१. पूरा आयत अरबी में:
ثُمَّ أَنتُمْ هَٰؤُلَاءِ تَقْتُلُونَ أَنفُسَكُمْ وَتُخْرِجُونَ فَرِيقًا مِّنكُم مِّن دِيَارِهِمْ تَظَاهَرُونَ عَلَيْهِم بِالْإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَإِن يَأْتُوكُمْ أُسَارَىٰ تَفْدُوهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَيْكُمْ إِخْرَاجُهُمْ ۚ أَفَتُؤْمِنُونَ بِبَعْضِ الْكِتَابِ وَتَكْفُرُونَ بِبَعْضٍ ۚ فَمَا جَزَاءُ مَن يَفْعَلُ ذَٰلِكَ مِنكُمْ إِلَّا خِزْيٌ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۖ وَيَوْمَ الْقِيَامَةِ يُرَدُّونَ إِلَىٰ أَشَدِّ الْعَذَابِ ۗ وَمَا اللَّهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ
२. शब्द-दर-शब्द अर्थ (Arabic Words Meaning):
ثُمَّ: फिर।
أَنتُمْ: तुम हो।
هَٰؤُلَاءِ: ये वही (लोग)।
تَقْتُلُونَ: मार डालते हो।
أَنفُسَكُمْ: अपने आप को (अपने ही लोगों को)।
وَتُخْرِجُونَ: और निकालते हो।
فَرِيقًا: एक समूह को।
مِّنكُم: तुम में से।
مِّن دِيَارِهِم: उनके घरों से।
تَظَاهَرُونَ: सहायता करते हो, मिल जाते हो।
عَلَيْهِم: उनके (विस्थापित लोगों के) विरुद्ध।
بِالْإِثْمِ: पाप और गुनाह में।
وَالْعُدْوān: और अत्याचार में।
وَإِن: और यदि।
يَأْتُوكُمْ: तुम्हारे पास आएं।
أُسَارَىٰ: कैदी बनाकर।
تَفْدُوهُمْ: तुम उनकी फिर्याद (छुड़ौती) देते हो।
وَهُوَ: और वह (तो)।
مُّحَرَّمٌ: वर्जित है।
عَلَيْكُمْ: तुम पर।
إِخْرَاجُهُمْ: उन्हें निकालना।
أَفَتُؤْمِنُونَ: क्या तुम ईमान लाते हो?
بِبَعْض: कुछ भाग पर।
الْكِتَاب: किताब (तौरात)।
وَتَكْफُرُونَ: और इन्कार करते हो?
بِبَعْض: कुछ भाग का।
فَمَا: तो क्या है?
جَزَاءُ: बदला।
مَن: उसका।
يَفْعَلُ: जो करता है।
ذَٰلِكَ: वह (कर्म)।
مِنكُمْ: तुम में से।
إِلَّا: केवल।
خِزْي: अपमान, बदनामी।
فِي: में।
الْحَيَاةِ الدُّنْيَا: सांसारिक जीवन।
وَيَوْمَ: और दिन।
الْقِيَامَة: क़यामत।
يُرَدُّون: लौटाए जाएंगे।
إِلَىٰ: की ओर।
أَشَدِّ: सबसे कड़े।
الْعَذَاب: यातना।
وَمَا اللَّهُ بِغَافِلٍ: और अल्लाह बेखबर नहीं है।
عَمَّا: उससे।
تَعْمَلُونَ: जो तुम करते हो।
३. आयत का पूरा अर्थ (Full Explanation in Hindi):
इस आयत का पूरा अर्थ है: "फिर तुम वही लोग हो जो अपने ही लोगों को मार डालते हो और अपने ही एक समूह को उनके घरों से निकालते हो, और पाप व अत्याचार में मिलकर उनके विरुद्ध (साजिश) करते हो। और यदि वही (निकाले गए) लोग तुम्हारे पास कैदी बनकर आएं तो तुम उन्हें छुड़ा लेते हो, हालाँकि तुम पर उन्हें निकालना हराम (वर्जित) किया गया था। क्या तुम किताब (तौरात) के एक भाग पर तो ईमान रखते हो और दूसरे भाग का इन्कार करते हो? तो जो तुम में से ऐसा करे, उसकी सज़ा सिवाय इसके और क्या है कि दुनिया की ज़िंदगी में अपमान (और बदनामी) हो और क़यामत के दिन सबसे सख्त यातना की ओर लौटाए जाएं। और अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो।"
गहन व्याख्या:
यह आयत बनी इस्राईल की उस सबसे बड़ी विडंबना (Hypocrisy) और अवज्ञा पर प्रकाश डालती है, जिसका जिक्र पिछली आयत (2:84) में किए गए वचन के संदर्भ में है। यहाँ उनके कर्मों में भारी विरोधाभास दिखाया गया है:
वचनभंग और अंदरूनी संघर्ष: उन्होंने वचन दिया था कि आपस में खून नहीं बहाएंगे और न ही एक-दूसरे को निकालेंगे, लेकिन वे ठीक इसके विपरीत कर रहे थे। विभिन्न कबीलों के बीच लड़ाई-झगड़े आम बात थे।
घोर विरोधाभास (Hypocrisy): आयत एक चौंकाने वाला उदाहरण पेश करती है:
एक तरफ, वे अपने ही लोगों के एक समूह को उनके घरों से बेदखल कर देते हैं।
दूसरी तरफ, जब यही बेदखल किए हुए लोग दुश्मन के हाथों पकड़े जाकर कैदी बनकर आते हैं, तो वे उन्हें छुड़ाने के लिए पैसा (फिर्याद) देते हैं।
यह एक ऐसा ढोंग और विरोधाभास है जिसकी कोई तार्किक व्याख्या नहीं है। वे एक ही समय में एक गुनाह करते हैं और दूसरी जगह उसी गुनाह को ठीक करने का नाटक करते हैं।
आस्तिकता के चुनिंदा स्वीकार की निंदा: यह आयत एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत स्थापित करती है। अल्लाह कहता है: "क्या तुम किताब के एक भाग पर ईमान रखते हो और दूसरे भाग का इन्कार करते हो?" यह उन लोगों की मानसिकता पर करारी चोट है जो धर्म में से अपनी सुविधा के अनुसार चुन-चुन कर आदेश मानते हैं।
दोहरी सज़ा का प्रावधान: ऐसे लोगों के लिए दोहरी सज़ा का प्रावधान है:
दुनिया में: अपमान और बदनामी।
आखिरत में: सबसे कड़ी यातना।
४. शिक्षा और सबक (Lesson and Moral):
धर्म का संपूर्ण स्वीकार: सच्चा ईमान अल्लाह के आदेशों के आंशिक रूप से पालन का नाम नहीं है। एक मोमिन को पूरे दिल से पूरे धर्म को, उसके सभी आदेशों और निषेधों के साथ स्वीकार करना होता है।
पाखंड से बचना: इंसान को अपने कर्मों में विरोधाभास और ढोंग से बचना चाहिए। दुनिया को धोखा दिया जा सकता है, लेकिन अल्लाह को नहीं।
आंतरिक एकता का महत्व: किसी भी समुदाय की ताकत उसकी आंतरिक एकता में होती है। आपसी लड़ाई और विस्थापन समाज को अंदर से खोखला कर देते हैं।
नैतिक साहस: सही बात का साथ देना और गलत बात का विरोध करना जरूरी है, भले ही वह गलत बात अपने समुदाय या परिवार के लोग ही क्यों न कर रहे हों।
५. अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ प्रासंगिकता (Relevancy to Past, Present and Future):
अतीत (Past) के संदर्भ में:
यह आयत सीधे तौर पर बनी इस्राईल के उन गुटों के लिए थी जो आपस में लड़ते थे और एक-दूसरे को बेदखल करते थे। यह उनकी राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का सटीक चित्रण है।
यह पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के समय के मदीना के यहूदियों के लिए एक सबक था कि वे अतीत की गलतियों को न दोहराएं।
वर्तमान (Present) के संदर्भ में:
चुनिन्दा धार्मिकता (Selective Religiosity): आज बहुत से लोग धर्म का चुनिन्दा पालन करते हैं। जो बात सुविधाजनक हो, उसे मान लेते हैं और जो मुश्किल हो, उसकी अनदेखी कर देते हैं (जैसे ब्याज लेना, झूठ बोलना)। यह आयत ठीक इसी मानसिकता की निंदा करती है।
साम्प्रदायिक हिंसा और विस्थापन: आज भी दुनिया के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक हिंसा होती है, लोग मारे जाते हैं और लाखों लोगों को जबरन उनके घरों से बेदखल कर दिया जाता है। यह आयत इन सभी जुल्मों के खिलाफ एक स्पष्ट चेतावनी है।
विरोधाभासी व्यवहार: आज का मनुष्य भी ऐसे ही विरोधाभासों में जीता है। कोई व्यक्ति एक तरफ दान भी करता है और दूसरी तरफ गैर-कानूनी और अनैतिक तरीके से पैसा कमाता है। यह आयत हमें इस दोहरे चरित्र से बचने की सीख देती है।
भविष्य (Future) के संदर्भ में:
सच्ची आस्तिकता का मानदंड: भविष्य में भी, सच्चा मोमिन वही होगा जो अल्लाह के पूरे दीन को बिना किसी भेदभाव के स्वीकार करेगा। यह आयत हमेशा उस मानदंड को स्थापित करती रहेगी।
नैतिक स्थिरता का आधार: एक स्थिर और न्यायपूर्ण समाज के लिए जरूरी है कि उसके सदस्यों के आचरण में एकरूपता हो। यह आयत इसी एकरूपता और ईमानदारी का संदेश देती है।
ईश्वरीय निगरानी का भाव: "और अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो" - यह अंतिम वाक्य भविष्य की हर पीढ़ी के लिए एक चेतावनी है कि उनके हर कर्म का हिसाब होगा। यह भाव मनुष्य को गुनाह से रोकने के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा है।
निष्कर्ष: क़ुरआन की यह आयत मानवीय विफलताओं - विशेष रूप से चुनिन्दा आस्तिकता, पाखंड और आंतरिक संघर्ष - का एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह हमें सिखाती है कि ईमान एक संपूर्ण आत्मसमर्पण है, एक अधूरा सौदा नहीं। यह अतीत के लिए एक ताड़ना, वर्तमान के लिए एक दर्पण और भविष्य के लिए एक चेतावनी है।