ (सबीलि) : रास्ते
اللَّهِ (अल्लाह) : अल्लाह के
وَلَا (व ला) : और न
تُلْقُوا (तुल्क़ू) : डालो (फेंको)
بِأَيْدِيكُمْ (बि-ऐदीकुम) : अपने हाथों से
إِلَى (इला) : की ओर
التَّهْلُكَةِ (अत-तह्लुक़ति) : विनाश / बर्बादी
وَأَحْسِنُوا (व अह्सिनू) : और भलाई करो
إِنَّ (इन्ना) : निश्चित रूप से
اللَّهَ (अल्लाह) : अल्लाह
يُحِبُّ (युहिब्बु) : प्यार करता है
الْمُحْسِنِينَ (अल-मुह्सिनीन) : भलाई करने वालों को
3. आयत का पूरा अर्थ और व्याख्या:
अर्थ: "और अल्लाह के मार्ग में खर्च करो और अपने आपको अपने हाथों हाथ विनाश में न डालो, और भलाई करते रहो। निश्चय ही अल्लाह भलाई करने वालों को प्यार करता है।"
व्याख्या:
यह आयत तीन स्पष्ट और गहन आदेश देती है:
1. सकारात्मक आदेश: "व अनफिक़ू फ़ी सबीलिल्लाह" (और अल्लाह के मार्ग में खर्च करो)
यह एक व्यापक आदेश है। "अल्लाह के रास्ते में खर्च" में वह सब कुछ शामिल है जो अल्लाह की रज़ा और उसके दीन की सेवा में लगाया जाता है।
इसमें ज़कात और सदक़ा देना, जिहाद के लिए संसाधन देना, मस्जिदों और स्कूलों का निर्माण करना, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना, और अपने परिवार का खर्च उठाना (जो एक सदक़ा है) शामिल है।
2. निषेधात्मक चेतावनी: "व ला तुल्क़ू बि-ऐदीकुम इलत-तह्लुक़ह" (और अपने आपको अपने हाथों विनाश में न डालो)
यह इस आयत का केंद्रीय संदेश है। इसका अर्थ बहुआयामी है:
आध्यात्मिक विनाश: अपने पैसे को हलाल कामों में खर्च न करना और उसे जमा करके रखना या हराम चीज़ों पर उड़ा देना, आध्यात्मिक रूप से खुद को बर्बाद करना है।
भौतिक विनाश (संकीर्ण अर्थ): माना जाता है कि यह आयत उस समय उतरी जब कुछ साथियों ने सोचा कि अगर वे अल्लाह के रास्ते में सब कुछ दान कर देंगे तो खुद ग़रीब हो जाएंगे। अल्लाह ने चेतावनी दी कि ऐसा करके वे अपने और अपने परिवार को बर्बादी में न डालें। संतुलन बनाए रखें।
जिहाद के संदर्भ में: लड़ाई के मैदान में अनावश्यक रूप से अपनी जान जोखिम में न डालना। बिना किसी रणनीति या जरूरत के दुश्मन के सामने आत्मघाती हमला करना मना है। जान बचाना और फिर से लड़ना जायज है। यह आत्मघाती हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा करती है।
3. सकारात्मक पुनः निर्देश: "व अह्सिनू इन्नल्लाहा युहिब्बुल मुह्सिनीन" (और भलाई करो, निश्चय ही अल्लाह भलाई करने वालों को प्यार करता है)
"इह्सान" का अर्थ है हर काम को उत्तम तरीके से और खूबसूरती के साथ करना।
यह आदेश बताता है कि सिर्फ पैसा खर्च करना ही काफी नहीं है, बल्कि उसे अच्छे तरीके से खर्च करो। सही जगह, सही समय पर, दिखावे के बिना और नेक नीयत से दान दो।
इसका सबसे बड़ा प्रोत्साहन यह है कि अल्लाह ऐसे इह्सान करने वालों से प्यार करता है।
4. शिक्षा और सबक (Lesson):
संतुलन का महत्व: धार्मिक कर्तव्यों और दुनियावी जरूरतों के बीच संतुलन बनाए रखो। अति (बहुत ज्यादा दान) या तुच्छता (बिल्कुल न देना) दोनों गलत हैं।
आत्म-संरक्षण एक दायित्व है: अपनी जान, स्वास्थ्य और संसाधनों की रक्षा करना भी एक धार्मिक दायित्व है। खुद को बेवजह खतरे में नहीं डालना चाहिए।
इह्सान (उत्कृष्टता) का सिद्धांत: हर काम, चाहे वह दान हो या इबादत, उसे पूरी खूबसूरती और ईमानदारी के साथ करना चाहिए।
अल्लाह की मोहब्बत: अल्लाह की प्रसन्नता और प्यार पाने का रास्ता उसके मार्ग में खर्च करना और हर क्षेत्र में भलाई करना है।
5. अतीत, वर्तमान और भविष्य से प्रासंगिकता (Relevancy):
अतीत (Past) के लिए:
इस आयत ने प्रारंभिक मुस्लिम समुदाय को एक संतुलित मार्गदर्शन दिया। इसने उन्हें अल्लाह के रास्ते में दान देने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन साथ ही यह भी सिखाया कि अपने और अपने परिवार को बर्बाद न करें।
वर्तमान (Present) के लिए:
वित्तीय संतुलन: आज के युग में, यह आयत मुसलमानों को वित्तीिक Planning का महत्व सिखाती है। अपनी सारी कमाई दान में न दे दो, बल्कि बचत और निवेश भी करो ताकि भविष्य सुरक्षित रहे।
आत्मघाती हमलों का पूर्ण खंडन: आत्मघाती बम विस्फोट, जहाँ व्यक्ति खुद को उड़ा लेता है, इस आयत के "ला तुल्क़ू बि-ऐदीकुम इलत-तह्लुक़ह" (अपने आपको विनाश में न डालो) के स्पष्ट आदेश के खिलाफ हैं। इस्लाम आत्महत्या को हराम ठहराता है।
स्वास्थ्य की देखभाल: अपनी सेहत की अनदेखी करना, नशीले पदार्थों का सेवन करना, या खतरनाक और गैर-जरूरी कारनामे करना भी "खुद को विनाश में डालना" है।
पर्यावरण संरक्षण: प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाना, जो अंततः मानव जाति के विनाश का कारण बनेगा, भी इस आयत की चेतावनी के दायरे में आता है।
भविष्य (Future) के लिए:
शाश्वत जीवन शैली: यह आयत हर युग के मुसलमानों के लिए एक संतुलित और समझदार जीवन शैली का मार्गदर्शन प्रदान करेगी। यह सिखाती रहेगी कि "उत्साह और त्याग के साथ-साथ समझदारी और आत्म-संरक्षण भी जरूरी है।"
Technological Risks: भविष्य में नई तकनीकों (जैसे AI, Genetic Engineering) का गलत इस्तेमाल करके मानवता को खतरे में डालना भी इस आयत की चेतावनी के अंतर्गत आएगा।
मानसिक स्वास्थ्य: भविष्य के तनाव भरे समाज में, अपने मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करना भी एक प्रकार की "तह्लुक़ह" (बर्बादी) है। इस आयत का सिद्धांत हमें अपने शारीरिक और मानसिक कल्याण का ध्यान रखने का आदेश देता है।