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कुरआन की आयत 2:60 (सूरह अल-बक़ारह) का पूर्ण विस्तृत विवरण

 

1. पूरी आयत अरबी में:

وَإِذِ اسْتَسْقَىٰ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ فَقُلْنَا اضْرِب بِّعَصَاكَ الْحَجَرَ فَانفَجَرَتْ مِنْهُ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَيْنًا قَدْ عَلِمَ كُلُّ أُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْ كُلُوا وَاشْرَبُوا مِن رِّزْقِ اللَّهِ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ


2. अरबी शब्दों के अर्थ (Word-to-Word Meaning):

  • وَإِذِ: और (वह समय) याद करो जब

  • اسْتَسْقَىٰ: पानी माँगा

  • مُوسَىٰ: मूसा (अलैहिस्सलाम) ने

  • لِقَوْمِهِ: अपनी कौम के लिए

  • فَقُلْنَا: तो हमने कहा

  • اضْرِب: मारो

  • بِّعَصَاكَ: अपनी लाठी से

  • الْحَجَرَ: पत्थर को

  • فَانفَجَرَتْ: तो फूट निकलीं

  • مِنْهُ: उसमें से

  • اثْنَتَا عَشْرَةَ: बारह

  • عَيْنًا: चश्मे (पानी के स्रोत)

  • قَدْ عَلِمَ: जान चुके

  • كُلُّ: हर

  • أُنَاسٍ: लोगों का समूह

  • مَّشْرَبَهُمْ: उनका पानी पीने का स्थान

  • كُلُوا: खाओ

  • وَاشْرَبُوا: और पियो

  • مِن: से

  • رِّزْقِ اللَّهِ: अल्लाह की दी हुई रोज़ी

  • وَلَا تَعْثَوْا: और बिगाड़ न मचाओ

  • فِي: में

  • الْأَرْضِ: धरती

  • مُفْسِدِينَ: बिगाड़ पैदा करने वाले बनकर


3. पूर्ण विवरण (Full Explanation)

संदर्भ (Context):

यह आयत बनी इस्राईल पर अल्लाह के एक और अद्भुत एहसान का वर्णन करती है। यह घटना तब की है जब वे रेगिस्तान में भटक रहे थे और उन्हें पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ा। पानी जीवन की मूलभूत आवश्यकता है, और इस संकट के समय अल्लाह ने एक अलौकिक चमत्कार द्वारा उनकी सहायता की।

आयत के भागों का विश्लेषण:

भाग 1: "और (वह समय) याद करो जब मूसा ने अपनी कौम के लिए पानी माँगा..."

  • एक पैगंबर की चिंता: हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) अपनी कौम की पीड़ा से व्यथित थे और उन्होंने अल्लाह से दुआ की। यह एक पैगंबर की अपनी उम्मत के प्रति जिम्मेदारी और चिंता को दर्शाता है।

भाग 2: "...तो हमने कहा: 'अपनी लाठी से पत्थर पर मारो...'"

  • चमत्कार का साधन: अल्लाह ने मूसा (अलैहिस्सलाम) की लाठी को, जो पहले भी कई चमत्कारों का साधन बनी थी, एक और चमत्कार के लिए चुना। यह दर्शाता है कि अल्लाह छोटी-छोटी चीजों के माध्यम से बड़े-बड़े चमत्कार दिखाता है।

भाग 3: "...तो उस (पत्थर) में से बारह चश्मे फूट निकले..."

  • एक व्यवस्थित चमत्कार: पत्थर से सिर्फ एक नहीं, बल्कि बारह चश्मे फूट निकले। यह संख्या बनी इस्राईल के बारह गोत्रों (जनजातियों) के अनुरूप थी। यह चमत्कार न सिर्फ जीवनदायी था, बल्कि पूरी तरह से व्यवस्थित और संगठित भी था।

भाग 4: "...हर समूह ने अपना पानी पीने का स्थान जान लिया।"

  • सामाजिक व्यवस्था: अल्लाह ने इतना प्रबंध कर दिया कि हर गोत्र के लिए अलग पानी का स्रोत था, जिससे आपस में झगड़ा न हो। यह अल्लाह की दया और व्यवस्था को दर्शाता है।

भाग 5: "(हमने कहा:) 'अल्लाह की दी हुई रोज़ी में से खाओ-पियो और धरती में बिगाड़ पैदा करने वाले बनकर उपद्रव न मचाओ।'"

  • कृतज्ञता का आदेश: अल्लाह ने उन्हें इस नेमत का आनंद लेने का आदेश दिया। "अल्लाह की रोज़ी" कहकर उन्हें यह एहसास कराया कि यह सब उसकी दया से मिला है।

  • स्पष्ट चेतावनी: आदेश के साथ ही एक स्पष्ट चेतावनी भी दी गई - "धरती में फसाद न फैलाओ।" इसका अर्थ था: अकृतज्ञ मत बनो, अत्याचार मत करो, एक-दूसरे से झगड़ा मत करो और अल्लाह की नेमतों का गलत इस्तेमाल मत करो।


4. सबक (Lessons)

  1. अल्लाह की शक्ति और दया: अल्लाह किसी भी स्थिति में अपने बंदों की सहायता कर सकता है। वह प्रकृति के नियमों को बदलकर बंजर पत्थर से जीवनदायी पानी निकाल सकता है।

  2. दुआ का महत्व: संकट के समय अल्लाह से दुआ करना और उसी से मदद माँगना एक पैगंबर का तरीका है।

  3. व्यवस्था और न्याय: अल्लाह की दया में व्यवस्था और न्याय समाया हुआ है। उसने हर गोत्र के लिए अलग स्रोत बनाकर समानता और न्याय का पाठ पढ़ाया।

  4. नेमत और जिम्मेदारी: अल्लाह की नेमतें हम पर एक जिम्मेदारी डालती हैं। हमें उनका शुक्र अदा करना चाहिए और धरती पर फसाद फैलाने से बचना चाहिए।


5. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevancy: Past, Present & Future)

अतीत (Past) में प्रासंगिकता:

  • यह आयत बनी इस्राईल को उन पर हुए एक और बड़े एहसान की याद दिला रही थी, ताकि वे अकृतज्ञता छोड़कर सच्चाई को स्वीकार करें।

  • यह उनकी बार-बार की गई नाफरमानी के बावजूद अल्लाह की दया का प्रमाण थी।

वर्तमान (Present) में प्रासंगिकता:

  • आधुनिक "पानी" का संकट: आज दुनिया के कई हिस्सों में पानी का संकट है। यह आयत हमें याद दिलाती है कि पानी जैसी मूलभूत नेमत का स्रोत अल्लाह है और हमें उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए और उसे बर्बाद नहीं करना चाहिए।

  • रोज़ी का डर: लोग रोज़ी के लिए हलाल-हराम की परवाह किए बिना दौड़ते हैं। यह आयत यकीन दिलाती है कि अल्लाह रोज़ी देने वाला है और वह असंभव को संभव कर सकता है।

  • "फसाद फैलाने" का आधुनिक अर्थ: आज धरती पर फसाद फैलाने के कई रूप हैं - पर्यावरण को नुकसान, भ्रष्टाचार, अत्याचार, युद्ध, सामाजिक अन्याय। यह आयत हमें इन सबसे मना करती है।

  • एकता और व्यवस्था: बारह चश्मों का चमत्कार हमें सिखाता है कि अल्लाह एकता और व्यवस्था पसंद करता है। मुसलमानों को आपसी झगड़े छोड़कर एकजुट रहना चाहिए।

भविष्य (Future) में प्रासंगिकता:

  • यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को यह आश्वासन देती रहेगी कि अल्लाह हर संकट से उबारने वाला है, बशर्ते उस पर सच्चा भरोसा और इबादत की जाए।

  • यह हमेशा मानवता को यह सिखाती रहेगी कि अल्लाह की नेमतों के साथ उसकी नाफरमानी और धरती पर फसाद फैलाना सबसे बड़ी अकृतज्ञता है।

  • यह आयत कयामत तक एक स्थायी सबक है: "अल्लाह की रोज़ी से खाओ-पियो, शुक्र अदा करो और धरती को बर्बाद मत करो।"