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कुरआन की आयत 2:73 (सूरह अल-बक़ारह) का पूर्ण विस्तृत विवरण

 

1. पूरी आयत अरबी में:

فَقُلْنَا اضْرِبُوهُ بِبَعْضِهَا ۚ كَذَٰلِكَ يُحْيِي اللَّهُ الْمَوْتَىٰ وَيُرِيكُمْ آيَاتِهِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ


2. अरबी शब्दों का अर्थ (Word-to-Word Meaning):

  • فَقُلْنَا: तो हमने कहा

  • اضْرِبُوهُ: उसे (मुर्दे को) मारो (छुओ)

  • بِبَعْضِهَا: उस (गाय) के किसी हिस्से से

  • كَذَٰلِكَ: इसी प्रकार

  • يُحْيِي: जीवित करता है

  • اللَّهُ: अल्लाह

  • الْمَوْتَىٰ: मुर्दों को

  • وَيُرِيكُمْ: और तुम्हें दिखाता है

  • آيَاتِهِ: अपनी निशानियाँ

  • لَعَلَّكُمْ: ताकि तुम

  • تَعْقِلُونَ: समझो (अक्ल से काम लो)


3. पूर्ण विवरण (Full Explanation)

संदर्भ (Context):

यह आयत "गाय की कुर्बानी" की लंबी कहानी का चमत्कारी अंत है। पिछली आयतों में एक अनसुलझी हत्या का जिक्र था। अब अल्लाह उस हल का खुलासा करता है जिसके लिए यह सब कुछ किया गया था। यह आयत न सिर्फ एक चमत्कार दिखाती है बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक सबक भी सिखाती है।

आयत के भागों का विश्लेषण:

भाग 1: "तो हमने कहा: 'उसे (मुर्दे को) उस (गाय) के किसी हिस्से से मारो (छुओ)।'"

  • चमत्कारी आदेश: अल्लाह का हुक्म था कि ज़बह की गई गाय के एक टुकड़े (जैसे कोई हड्डी) से उस मुर्दे के शरीर को छुओ।

  • परिणाम: जैसे ही ऐसा किया गया, मरा हुआ व्यक्ति तुरंत जीवित हो गया और अल्लाह की ताकत से बोलकर अपने हत्यारे का नाम बता दिया। इस तरह वह रहस्य सुलझ गया जिस पर बनी इस्राईल झगड़ रहे थे।

भाग 2: "'इसी प्रकार अल्लाह मुर्दों को जीवित करता है...'"

  • मुख्य सबक: यह पूरी घटना का सार है। अल्लाह ने यह चमत्कार सिर्फ एक हत्या का पता लगाने के लिए नहीं दिखाया था। इसका एक बहुत बड़ा उद्देश्य था - यह प्रमाणित करना कि अल्लाह मौत के बाद दोबारा जीवन देने की पूरी ताकत रखता है।

  • कयामत का प्रमाण: यह छोटा सा चमत्कार कयामत के दिन होने वाले बड़े चमत्कार (पुनर्जीवन) का एक नमूना था। जिस तरह एक हड्डी के टुकड़े ने एक मुर्दे को जिला दिया, उसी तरह कयामत के दिन अल्लाह पूरी मानवजाति को जिला उठाएगा।

भाग 3: "'...और तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है, ताकि तुम समझो (अक्ल से काम लो)।'"

  • निशानियों का उद्देश्य: अल्लाह अपनी निशानियाँ (आयात) और चमत्कार बेमतलब नहीं दिखाता। उनका उद्देश्य है कि इंसान उन्हें देखकर "यअक़िलून" यानी अक्ल से काम ले, सोचे-विचारे और सही निष्कर्ष पर पहुँचे।

  • सही निष्कर्ष क्या है? इस चमत्कार से सही निष्कर्ष यह निकालना था:

    • अल्लाह सर्वशक्तिमान है।

    • पुनर्जीवन संभव है।

    • अल्लाह हर रहस्य जानता है।

    • उसके हर आदेश में कोई न कोई हिक्मत (ज्ञान) छिपी होती है।


4. सबक (Lessons)

  1. अल्लाह की शक्ति असीम है: अल्लाह प्रकृति के नियमों को बदल सकता है। मृत्यु और जीवन उसके हाथ में है।

  2. पुनर्जीवन एक सत्य है: कयामत का पुनर्जीवन कोरी कल्पना नहीं है। अल्लाह ने दुनिया में ही इसके छोटे-छोटे उदाहरण दिखा दिए हैं।

  3. हर आदेश में हिक्मत है: अल्लाह के हर आदेश के पीछे एक गहरी समझ और ज्ञान छिपा होता है, भले ही वह तुरंत समझ में न आए। गाय की कुर्बानी का आदेश बेतुका नहीं था, बल्कि एक बड़ी समस्या का समाधान और एक बड़े सबक का साधन था।

  4. चमत्कारों का उद्देश्य: चमत्कारों का मकसद मनोरंजन नहीं, बल्कि इंसान को सोचने-समझने और ईमान लाने का मौका देना है।


5. प्रासंगिकता: अतीत, वर्तमान और भविष्य (Relevancy: Past, Present & Future)

अतीत (Past) में प्रासंगिकता:

  • यह आयत बनी इस्राईल को यह याद दिला रही थी कि उन्होंने खुद अल्लाह की पुनर्जीवन की शक्ति को अपनी आँखों से देखा था, फिर भी वे पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) पर ईमान क्यों नहीं लाते?

  • यह कयामत के पुनर्जीवन पर उनके संदेह का जवाब थी।

वर्तमान (Present) में प्रासंगिकता:

  • आधुनिक संदेह: आज का विज्ञान-पूजक इंसान पुनर्जीवन (Resurrection) को नहीं मानता। यह आयत उससे कहती है कि जिस अल्लाह ने एक हड्डी के टुकड़े से इंसान को जिला दिया, वह तुम्हें कयामत के दिन जरूर जिला उठाएगा।

  • वैज्ञानिक निशानियाँ: अल्लाह की "निशानियाँ" सिर्फ पुराने जमाने के चमत्कारों तक सीमित नहीं हैं। आज का विज्ञान, मानव शरीर की रचना, ब्रह्मांड का विस्तार - ये सभी अल्लाह की निशानियाँ (आयात) हैं। सवाल यह है कि क्या हम "यअक़िलून" (अक्ल से काम ले रहे हैं) और इन निशानियों से सही निष्कर्ष निकाल रहे हैं?

  • ईमान को मजबूत करना: यह आयत आज के मुसलमान के ईमान को मजबूत करती है। जब कोई शक पैदा हो कि क्या अल्लाह मरे हुओं को जिला सकता है, तो यह आयत याद आती है।

भविष्य (Future) में प्रासंगिकता:

  • यह आयत भविष्य की हर पीढ़ी को यह आश्वासन देती रहेगी कि पुनर्जीवन एक सत्य है और अल्लाह उसकी पूरी शक्ति रखता है।

  • यह हमेशा विज्ञान और तर्क के युग में भी मानवता को यह चुनौती देती रहेगी कि वह अल्लाह की निशानियों पर "अक्ल" से विचार करे और सही निष्कर्ष पर पहुँचे।

  • यह आयत कयामत तक एक स्थायी सत्य स्थापित करती है: "जिस तरह अल्लाह ने एक मुर्दे को जिलाया, वह तुम्हें भी जिला उठाएगा।"