Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन 2:20 - "यकादुल बरक़ु यज़्हफु अब्सारहुम कुल्लमा अज़ाआ लहुम मशौ फीहि व इज़ा अज़लमा अलैहिम क़ामू, व लव शाअल्लाहु लज़्हबा बि सम्हिहिम व अब्सारिहिम, इन्नल्लाहा अला कुल्लि शयइन क़दीर"

यहाँ कुरआन की दूसरी सूरह, अल-बक़ारह की बीसवीं आयत (2:20) का पूर्ण विस्तृत व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत है।


कुरआन 2:20 - "यकादुल बरक़ु यज़्हफु अब्सारहुम कुल्लमा अज़ाआ लहुम मशौ फीहि व इज़ा अज़लमा अलैहिम क़ामू, व लव शाअल्लाहु लज़्हबा बि सम्हिहिम व अब्सारिहिम, इन्नल्लाहा अला कुल्लि शयइन क़दीर"

(يَكَادُ الْبَرْقُ يَخْطَفُ أَبْصَارَهُمْ ۖ كُلَّمَا أَضَاءَ لَهُم مَّشَوْا فِيهِ وَإِذَا أَظْلَمَ عَلَيْهِمْ قَامُوا ۚ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ لَذَهَبَ بِسَمْعِهِمْ وَأَبْصَارِهِمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ)

हिंदी अर्थ: "बिजली की चमक लगभग उनकी आँखों को ही चुरा लेती है। जब भी यह उनके लिए चमकती है, तो वे उस (रोशनी) में चल पड़ते हैं और जब उन पर अंधेरा छा जाता है, तो वे खड़े हो जाते हैं। और अल्लाह चाहता तो उनकी सुनने और देखने की शक्ति ही छीन लेता। निश्चय ही अल्लाह हर चीज़ पर पूरी ताकत रखता है।"

यह आयत पिछले दृष्टांत (आयत 2:19) को आगे बढ़ाते हुए मुनाफिक़ीन (पाखंडियों) की अस्थिर और अवसरवादी मानसिकता को उजागर करती है। यह दर्शाती है कि कैसे वे सत्य के प्रति अपने रवैये में पल-पल बदलते रहते हैं।

आइए, इस आयत को शब्द-दर-शब्द और उसके गहन अर्थों में समझते हैं।


1. शब्दार्थ विश्लेषण (Word-by-Word Analysis)

  • यकादु (Yakaadu): लगभग, प्रायः (Almost)

  • अल-बरक़ु (Al-barqu): बिजली (The lightning)

  • यज़्हफु (Yakhtafu): छीन लेता, चुरा लेता (Snatches away)

  • अब्सारहुम (Absaarahum): उनकी आँखों को (Their eyesight)

  • कुल्लमा (Kullamaa): जब भी (Whenever)

  • अज़ाआ (Adaa'a): रोशन करता / चमकता (It illuminated)

  • लहुम (Lahum): उनके लिए (For them)

  • मशौ (Mashaw): वे चल पड़ते (They walk)

  • फीहि (Feehi): उसमें (In it)

  • व इज़ा (Wa izaa): और जब (And when)

  • अज़लमा (Azlama): अंधेरा हो गया (It became dark)

  • अलैहिम (Alaihim): उन पर (Upon them)

  • क़ामू (Qaamoo): वे खड़े हो गए (They stood still)

  • व लव शाअल्लाहु (Wa law shaa'allahu): और यदि अल्लाह चाहता (And if Allah had willed)

  • लज़्हबा (Lazhaba): जरूर ले लेता (He would have taken away)

  • बि सम्हिहिम (Bi sam'ihim): उनकी सुनने की शक्ति (Their hearing)

  • व अब्सारिहिम (Wa absaarihim): और उनकी देखने की शक्ति (And their eyesight)

  • इन्नल्लाहा (Innallaaha): निश्चय ही अल्लाह (Indeed, Allah)

  • अला कुल्लि शयइन (Alaa kulli shay'in): हर चीज़ पर (Over all things)

  • क़दीर (Qadeer): पूरी ताकत रखता है (Is All-Powerful)


2. गहन अर्थ और संदेश (In-depth Meaning & Message)

यह आयत मुनाफिक़ीन के दोहरे व्यवहार और उनकी दुविधा को स्पष्ट करती है:

1. बिजली की तीव्र चमक (The Intensity of the Lightning - यकादुल बरक़ु यज़्हफु अब्सारहुम)

  • आध्यात्मिक अर्थ: कुरआन के सत्य और उसके स्पष्ट प्रमाण इतने तीव्र और चमकदार हैं कि वे मुनाफिक़ के दिल और दिमाग को झकझोर देते हैं।

  • "आँखें चुरा लेना": यह इस बात का प्रतीक है कि सत्य का प्रकाश इतना तेज है कि वह उनकी (मुनाफिक़ की) मानसिक दृष्टि को ही लगभग नष्ट कर देता है। वे इस प्रकाश को सहन नहीं कर पाते क्योंकि यह उनके पाखंड और झूठ को पूरी तरह से उजागर कर देता है।

2. अस्थिर और अवसरवादी व्यवहार (Unstable and Opportunistic Behavior)
यह आयत का मुख्य भाग है, जो मुनाफिक़ के दोहरे रवैये को दर्शाता है:

  • "जब बिजली चमकती है, तो वे चल पड़ते हैं" (कुल्लमा अज़ाआ लहुम मशौ फीहि):

    • जब इस्लाम की शक्ति और प्रभाव बढ़ता है, जब मुसलमान जीतते हैं, या जब सत्य के स्पष्ट प्रमाण सामने आते हैं, तो मुनाफिक़ उसमें शामिल हो जाते हैं। वे इस्लाम के "रोशन" होने का फायदा उठाना चाहते हैं और दुनियावी लाभ के लिए मुसलमानों के साथ चल पड़ते हैं।

  • "जब अंधेरा छा जाता है, तो वे खड़े हो जाते हैं" (व इज़ा अज़लमा अलैहिम क़ामू):

    • जब मुसलमानों पर मुसीबत आती है, जब इस्लाम कमजोर दिखाई देता है, या जब सत्य पर संदेह का अंधेरा छा जाता है, तो मुनाफिक़ रुक जाते हैं। वहीं खड़े रह जाते हैं, आगे नहीं बढ़ते। वे मुसलमानों का साथ छोड़ देते हैं और अपनी सुरक्षा के लिए पीछे हट जाते हैं।

3. अल्लाह की सर्वशक्तिमत्ता (The Omnipotence of Allah)

  • "और अल्लाह चाहता तो उनकी सुनने और देखने की शक्ति ही छीन लेता" (व लव शाआल्लाहु लज़्हबा बि सम्हिहिम व अब्सारिहिम):

    • यह बताता है कि अल्लाह उन्हें अवसर दे रहा है। वह चाहता तो उनकी सुनने और देखने की शारीरिक क्षमता ही समाप्त कर देता, जैसा कि आयत 2:7 में दिलों, आँखों और कानों पर मुहर का वर्णन है।

    • इसका अर्थ है कि उन्हें अभी भी मौका है, लेकिन वे अपनी जिद और पाखंड के कारण इसका लाभ नहीं उठा रहे।

  • "निश्चय ही अल्लाह हर चीज़ पर पूरी ताकत रखता है" (इन्नल्लाहा अला कुल्लि शयइन क़दीर):

    • यह वाक्य अल्लाह की पूर्ण सत्ता की घोषणा करता है। वह मुनाफिक़ीन को किसी भी समय दंडित कर सकता है। यह एक चेतावनी है कि उनकी चालबाजी अल्लाह की शक्ति के आगे कुछ नहीं है।


3. व्यावहारिक जीवन में महत्व (Practical Importance in Daily Life)

  • सच्चे ईमान की पहचान: यह आयत सिखाती है कि सच्चा ईमान हर हालात में अटल रहता है - खुशी में और गम में, आसानी में और मुसीबत में। ईमान अवसरवादिता (Opportunism) पर नहीं, बल्कि सिद्धांतों पर टिका होता है।

  • आत्म-जांच: हमें अपने आप से पूछना चाहिए: क्या हमारा ईमान भी हालात के अनुसार बदलता है? क्या हम केवल आसान समय में ही अल्लाह के आदेशों का पालन करते हैं और मुश्किल समय में उन्हें भूल जाते हैं?

  • अल्लाह की शक्ति पर विश्वास: यह आयत हमें याद दिलाती है कि अल्लाह की शक्ति सर्वोच्च है। हमें हमेशा उसी पर भरोसा करना चाहिए, न कि दुनियावी हालात के उतार-चढ़ाव से डरना चाहिए।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 2:20 मुनाफिक़ीन के चरित्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता को उजागर करती है - उनकी अस्थिरता और अवसरवादिता। वे सत्य के मार्ग पर हालात के अनुसार चलते-रुकते रहते हैं। यह आयत हर मुसलमान के लिए एक कसौटी है कि वह अपने ईमान की जाँच करे और सुनिश्चित करे कि वह हर परिस्थिति में दृढ़ और स्थिर रहे। साथ ही, यह आयत अल्लाह की सर्वशक्तिमत्ता की याद दिलाकर यह विश्वास दिलाती है कि अंततः सच्चा सहारा और शक्ति का स्रोत केवल अल्लाह ही है।