Read Quran translation in Hindi with verse-by-verse meaning and time-relevant explanations for deeper understanding.

कुरआन 2:5 - "उलाइका अला हुदम मिन रब्बिहिम व उलाइका हुमुल मुफ्लिहून" (أُولَٰئِكَ عَلَىٰ هُدًى مِّن رَّبِّهِمْ ۖ وَأُولَٰئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ)

यहाँ कुरआन की दूसरी सूरह, अल-बक़ारह की पाँचवीं आयत (2:5) का पूर्ण विस्तृत व्याख्या हिंदी में प्रस्तुत है।


कुरआन 2:5 - "उलाइका अला हुदम मिन रब्बिहिम व उलाइका हुमुल मुफ्लिहून" (أُولَٰئِكَ عَلَىٰ هُدًى مِّن رَّبِّهِمْ ۖ وَأُولَٰئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ)

हिंदी अर्थ: "यही लोग अपने पालनहार की ओर से (मिले) मार्गदर्शन पर हैं और यही लोग ही सफलता पाने वाले हैं।"

यह आयत सूरह अल-बक़ारह की शुरुआत में "मुत्तक़ीन" (ईश्वर-भीरु लोगों) के गुणों का वर्णन करने वाली आयतों की श्रृंखला का समापन है। आयत 2 से 4 तक में "मुत्तक़ीन" कौन हैं, इसकी विस्तृत परिभाषा दी गई। अब यह आयत (2:5) उनके लिए अल्लाह की ओर से दो महान प्रतिफल (पुरस्कार) की घोषणा करती है।

आइए, इस आयत को शब्द-दर-शब्द और उसके गहन अर्थों में समझते हैं।


1. शब्दार्थ विश्लेषण (Word-by-Word Analysis)

  • उलाइका (Ulaaika): "यही लोग" (Those are the ones)। यह सर्वनाम उन लोगों की ओर इशारा कर रहा है जिनके गुण पिछली दो आयतों (2:3 और 2:4) में बताए गए थे। यह शब्द उनकी विशिष्टता और महानता को दर्शाता है।

  • अला (Alaa): "पर हैं" (Are upon)। यह शब्द दृढ़ता, स्थिरता और निरंतरता को दर्शाता है। यह सिर्फ एक पल का मार्गदर्शन नहीं, बल्कि एक स्थायी स्थिति है।

  • हुदम (Hudam): "मार्गदर्शन" (Guidance)। यह वही शब्द है जो आयत 2:2 में आया था, "हुदल लिल मुत्तक़ीन" (मार्गदर्शन है डर रखने वालों के लिए)। यहाँ इसका अर्थ है सच्चाई, स्पष्टता और सही रास्ता।

  • मिन रब्बिहिम (Min Rabbihim): "अपने पालनहार की ओर से" (From their Lord)। यह बताता है कि यह मार्गदर्शन किसी मनुष्य का बनाया हुआ नहीं, बल्कि स्वयं अल्लाह की ओर से प्रदान किया गया एक दिव्य उपहार है।

  • व उलाइका (Wa ulaaika): "और यही लोग" (And those are the ones)। फिर से "यही लोग" शब्द का प्रयोग करके उनकी श्रेष्ठता पर फिर से जोर दिया गया है।

  • हुमुल (Humul): "वही हैं" (They are)。 "हुम" (वे) के साथ "अल" (The) लगाकर इस बात पर जोर दिया गया है कि असली सफलता पाने वाले केवल और केवल यही लोग हैं

  • अल-मुफ्लिहून (Al-Muflihoon): "सफलता पाने वाले" (The successful ones)। यह शब्द इस आयत और पूरे खंड का सबसे महत्वपूर्ण शब्द है।


2. गहन अर्थ और संदेश (In-depth Meaning & Message)

यह आयत "मुत्तक़ीन" के लिए दो सर्वोच्च पुरस्कारों की घोषणा करती है:

1. दिव्य मार्गदर्शन पर स्थिरता (Firmness upon Divine Guidance)

  • "उलाइका अला हुदम मिन रब्बिहिम" - "यही लोग अपने पालनहार की ओर से (मिले) मार्गदर्शन पर हैं।"

  • यह आयत 2:2 ("हुदल लिल मुत्तक़ीन") में दिए गए वादे की पुष्टि है। अल्लाह ने कहा था कि कुरआन मुत्तक़ीन के लिए मार्गदर्शन है, और अब वह बता रहा है कि ये मुत्तक़ीन वास्तव में उस मार्गदर्शन पर कायम और स्थिर हैं।

  • "अला" (पर हैं) शब्द का महत्व:

    • यह दर्शाता है कि उन्होंने मार्गदर्शन को केवल स्वीकार ही नहीं किया, बल्कि उसे अपने जीवन का एक स्थायी और अटूट हिस्सा बना लिया है।

    • वे हर परिस्थिति में, हर मोड़ पर, इस मार्गदर्शन से जुड़े रहते हैं। यह उनकी पहचान बन गई है।

2. चरम सफलता का प्राप्तकर्ता (The Achievers of Ultimate Success)

  • "व उलाइका हुमुल मुफ्लिहून" - "और यही लोग ही सफलता पाने वाले हैं।"

  • "अल-फलाह" (सफलता) क्या है? अरबी में "फलाह" का अर्थ सिर्फ दुनियावी सफलता (धन, पद, प्रसिद्धि) नहीं है। इसका अर्थ है संपूर्ण और स्थायी सफलता। यह वह सफलता है जो दुनिया और आख़िरत (परलोक) दोनों में प्राप्त होती है।

  • एक "मुफ्लिह" (सफल व्यक्ति) वह है जो:

    • दुनिया में: शांति, संतोष और अल्लाह की कृपा का जीवन जीता है।

    • मृत्यु के समय: ईमान पर ही उसकी मृत्यु होती है।

    • आख़िरत में: अल्लाह की रहमत से जन्नत (स्वर्ग) में प्रवेश पाता है और अनंत काल तक सुख और शांति का जीवन पाता है।

  • "हुमुल" (वही हैं) का जोर: इस शब्द के प्रयोग से स्पष्ट कर दिया गया है कि यह चरम सफलता केवल उन्हीं लोगों के लिए आरक्षित है जिनमें ऊपर बताए गए गुण हैं। दुनिया की दिखावटी सफलता वास्तविक सफलता नहीं है।


3. पिछली आयतों के साथ संबंध (Connection with Previous Verses)

इस आयत को पिछली आयतों के संदर्भ में देखना बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक तार्किक निष्कर्ष की तरह है:

  1. आयत 2:2: कुरआन मुत्तक़ीन के लिए मार्गदर्शन है। (प्रस्तावना)

  2. आयत 2:3-4: मुत्तक़ीन कौन हैं? उनके 6 गुण बताए गए। (परिभाषा)

  3. आयत 2:5: इसलिए, यही लोग (उलाइका) उस मार्गदर्शन पर स्थिर हैं और यही लोग असली सफल हैं। (निष्कर्ष)

यह एक पूर्ण चक्र बनाता है: मार्गदर्शन → योग्यता प्राप्त करना → मार्गदर्शन पर स्थिर होना → सफलता प्राप्त करना।


4. व्यावहारिक जीवन में महत्व (Practical Importance in Daily Life)

  • जीवन का लक्ष्य: यह आयत हर मुसलमान के सामने जीवन का स्पष्ट लक्ष्य रखती है - "अल-फलाह" (चरम सफलता) प्राप्त करना। और यह बताती है कि इसे प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता "मुत्तक़ी" बनना है।

  • आत्म-मूल्यांकन का मापदंड: एक मुसलमान इस आयत को पढ़कर स्वयं से पूछ सकता है: "क्या मैं उन गुणों को अपना रहा हूँ जो 'मुत्तक़ीन' में बताए गए हैं? क्या मैं अल्लाह के मार्गदर्शन पर स्थिर हूँ? क्या मेरी परिभाषा सफलता की वही है जो अल्लाह ने बताई है?"

  • प्रेरणा और आशा: यह आयत हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अच्छा जीवन जीना चाहता है। यह बताती है कि सफलता का रास्ता खुला है और उसके लिए जो गुण चाहिए, वे हर इंसान के वश में हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

कुरआन की आयत 2:5 एक शक्तिशाली और आशावादी समापन है जो मनुष्य के लिए अल्लाह के अंतिम लक्ष्य को परिभाषित करती है। यह घोषणा करती है कि वास्तविक विजेता और सफल व्यक्ति वह नहीं है जो दुनिया में धन और शक्ति इकट्ठा करता है, बल्कि वह है जो अल्लाह से डरता है, उसके मार्गदर्शन पर चलता है और आख़िरत के प्रति सजग रहता है। यह आयत हर इंसान को "मुफ्लिहून" (सफल लोगों) की इस विशेष श्रेणी में शामिल होने का निमंत्रण देती है।